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हक-त्याग केवल पंजीकृत हक-त्याग विलेख से ही मान्य . . .

Release Deed
समस्या-
शाजापुर, मध्य प्रदेश से नवीन चंद्र कुम्भकार ने पूछा है –

क्या पैतृक संपत्ति में महिलाएँ अपना हक अन्य उत्तराधिकारियों के पक्ष में तहसीलदार के न्यायालय में केवल बयान के आधार पर त्याग सकती हैं? जब कि मृत्यु  के उपरान्त नामांतरण के लिए वाद वैध उत्तराधिकारियों द्वारा प्रस्तुत किया गया है।

समाधान-

किसी भी संपत्ति में यदि किसी स्त्री या पुरुष को स्वामित्व का या खातेदारी का अधिकार प्राप्त है तो यह अधिकार त्यागना एक तरह से संपत्ति का हस्तान्तरण है जो केवल हकत्याग विलेख (रिलीज डीड) को उप पंजीयक के कार्यालय में पंजीकृत करवा कर ही त्यागा जा सकता है। इस के अतिरिक्त किसी भी प्रकार से नहीं। संविधान और कानून के समक्ष स्त्रियाँ और पुरुष दोनों समान हैं। अक्सर तहसीलदार ही उस इलाके का उप पंजीयक भी होता है। लेकिन वह किसी के बयान के आधार पर हकत्याग को स्वीकार नहीं कर सकता। उस के लिए अलग से हकत्याग विलेख लिखा जाएगा, निर्धारित स्टाम्प ड्यूटी भी देनी होगी और पंजीकरण शुल्क भी देना होगा और उसे पंजीकृत भी किया जाएगा।

कत्याग विलेख आवश्यक रूप से पंजीकरणीय प्रलेख है। यदि किसी भी कार्यवाही में यह कहा जाता है कि किसी ने किसी के हक में या शेष स्वामियों के हक में हक त्याग कर दिया है तो हकत्याग का पंजीकृत विलेख ही उस का प्रमाण होगा। अपंजीकृत प्रमाण को कोई भी न्यायालय साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं कर सकता। यदि नामांतरण के लिए आवेदन किया गया है तो यह भी एक न्यायिक कार्यवाही है तथा हक त्याग का आधार केवल हकत्याग विलेख ही हो सकता है।

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