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संज्ञेय अपराधों के मामलों की सुनवाई में परिवादी व प्रभावित व्यक्ति की साक्षी के अतिरिक्त कोई भूमिका नहीं

समस्या-

बागपत, उत्तर प्रदेश से बीजेन्द्र कुमार ने पूछा है –

मेरे गाँव की ही एक औरत ओर उसके पति ने दिनांक 03-04-2009  को मेरी भाभी से लड़ाई झगड़ा करके मेरी भाभी के कान का एक कुंडल नोच लिया और भाभी के साथ उन दोनों ने मर पीट भी की। घटना के समय हम दोनों भाई घर पर नहीं थे और लगभग 250-300 कि. मी की दूर काम के लिए गए थे।  घर में भाभी अकेली थी, अकेली जानकर उन दोनों ने ये वारदात की।  मेरी भाभी के कान से कुंडल नोचने के बाद उस औरत ने सोने का वो कुंडल भी अपने पास ही रख लिया। मेरी भाभी का कान फट गया जिससे खून गिरने लगा।  इसी हालत में भाभी ने थाने जाकर FIR लिखवाई इसके बाद थानेदार ने सरकारी अस्पताल में कान का मेडिकल करवाया, बाद में पुलिस उस औरत और उसके पति को थाने ले आयी। इनके खिलाफ IPC की धारा 323, 504, 506  के तहत मुकदमा दाखिल हुआ और कोर्ट में आरोप पत्र प्रस्तुत हो गया। इसके बाद उस केस की हमें कोई खबर नहीं है। हम इस केस को दोबारा से नया करना चाहते है ताकि पीड़िता को न्याय मिल सके।

समाधान-

police station receptionब भी कभी पुलिस को किसी अपराध के बारे में सूचना मिलती है तब यदि वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत संज्ञेय होता है तो पुलिस उस पर अन्वेषण करती है और न्यायायलय के समक्ष आरोप पत्र प्रस्तुत करती है। इन मामलों में न्यायालय के समक्ष पुलिस और राज्य सरकार अभियोजक होती है शिकायतकर्ता, अपराध से प्रभावित व्यक्ति और साक्षीगण का बस इतना संबंध होता है कि उन्हें न्यायालय में जा कर गवाही देनी होती है। आप के मामले में जो तीन धाराओं में आप ने अपराध बताए हैं उन में से पहले दो असंज्ञेय हैं जिन में पुलिस कार्यवाही नहीं कर सकती। उन के लिए शिकायतकर्ता को स्वयं न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करना होता है। तीसरा धारा 506 के अंतर्गत किए गए अपराध में यदि गंभीर चोट पहुँचाने या मृत्यु कारित करने की धमकी दी गई हो तभी वह संज्ञेय अपराध है।

प को पुलिस थाना जा कर प्रथम सूचना रिपोर्ट की तिथि और क्रमांक के आधार पर पूछना चाहिए कि क्या पुलिस ने उस प्रकरण में आरोप पत्र प्रस्तुत किया है और यदि किया है तो मुकदमा कहाँ किस न्यायालय में चल रहा है, उस की क्या स्थिति है तथा उस में न्यायालय ने सुनवाई के लिए क्या तिथि निश्चित की हुई है? यदि पुलिस ने आरोप पत्र प्रस्तुत किया है और वह उसे प्रस्तुत करने की तिथि और न्यायालय बता दे तो आप सीधे न्यायालय में जा कर भी पता कर सकते हैं कि मुकदमे की स्थिति क्या है। इस मुकदमे में आप की कोई भूमिका नहीं है। जब भी न्यायालय में मुकदमा गवाही की स्थिति में आएगा तब आप को गवाही देने के लिए समन न्यायालय से पुलिस के माध्यम से भेजा जाएगा तब आप जा कर गवाही दे सकते हैं। फिर भी आप इस मामले में रुचि लेना चाहते हैं तो जिस नगर में आप का उक्त मुकदमा चल रहा है वहाँ के किसी वकील से जा कर मिलिए उसे प्रथम सूचना रिपोर्ट का क्रमांक और दर्ज होने की तिथि बताएँ। वे मुकदमे का पता कर के आप की तरफ से अपना वकालतनामा प्रस्तुत कर देंगे और लोक अभियोजक (सरकारी वकील) के साथ साथ उस मुकदमे में आप का पक्ष लोक अभियोजक व न्यायालय की अनुमति से रख सकेंगे।

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