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विक्रय के इकरारनामे के साथ दिया गया संपत्ति का कब्जा वापस नहीं लिया जा सकता

 रतन लाल पूछते हैं –

मैं ने 100 रुपए के स्टाम्प पेपर पर इकरारनामा तस्दीक करवा कर दिनांक 29.08.2009 को 1,20,000 रुपए में 2 बीघा कृषि भूमि खरीदी। 80,000 रुपया विक्रेता को उसी दिन नकद भुगतान कर दिया तथा भूमि का कब्जा प्राप्त कर लिया। शेष 40,000 रुपया रजिस्ट्री करवाने के समय देना तय हुआ। लेकिन खातेदार ने ट्रेक्टर का ऋण ले रखा था जिस के कारण रजिस्ट्री नहीं हो सकी थी। दिनांक 07.10.2010 को खातेदार ने तीसरे पक्ष को रजिस्ट्री करवा दी। जब कि आज तक कब्जा मेरा बना हुआ है। हमें रजिस्ट्री करवाने का पता दिनांक 30.12.2010 को पता लगा। हम ने खातेदार के विरुद्ध एक अपराधिक शिकायत धारा 156 (3) अंतर्गत अदालत में पेश कर दी जो अदालत में विचाराधीन है। जिस व्यक्ति के नाम रजिस्ट्री हुई है उस ने बंटवारे का मुकदमा किया है। क्या हम रजिस्ट्री पर स्टे ले सकते हैं? और रजिस्ट्री निरस्त करवा सकते हैं? कृपया सलाह दें।

 उत्तर – 

रतनलाल जी,
प के प्रश्न से कुछ तथ्य अस्पष्ट हैं। जैसे आप ने जो अपराधिक शिकायत प्रस्तुत की है उसे धारा 156  दं.प्र.सं. के अंतर्गत प्रस्तुत की है उस में किस अपराध के आरोप आप के द्वारा लगाए गए हैं तथा पुलिस ने इस मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की है या नहीं? यदि दर्ज की है तो फिर उस में अन्वेषण के उपरान्त कोई आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया है या नहीं? खैर यह तो रही अपराधिक मुकदमे की बात। इस में अधिक से अधिक धोखाधड़ी करने वाले को सजा मिलेगी लेकिन जो भूमि आप ने खरीदी है उस के विक्रय पत्र की रजिस्ट्री आप के नाम हो कर राजस्व रिकार्ड में आप के नाम नामांतरित नहीं हो सकती है। आप का कहना है कि जिस व्यक्ति के नाम रजिस्ट्री हुई है उस ने बंटवारे का दावा किया है। इस का अर्थ है कि उस ने रजिस्ट्री के आधार पर राजस्व रिकार्ड में उक्त भूमि का नामांतरण अपने नाम करवा लिया है और उस के उपरांत बंटवारे का दावा प्रस्तुत किया है।

स मामले में आप के पक्ष में यह बात है कि आप ने भूमि को खरीदने का जो इकरारनामा किया है उस के साथ ही भूमि का कब्जा प्राप्त कर लिया है। कानूनी स्थिति यह है कि यदि इकरारनामे के अनुसार यदि भूमि का कब्जा खरीददार को दे दिया गया हो या पहले से ही उस के पास हो इसे इकरारनामे का आंशिक निष्पादन कहा जाता है। संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 53-ए के अंतर्गत कोई व्यक्ति इकरारनामे के आंशिक निष्पादन के अंतर्गत किसी भूमि या संपत्ति पर कब्जा प्राप्त कर लेता है और विक्रेता विक्रय पत्र का पंजीयन नहीं कराता है तो भी क्रेता से उस भूमि के कब्जे को वापस नहीं लिया जा सकता है। इस कारण आप ने इकरारनामे के अंतर्गत जिस भूमि का क्रय किया है और कब्जा प्राप्त कर लिया है उस भूमि का कब्जा किसी भी व्यक्ति द्वारा आप से प्राप्त किया जाना किसी भी प्रकार संभव नहीं है।

अब प्रश्न यह है कि आप को करना क्या चाहिए? 

क तो आप को बंटवारे के दावे में पक्षकार बनने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करना चाहिए और उस दावे में पक्षकार बन कर अपना पक्ष प्रस्तुत करना चाहिए।
दूसरे आप को विक्रेता द्वारा तीसरे पक्ष के पक्ष में जो विक्रय पत्र निष्पादित कर पंजीकृत कराया है उसे निरस्त कराने तथा आप के पक्ष में विक्रय पत्र का निष्पादन कर उस का पंजीयन कराने के लिए दीवानी वाद तुरंत प्रस्तुत करना चाहिए। इसी दावे में आप को दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 39 के अंतर्गत एक अस्थाई व्यादेश (Temporary Injunction) का आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए कि आप के कब्जे में विक्रेता या तीसरा पक्ष या उन के कोई भी प्रतिनिधि हस्तक्षेप न करें। इस वाद के द्वारा ही आप रजिस्ट्री को निरस्त करवा सकते हैं और इसी वाद में प्रस्तुत इस आवेदन द्वारा आप अपने कब्जे में किसी प्रकार के हस्तक्षेप के विरुद्ध स्थगन प्राप्त कर सकते हैं।

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