किसी भी कार्य को सदाशयता के साथ करें तो उस के विरुद्ध की गई किसी भी कार्यवाही का प्रतिवाद किया जा सकता है।
|प्रदीप शेरावत ने नजफगढ़, नई दिल्ली से समस्या भेजी है कि-
क्या कोई व्यक्ति उन रचनाओं का, जो सार्वजनिक डोमेन में है, किसी अन्य भाषा में अनुवाद कर पुनः प्रकाशित करा सकता है? अगर उस से पहले किसी अन्य व्यक्ति या प्रकाशक ने उस रचना का अनुवाद कर के प्रकाशित किया हुआ है, तो क्या वह व्यक्ति या प्रकाशक बाद में अनुवाद करने वाले पर कोई क़ानूनी कारवाही कर सकता है? अथवा भाषा शैली की चोरी का इल्जाम लगा सकता है? क्यूंकि अनुवाद कितने ही लोगों द्वारा किया जाए पर सभी अनुवाद मूल रचना के अनुसार ही होंगे। सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध रचनाओं को पुनः प्रकाशित करने के लिए किन-किन बातों और नियमों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि किसी भी तरह की कानूनी उलझनों से बचा जा सके?
समाधान-
किसी भी रचना का सार्वजनिक डोमेन में होने का कोई कानूनी अर्थ नहीं है। आप को पहले यह जानना चाहिए कि उस रचना पर किसी का कापीराइट जीवित है या नहीं है। यदि उस रचना पर किसी का कोई कापीराइट है तो उस का किसी भी तरह का कोई उपयोग बिना कापीपाइट धारक की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता।
यदि आप किसी ऐसी रचना का अनुवाद कर रहे हैं जिस पर किसी तरह का कोई कापीराइट नहीं है तो उस में परेशान होने की किसी तरह की कोई आवश्यकता तब तक नहीं है जब तक अनुवाद करने में आप ने पूर्व में हो चुके अनुवादों की सहायता न ली हो। क्यों कि यह संभव ही नहीं है कि एक रचना का कोई दो व्यक्ति अनुवाद करें और वे दोनों कहीं भी हू-ब-हू हो जाएँ। किसी भी भाषा के शब्दकोष एक हो सकता है लेकिन उसी भाषा का हर व्यक्ति का शब्दभंडार भिन्न भिन्न और अभिव्यक्ति का तरीका भी भिन्न होता है।
क्या क्या कार्यवाहियाँ की जा सकती हैं? इस प्रश्न का उत्तर दिया जाना संभव नहीं है। कोई भी व्यक्ति यदि उसे किसी को परेशान करना हो तो किसी भी तरह की कोई भी मिथ्या कार्यवाही भी कर सकता है। उस का इलाज यही है कि उस का प्रतिवाद किया जाए और इस प्रकार संस्थित कार्यवाही को निरस्त कराया जाए। इस कारण इस तरह की समस्याओं पर तभी विचार किया जाना चाहिए जब ऐसी कार्यवाही हो कर सामने आ जाए। आप को केवल यह सावधानी बरतनी है कि आप का आशय सही हो। यदि आप किसी भी कार्य को बिना किसी दुराशय और सदाशयता के साथ करेंगे और किसी के अधिकार का अतिक्रमण नहीं करेंगे तो आप के विरुद्ध की गई किसी भी कार्यवाही का आसानी से प्रतिवाद किया जा सकेगा।