विवाह होने के एक वर्ष की अवधि में विवाह विच्छेद का आवेदन कब स्वीकार किया जा सकता है?
|शालिनी ने पानीपत, हरियाणा से समस्या भेजी है कि-
सपेर भानपुर , नगला गिरधारी, अलीगढ़ का निवासी विपिन कुमार चौधरी मेरा फेसबुक मित्र था। पिछले एक साल की जान पहचान और दोस्ती और उसके बार बार प्रपोज करने और मेरे घरवालों से बात करने के बाद विपिन से मेरी शादी 7 जुलाई 2014 को अलीगढ़ आर्य समाज में सम्पन्न हुई थी। मेरे माता-पिता 4 अप्रेल 2014 को अलीगढ़ गए थे। विपिन की माँ से बात करने के बाद और 6 अप्रैल 2014 को सुरेन्द्र नगर, अलीगढ़ में हमारी सगाई हुई। शादी से पहले ही विपिन और मैंने एक फ़ैसला लिया था कि मेरी माँ और मेरी बहिन कुछ महीनों के लिए वही रहेंगे जब तक मैं सैटल ना हो जाऊँ क्यों कि मेरे लिए उन सभी से अलग रहना मुश्किल था और उस समय विपिन को कोई दिक्कत नहीं थी। 27 जून 2014 को मेरा परिवार अलीगढ़ गया। यहाँ से मेरी माँ ने अपना सारा समान (फर्नीचर, फ्रिज, किचन यूटेंसिल्स) सब कुछ मेरे ससुराल वालों को दे दिया और शादी का सारा खर्चा भी पापा ने किया। जब कि बात आधा आधा की हुई थी। शादी के कुछ दिन पहले से ही समस्या आरंभ हो गयी थी। जैसे बात बात पर झगड़ा, ते़ज आवाज़ में बातें करना। पर हमें लगा कि शायद शादी के तनाव की वजह से है। पर हद तो तब हुई जब मेहंदी वाली रात से जब उस की माँ ने मुझे मेहँदी लगाने और मेरी माँ के सारे सामान जिस में शादी के जेवर व अन्य सामानों को खोला। इस पर मेरी माँ ने आपत्ति की। बस यहीं से बातें शुरू हो गईँ। अगले दिन शादी थी। शादी आर्य समाज में हुई थी। शादी के बाद मंडप से नीचे आते ही विपिन ने झगड़े कि शुरुआत कर दी। वही रात की बात करने लगा कि तुम्हारी माँ ने मेरी माँ की इन्सल्ट की है जो अब तुम्हे भारी होगा। बस उन के बेला मार्केट स्थित घर आते ही उन लोगों की तरफ़ से कोई रस्म नहीं हुई। अगले दिन ही उन लोगो ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। सुबह का आरंभ ही झूठे बर्तन और गन्दे कपड़े साफ़ कराने से हुई और उस पर से ताने। क्यों कि मेरी माँ और मेरी बहन साथ में थे दूसरे कमरे में। पर विपिन और उस के परिवार वालों ने उन लोगो के साथ भी बदतमीजी की हर बार यही लगता कि शायद अब सब ठीक हो जाए। गाली गलौज, मुझ पर ग़लत इल्जाम, मार-पीट आदि बातें वहाँ आम थी। पर मेरी माँ और बहिन पर भी ग़लत इल्ज़ाम लगाए गए। पापा यहाँ हरियाणा में थे, किसी तरह उन्हें इंफोर्म किया। पापा और कुछ पापा के फ्रेंड्स वहाँ से मुझे 13-8-2014 को विदाई के रस्म पर यहाँ (हरियाणा) ले कर आए। हमारा सारा सामान, जेवर सब कुछ वहीं पर पड़ा है, बस कुछ कपड़े और जरूरी समान ले कर वापस आ गई हूँ। हमारे यहाँ आने के बाद उस ने मेरे सारे रिश्तेदारों, फ्रेंड्स, यहाँ तक कि मेरे ऑफिस में जहाँ में जॉब करती थी वहाँ भी कॉल कर के मेरे बारे में ग़लत बातें बोली और अब भी फ़ोन पर मुझे और मेरे परिवार को जान से मारने कि धमकी देता है। मैं डरती नहीं हूँ। मैं ने यह सब भी मैंने सिर्फ़ इसलिए सहा क्यों कि मेरी फ़ैमिली वहाँ थी। रोज़ मानसिक प्रताड़ना थी हमारे लिए। मैं उस इन्सान और उसके परिवार के साथ नहीं रहना चाहती। मैंने यहाँ एसपी ऑफिस में शिकायत दर्ज करवा दी है पर अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
समाधान-
आप डरती नहीं है यह अच्छी बात है। आप ने जिन परिस्थितियों का वर्णन किया है उन में आप इस विवाह को बना कर नहीं रख सकती। इस कारण विवाह विच्छेद का निर्णय कर के सही काम किया है।
