स्त्री से उसका स्त्री-धन वापस प्राप्त करने का विचार त्याग दें।
समस्या-
सूरज कुमार ने दानापुर, पटना, बिहार से पूछा है-
एक मंदबुद्धि लड़का है। उसका विवाह साधारण और गरीब लड़की के साथ किया गया है। लड़की के पिता ने लड़के को अच्छे से जाँच परख लिया था, उसके बाद विवाह के लिए तैयार हुआ था। विवाह के बाद लड़की एक माह ससुराल में रही थी उसके बाद वह अपने मायके चली गई है। अब वहां जाने के बाद लड़की ससुराल आने को तैयार नहीं हो रही और न ही उसके पिता भेजने को तैयार है। दोनों परिवार के बीच काफी अनबन हो चुकी है। विवाह का सारा खर्च लड़के पक्ष ने उठाया था जिसमें लड़की को जेवर भी दिया गया था और लड़की की तरफ से कोई दहेज नहीं दिया गया था। अब लड़के के परिवार वाले चाहते है कि दोनों के विवाह और पारिवारिक सम्बन्ध खत्म कर दिए जाएँ, वे लड़की को दिया जेवर वापस लेना चाहते हैं। इस समस्या का समाधान कैसे किया जा सकता है।
समाधान-
मन्दबुद्धि लड़के के माता-पिता ने सोचा होगा कि उनके बाद लड़के को कौन सम्भालेगा। एक सम्भालने वाला होना चाहिए। अब पत्नी से बेहतर तो की सम्भालने वाला हो नहीं सकता। उन्होंने अपने इस लड़के की शादी करनी चाही। उन्होंने एक गरीब माता-पिता की लड़की तलाश कर ली। गरीब माता-पिता समाज के मुताबिक शादी करने में असमर्थ रहे होंगे तो वे भी मान गए। उनका लड़का देखना परखना या नहीं परखना एक जैसा। गरीब माता पिता की बेटी का कोई और ठौर तो होता नहीं। तो दोनों के माता-पिताओं को यह आशा रही होगी कि शादी हो गयी तो लड़की अपने इस भाग्य को स्वीकार कर लेगी। इस विवाह में मन्दबुद्धि लड़के की अनुमति/ सहमति का तो कोई प्रश्न ही नहीं था। क्योंकि ऐसे मामलों में वह कोई सहमति देने लायक नहीं था। लड़की की सहमति की कोई परवाह करता नहीं है। शादी हो गयी।
शादी के बाद लडकी को कुछ ही दिनों में महसूस हो गया कि इस लड़के के साथ जीवन बिताना उसके लिए संभव नहीं है। इससे बेहतर तो वह अकेले जीवन बिता ले। वह मायके गयी और नहीं लौटी। उसने माता-पिता को भी मना लिया होगा कि वह नहीं जाएगी। गयी तो मर जाएगी या कुछ और कर लेगी। माता-पिता अपनी बेटी के साथ कितनी जबर्दस्ती करते। लड़की को लड़के की वस्तुस्थिति नहीं, बल्कि लड़के वालों के वैभव की कहानियाँ सुना कर तो वे जबरन शादी करवा ही चुके थे। लडके वालों ने कोशिश की कि वह वापस आ जाए, लडकी राजी न हुए और वे कामयाब नहीं हुए।
अब लड़के वाले विवाह सम्बन्ध विच्छेद चाहते हैं। आपसी सहमति से वह हो सकता है। लेकिन जब एक पक्ष सहमति से विवाह विच्छेद चाहता है तो दूसरा पक्ष बारगेनिंग (सौदेबाजी) करता है। लड़की वैसी स्थिति में स्थायी पुनर्भरण की मांग कर सकती है। लेकिन यहाँ उलटी स्थिति है। तलाक भी लड़के के माता-पिता ही कराना चाहते हैं और लड़की को दिए गए जेवर भी वापस पाना चाहते हैं। यदि जेवर मिल गए तो बाकी जो खर्चा उनका हुआ है वस उतना ही उनका नुक्सान होगा। हालाँकि यह सच नहीं हो सकता, फिर भी मान लें कि लड़की के माता-पिता का कोई खर्च नहीं हुआ था। वे तो वैसे भी माफी के लायक नहीं क्योंकि उन्होंने अपनी ही बेटी के साथ छल किया। उसे जानबूझ कर इस दावानल में झोंक दिया। लेकिन लड़की? उसने तो अपना कौमार्य खोया है। उस पर तो विवाहित होने की मुहर लग चुकी है। उसका कौमार्य तो उसे कोई वापस नहीं लौटा सकता।
अब हम कानूनी रूप से सोचें तो वधु को विवाह में दिया उपहार चाहे वह किसी पक्ष या मित्रों द्वारा ही क्यों न दिया जाए, उसका स्त्री-धन है। उसे कानूनी रूप से लेने का अधिकार किसी को नहीं है। वैसे भी उपहार (दान) एक बार देने के बाद वापस नहीं होता। किसी स्त्री से स्त्री-धन वापस लेने का कोई कानूनी उपाय नहीं है। विवाह विच्छेद सहमति से हो सकता है। लेकिन उसके लिए जो भी शर्तें आपस में मिल बैठ कर तय हो जाएँ, मान लेनी चाहिए। लड़की अभी शान्त है। यदि उसने प्रताड़ना आदि के मुकदमे कर दिए तो लड़का और उनके माता-पिता को बहुत परेशानी हो सकती है। हो सकता है उन्हें बड़े घर का मुहँ भी देखना पड़ जाए। बेहतर यही है कि यह मानते हुए कि लड़की ने जो खोया है वह उसे कोई नहीं लौटा सकता आपस में मिल बैठ कर रास्ता निकाल लें।
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- तलाक का आधार हो तो दूसरे पक्ष की सहमति की जरूरत नहीं।
- आपसी समझ बना कर वैवाहिक समस्या का समाधान तलाशने का प्रयत्न करें।
- पत्नी के प्रस्ताव के अनुसार स्त्री-धन लौटा कर सहमति से तलाक के लिए आवेदन करें, लेकिन पहले दाम्पत्य की पुनर्स्थापना के लिए आवेदन अवश्य प्रस्तुत कर दें
- सहमति से तलाक में शर्तें आपस में तय की जा सकती हैं।
- बिना न्यायालय की डिक्री के हिन्दू विवाह विच्छेद संभव नहीं है।
- परस्पर विश्वास नहीं तो विवाह विच्छेद ही सर्वोत्तम हल है।
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