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वसीयत होने पर मृतक की संपत्ति का बँटवारा उसी के अनुसार होगा

नरेन्द्र सिंह, धार, मध्यप्रदेश से पूछते हैं –

समस्या-

मेरे पिताजी समेत छह भाई और एक बहिन है।  सभी शादी शुदा हैं।  सभी 6 भाई और 1 बहिन ने मेरे दादा की मृत्यु के बाद बैठकर लिखित में बँटवारा किया था।  अब 3 भाई उस बँटवारे से इन्कार कर चुके हैं और मामला कोर्ट में है।  तीन भाई किसी वसीयत का सहारा ले कर कहते हैं कि मेरे दादाजी ने तीन भाई (मेरे काका) के नाम वसीयत कर दी है और मेरे पिता समेत दो भाई और एक बहन को छोड़ दिया है।  अब आप ही बतायें की हमारा पक्ष कितना मजबूत है और हम लिखित बँटवारे को किस तरह मनवा सकते हैं?

समाधान-

न्यायालय के समक्ष लंबित किसी भी मामले में निर्णय दोनों पक्षों द्वारा प्रस्तुत अभिवचनों (दावा और जवाब दावा) तथा न्यायालय में प्रस्तुत दस्तावेजी व मौखिक साक्ष्य पर निर्भर करता है। इन सभी चीजों को जाँचे बिना कोई राय बनाना उचित नहीं है। आप ने तो यह भी नहीं बताया है कि दावा किस ने किया है और कौन उस मुकदमे में प्रतिवादी हैं?

स मामले में एक वसीयत न्यायालय के सामने है और दूसरा एक बँटवारा जिस का लिखित मेमोरेंडम तैयार किया गया है।  आम तौर पर बँटवारा पंजीकृत होना आवश्यक है तभी वह मान्य होता है।  लेकिन आपस में बैठ कर मौखिक बँटवारा हो गया हो, संपत्ति का कब्जा बँटवारे के अनुसार सभी संबंधित पक्षों को दे दिया गया हो तो बाद में लिखा गया बँटवारे का दस्तावेज बँटवारे के सबूत के तौर पर न्यायालय स्वीकार कर सकता है।  बँटवारा संयुक्त संपत्ति का होता है। उत्तराधिकारियों की संयुक्त संपत्ति का सृजन तो संपत्ति के स्वामी के देहान्त के साथ ही निर्वसीयती संपत्ति के उत्तराधिकार से होता है।  लेकिन यदि संपत्ति के स्वामी ने अपनी संपत्ति को वसीयत कर दिया हो तो फिर वह संपत्ति निर्वसीयती नहीं रह जाती और उत्तराधिकार में प्राप्त नहीं हो सकती। ऐसी संपत्ति का बँटवारा सभी उत्तराधिकारियों के मध्य संभव नहीं है केवल वसीयत के अनुसार ही उस का बँटवारा हो सकता है।

ब जो मामला न्यायालय में चल रहा है उस में यदि वसीयत को चुनौती दी गई हो और यह साबित हो जाए कि जो वसीयत न्यायालय के सामने है वह सही नहीं है, कानून के अनुसार नहीं है या कूटरचित है तो ही लिखित बँटवारे पर विचार हो सकता है।  वैसी स्थिति में कोई लिखित बँटवारा न होने पर भी संपत्ति सभी उत्तराधिकारियों को उत्तराधिकार में प्राप्त होने के आधार पर स्वयं अदालत भी बँटवारा कर सकती है। वसीयत निरस्त न होने पर तो वसीयत के अनुसार ही संपत्ति का विभाजन होगा।

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