आप का विवाह 7 जुलाई 1914 को सम्पन्न हुआ है। सामान्यतया हिन्दू विवाह अधिनियम में विवाह विच्छेद का आवेदन विवाह की तिथि से एक वर्ष की अवधि में न्यायालय स्वीकार नहीं करता है। केवल ऐसी विशिष्ट परिस्थितियों में जब कि प्रार्थी को अपवाद रूप में अत्यन्त कठिनाई हो या प्रतिपक्षी से भ्रष्ट व्यवहार मिला हो तो एक वर्ष की अवधि के पूर्व आप का आवेदन स्वीकार किया जा सकता है। आप के साथ जो धोखा हुआ है और उस के कारण आप को जो कठिनाई और भ्रष्ट व्यवहार का सामना करना पड़ा है उस को आधार बना कर विवाह विच्छेद आवेदन स्वीकार करने के लिए एक पृथक आवेदन के साथ आप को विवाह विच्छेद आवेदन प्रस्तुत करना होगा। इस के बाद भी विवाह के एक वर्ष के पूर्व आप का आवेदन सुनवाई के लिए स्वीकार किया जाना पूरी तरह न्यायालय पर निर्भर करता है। फिर भी आप को यह आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए। जिस से इस बात का रिकार्ड रहे कि आप ने तुरन्त ही आवेदन प्रस्तुत कर दिया था। यदि न्यायालय आप का आवेदन सुनवाई के लिए स्वीकार कर लेता है तो ठीक वर्ना आप यही आवेदन एक वर्ष पूर्ण होने पर पुनः प्रस्तुत कर सकती हैं।
आप के पास क्रूरता के आधार पर विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त करने का आधार उपलब्ध है। आप इस आधार पर अपना आवेदन प्रस्तुत करें। यह आवेदन भी आप को अलीगढ़ के न्यायालय में ही प्रस्तुत करना होगा। क्यों कि विवाह भी अलीगढ़ में सम्पन्न हुआ है और अन्तिम बार आप और विपिन ने एक साथ अलीगढ़ में ही निवास किया है।
आप के साथ धोखा हुआ है। लेकिन सारी घटनाएँ अलीगढ़ में हुई हैं इस कारण से कोई भी अपराधिक मुकदमा भी केवल अलीगढ़ में ही दर्ज हो सकता है, वहीं अन्वेषण हो सकता है तथा मुकदमा भी वहीं चलेगा। आप ने हरियाणा के एसपी को शिकायत दी है। आप को चाहिए कि आप ऐसी ही शिकायत या हरियाणा के एस पी को की गई शिकायत की एक प्रति अलीगढ़ के एसपी को रजिस्टर्ड डाक से भेज दें।
आप के साथ पति और उस के रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता का व्यवहार किया गया है जो धारा 498-ए के अन्तर्गत अपराध है। इस के साथ ही आप को जो भी वस्तुएँ उपहार के रूप में मिली हैं वे आप का स्त्रीधन है जिस की स्वामी आप हैं। विपिन और उस के परिवार के पास ये सब वस्तुएँ केवल ट्रस्टी के बतौर हैं। आप विपिन को ये सब वस्तुएँ लौटाने के लिए नोटिस दे दें। न लौटाए जाने पर अलीगढ़ में धारा 406, 498-ए आईपीसी में प्रथम सूचना रिपोर्ट अवश्य दर्ज कराएँ। यह मुकदमा पूरी तरह सच्चा होगा और इस मुकदमे का दबाव विपिन और उस के परिजनों पर रहने से आप को विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त करने में सुविधा रहेगी।
सही जानकारी, धन्यवाद.
पर यदि एक वर्ष से पूर्व विवाह-विच्छेद का आवेदन स्वीकार नहीं किया जाता है तो स्वतंत्र रूप से अलग रहा जा सकता है या नहीं? कृपया इस केस में यह बताने की कृपा करें कि यदि विवाह-विच्छेद की आवेदन स्वीकार नहीं होता है तो ऐसा नहीं न कि जबरन साथ रहना पड़े. ……………
महेश कुमार verma का पिछला आलेख है:–.मीना व उसकी माँ
सही जानकारी.
धन्यवाद.
महेश कुमार verma का पिछला आलेख है:–.मीना व उसकी माँ
श्री मान महोदय,
मेरा कहना यह की आर्य समाज के द्वारा शादी सम्पन हुई है. तू आर्य समाज के द्वारा डाइवोर्स हो सकता है. की नही. ऐसा कोई प्राभधन है. या नही
हिन्दू विवाह कहीं भी किसी भी विधि से संपन्न हो। विवाह विच्छेद केवल न्यायालय की डिक्री से ही हो सकता है।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.विवाह होने के एक वर्ष की अवधि में विवाह विच्छेद का आवेदन कब स्वीकार किया जा सकता है?