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सहमति से तलाक के लिए रास्ता बनाएँ. . .

LAWYER OFFICEसमस्या-
मधुबनी, बिहार से ओम ने पूछा है-

गृहकार्य दक्ष और 8वीं पास बताकर 18.1.2013 को एक अनपढ़, मानसिक रूप से अविकिसित और पागल लगने वाली लड़की से सीतमढ़ी (बिहार) में शादी कर दी गयी। शादी के तुरंत बाद कहा गया कि 10 माह पूर्व पिता की मृत्यु के सदमे से ऐसी हालत है। लेकिन वह हालत अभी तक बनी हुई है। क्या धोखा देकर कराई गई शादी वैध है? क्या विवाह वच्छेद होने पर भरण पोषण हेतु रकम देनी होगी?

समाधान-

प का विवाह हिन्दू विवाह है। यह कोई कांट्रेक्ट तो है नहीं। इसी कारण से हिन्दू लोग यह कहते हैं कि जोड़ियाँ तो स्वर्ग से बन कर आती हैं। यह भी कहते हैं कि ये तो जनम जनम का साथ है। सात जन्मों से पहले तो छूटने वाला नहीं है। कभी ये भी कहते हैं कि पूर्व जन्मों के फल हैं। इस के अलावा और भी न जाने क्या क्या कहते हैं। इस कारण वे भगवान का विश्वास कर के आँख मींच कर किसी के भी कहे पर विश्वास कर के विवाह कर लेते हैं। फिर जब ऐसे ही विवाह करना है। लड़की को शादी के पहले न तो देखना है, न मिल कर उस से बातचीत करनी है, न दो चार मुलाकात कर के यह समझना है कि आपस में पटरी बैठेगी भी या नहीं। जाति में ही शादी करनी है, जहाँ रिश्तेदार कहें शादी कर देनी है। जब यह सब ही करना है तो फिर ऐसी लड़की से शादी कर लो तो रोना क्यूँ? उसे अपना लो, कष्ट दे तो ठीक और आराम दे तो ठीक। घर में काम करने वाली पत्नी चाहिए, पति, सास, ससुर और तमाम ससुरालियों की सेवा करने वाली चाहिए। घूंघट में रहने वाली चाहिए। बच्चे पैदा कर उन्हें पाल कर वंश चलाने वाली चाहिए।

प लोग इस जमाने में बदलने की क्यों नहीं सोचते? क्यों उसी पुरानी सोच में पड़े रहते हो? जब जमाना बदल रहा है तो आप भी बदलें। लड़के लड़की को एक दूसरे को समझने का अवसर दें और जब उन्हें लगे कि वे एक दूसरे के लिए उचित साथी हैं तो उन्हें शादी करने दें।

दि शादी हो गई है तो यह माना जाता है कि दोनों पक्षों ने खूब सोच समझ कर विवाह किया है। शादी के मामले में शादी ठहराने के पहले यह सोच कर ठहराना चाहिए कि हर तरह का धोखा हो सकता है जिस का भविष्य में कोई उपाय नहीं है। इस धोखे में जो सजा है वह सारी धोखा खाने वाले के लिए है। धोखा देने वाले के लिए नहीं। अब आप धोखा खा गए तो खा गए। धोखे की सजा आप भुगतिए।

भाई, आप के मामले में कुछ नहीं हो सकता। आप विवाह विच्छेद (तलाक) की सोच रहे हैं वह तो तब मिलेगा न जब उस का कोई उचित कारण होगा। वह केवल आप के सोचने से नहीं मिलेगा। यदि  अदालत ने विवाह विच्छेद मंजूर भी कर दिया तो जो भी भरण पोषण अदालत कहेगी वह भी देना पड़ेगा।

प के पास दो ही उपाय हैं। किसी तरह पत्नी और उस के परिवार वालों से बात कर के कुछ लेन-देन तय कर के आपसी सहमति से विवाह विच्छेद के लिए रास्ता बनाएँ। जो देना हो एक साथ दे दें और तलाक ले लें। हमारा मानना है कि अदालत में आप खुद जाएंगे तो बहुत परेशानी भुगतनी पड़ सकती है। आप की पत्नी चार-पाँच मुकदमे तो कर ही सकती है। जिस में एक 498-ए, 406 आईपीसी का भी हो सकता है और उस में गिरफ्तारी भी हो सकती है। इस कारण से आप पहले ही सब आपस में तय कर लें और सहमति से तलाक लेने की कार्यवाही करें। कुछ भी करने से पहले अपने क्षेत्र के विवाह के मामलों में समझने वाले वकील से सलाह अवश्य कर लें।