स्वअर्जित संपत्ति में उत्तराधिकारियों का अधिकार …
|रमेशचन्द्र वर्मा ने रायपुर, छत्तीसगढ़ से समस्या भेजी है कि-
हम 3 भाई 4 बहनें हैं, बहनों की शादियां हो चुकी हैं। बहनों ने पिता की सम्पत्ति में हिस्सा नहीं लेने के लिए लिखित में सहमति दे दी है। एक भाई की मृत्यु हो चुकी तथा भाई की जगह पर उनकी पत्नी नौकरी पर है तथा उनका स्वयं का मकान है। पैतृक सम्पत्ति में से खेतों का हिस्सा दोनों भाइयों और तीसरे भाई की पत्नी को कर दिया है पिताजी शिक्षक थे वे रिटायर हो चुके हैं। उन्हों ने लोन लेकर एक मकान बनवाया है उसे हम दोनो भाइयों के नाम करना चाहते हैं क्या तीसरे भाई की पत्नि का इस सम्पत्ति में अधिकार है?
समाधान-
किसी भी व्यक्ति की स्वअर्जित संपत्ति में उस के जीवन काल में किसी भी उत्तराधिकारी का कोई अधिकार नहीं होता। वह संपत्ति उस व्यक्ति के जीवन में उस के पूर्ण अधिकार की संपत्ति बनी रहती है। आप के कथनों से लगता है कि आप के मकान आप के पिता की स्वअर्जित संपत्ति है। इस कारण से वह उन की निजि संपत्ति है और उस का संपूर्ण स्वामित्व पिता का है। वैसी स्थिति में आप के पिता उक्त मकान की वसीयत किसी एक या दो के नाम कर सकते हैं इस संपत्ति में किसी भाई या उस की पत्नी या अन्य किसी व्यक्ति का कोई अधिकार नहीं है। वसीयत करने पर उक्त मकान पिताजी के जीवनकाल में पिताजी की संपत्ति रहेगा। उन के पश्चात उक्त मकान जिन के नाम वसीयत की जाएगी उन्हें प्राप्त हो जाएगा। यदि पिताजी अपने जीवनकाल में कोई वसीयत नहीं करते हैं तो आप के तमाम भाई बहनों और दिवंगत भाई बहन के उत्तराधिकारियों को उक्त संपत्ति मं अधिकार प्राप्त हो जाएगा।
उक्त मकान पिताजी की निजि संपत्ति होने के कारण वे उक्त मकान को विक्रय या दान भी कर सकते हैं। बस इन दोनों दस्तावेजों का पंजीकरण आवश्यक है जिस में मकान की वर्तमान बाजार की कीमत के आधार पर स्टाम्प ड्यूटी और शुल्क देना होगा।