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स्वअर्जित संपत्ति पर संपत्ति के स्वामी के जीवित रहते किसी का कोई अधिकार नहीं।

rp_gavel-1.pngसमस्या-

रोहित ने पटना, बिहारसे पूछा है-

मैं एक निजी संस्थान में बतौर शिक्षक कार्यरत हूँ। मेरी उम्र 31 वर्ष है, इसी वर्ष फ़रवरी में विवाह हुआ है। मेरी माँ की मृत्यु 1994 में हो गयी थी। उस माँ से मेरी एक छोटी बहन (अब विवाहित) तथा एक छोटा भाई है। मेरे पिताजी ने 1995 में पुनर्विवाह किया जिस से उन्हें एक पुत्र है। हम भाई बहन ने हमेशा उनमें माँ ढूंढा मगर उन्हें हमारे लिए कोई वात्सल्य न था, ना आब तक है। मुझे पढ़ाई और कैरियर के नाम पर हमेशा घर से दूर रखा गया। किसी तरह 2016 में मेरी और मेरी बहन की शादी (उनकी मर्ज़ी से ही) हुई। उनकी मर्ज़ी से और पूरी तरह सामाजिक रीति रिवाजों के साथ विवाह करने के बावजूद आज की तारीख में मेरे पिताजी का रवैया मेरा और मेरी पत्नी के प्रति पूरी तरह बदला हुआ है। वे (साथ ही उनकी पत्नी भी) हमे अपने घर से निकल जाने को अक्सर धमकाते रहते हैं। मेरा प्रश्न है कि क्या मेरा कोई क़ानूनी हक़ नहीं है इस घर में रहने का ? मेरे पिता की सम्पत्ति में क्या मेरा कोई हक़ नहीं ? यह घर 2003 में पिताजी ने अपनी दूसरी पत्नी के नाम से बनवाया है।

समाधान-

पुत्र, पुत्री का अपने पिता की संपत्ति में पिता के जीवित रहते कोई अधिकार नहीं होता।  किसी भी व्यक्ति के पुत्र, पुत्री, पत्नी, माता और पिता को स्वयं का भरण पोषण करने में सक्षम न होने पर उस से भरण पोषण का अधिकार है। इस में भी पुत्र को वयस्क होने तक, पुत्री को स्वावलम्बी होने या विवाह होने तक ही यह अधिकार प्राप्त है। यदि कोई सहदायिक संपत्ति है जिस में पिता का हिस्सा है तो पिता के उस हिस्से में पुत्र और अब पुत्रियों को पिता के जीवित रहते बंटवारे का अधिकार प्राप्त है। यह न पूछें कि सहदायिक संपत्ति क्या है इस के लिए आप इस साइट को सर्च कर सकते हैं जवाब मिल जाएगा।

कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को जीते जी किसी को भी हस्तान्तरित कर सकता है, वसीयत कर सकता है। यदि कोई व्यक्ति मृत्यु के समय अपनी संपत्ति को निर्वसीयती छोड़ दे तो उस में उत्तराधिकार के कानून के हिसाब से उत्तराधिकारियों को हिस्सा प्राप्त होता है।

आप के मामले में जो संपत्ति आप के पिता ने आप की सौतेली माता के नाम से खरीदी है उस पर उन का खुद का कोई अधिकार नहीं है उस की स्वामिनी केवल आप की सौतेली माता ही हैं।

 

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