सभी उत्तराधिकारियों में संपत्ति के विक्रय पर सहमति न होने पर विभाजन का वाद प्रस्तुत करें।
समस्या-
ब्यावर, जिला अजमेर, राजस्थान से विजय खंडेलवाल ने पूछा है-
हम सात भाई और चार बहनें हैं। हमारे माता पिता का बहुत पहले देहान्त हो चुका है। मेरे दो बड़े भाई तथा एक बड़ी बहिन का भी देहान्त हो चुका है, उन के परिवार मौजूद हैं। हमारे पैतृक मकान में अब कोई नहीं रहता है। ग्यारह परिवारों के मुखियाओँ में से मेरे एक भाई का परिवार उक्त संपत्ति के विक्रय के लिए सहमत नहीं है। कृपया सुझाएँ कि आगे कैसे बढ़ा जा सकता है?
समाधान-
आप के माता पिता के देहान्त के पश्चात से ही उक्त संपत्ति संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति है। ऐसी संपत्ति को बिना सभी साझीदारों की सहमति के विक्रय नहीं किया जा सकता है। यदि विक्रय होगा तो क्रेता संपत्ति पर अविवादित स्वामित्व तथा कब्जा चाहेगा। यह तभी संभव है जब कि सभी साझीदारों द्वारा संयुक्त रूप से उक्त संपत्ति के विक्रय पत्र को निष्पादित किया जाए और उपपंजीयक के कार्यालय में उपस्थित हो कर उस का पंजीयन कराया जाए। लेकिन यदि एक साझीदार सहमत नहीं है तो फिर ऐसा होना संभव नहीं है।
उक्त संपत्ति के अब तक कई संयुक्त स्वामी हो चुके हैं। आप के जिन भाई बहिनों का देहान्त हो चुका है उन के उत्तराधिकारी उन के हिस्सों के संयुक्त रूप से स्वामी हो चुके हैं। वैसी स्थिति में उक्त मकान का भौतिक विभाजन भी संभव प्रतीत नहीं होता है। ऐसी स्थिति में यही एक मात्र मार्ग है कि कोई भी एक साझीदार शेष सभी साझीदारों के विरुद्ध दीवानी न्यायालय में संपत्ति के विभाजन का दीवानी वाद प्रस्तुत करे तथा यह अभिवचन करे कि उक्त संपत्ति के अनेक स्वामी होने के कारण उस का भौतिक विभाजन संभव नहीं है इस कारण उक्त संपत्ति को विक्रय कर के सभी साझीदारों को उन के हिस्से की राशि दे दी जाए। इस वाद पत्र में जो साझीदार संपत्ति के विक्रय के लिए सहमत हैं वे सभी सहमति का उत्तर प्रस्तुत करें। वैसी स्थिति में केवल एक साझीदार जो संपत्ति का विक्रय नहीं चाहता वह जो भी जवाब दे उसे देने दिया जाए। बाद में साक्ष्य के आधार पर न्यायालय से निर्णय प्राप्त कर के उक्त संपत्ति को उस के आधार पर विक्रय किया जा सकता है। इस संबंध में आप को ब्यावर के दीवानी मामलों के किसी वरिष्ठ वकील से सलाह कर के आगे कार्यवाही की जा सकती है।
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- स्वयं के स्वामित्व की संपत्ति के विक्रय के लिए परिजनों की सहमति की आवश्यकता नहीं।
- पिता के नाम नामान्तरण न होने पर भी पुत्र उनकी मृत्यु के बाद नामान्तरण करवा सकता है।
- कन्सल्टेंट का लायसेंस विक्रय करना कोई अपराध नहीं
- स्त्री से उसका स्त्री-धन वापस प्राप्त करने का विचार त्याग दें।
- जिस सम्पत्ति की रक्षा सम्भव नहीं हो उसे विक्रय कर दूसरी रक्षा की जा सकने वाली सम्पत्ति बना लेनी चाहिए
- संयुक्त संपत्ति का हिस्सा बेच देने पर खरीददार संयुक्त स्वामी हो जाता है
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विवाह के बाद भी पिता के नाम से पढ़ाई करना गलत नहीं . . .
No Comments | Nov 1, 2013
I am unmarried and system NAD brother are married. Big money was spent on their marriages and later.on also on gifts to the spouses.
Will this be considered at the time.of partition and I can force.bigger chunk?
अपनी समस्या https://teesarakhamba.com/कानूनी-सलाह-फॉर्म/ पर रखें
मेरे दादा जी देहांत १९८२ में हो गई. उनकी सम्पति जो उनको पूर्वजो से मिली थी. अब उस पर नियमतः मेरे पिताजी का अधिकार हो गया. अब उस सम्पति को सहदायिक संपत्ति कहेगे या पुस्तैनी संपत्ति.
Dharmendra का पिछला आलेख है:–.गली में पड़ौसी ने बिना अनुमति खिड़की, रोशनदान, पनाला निकाला है, क्या किया जाए?