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नामान्तरण स्वत्व का निर्धारण नहीं है, मांग पर हिस्सा देना होगा।

समस्या-

अशोक अग्रवाल ने हरदा, मध्यप्रदेश से समस्या भेजी है कि-

म तीन भाई और एक बहन है, बहन का विवाह हो चूका हे एक भाई की कोई सन्तान नहीं है इसलिए सभी ने पिता की म्रत्यु 1990 में हो जाने के बाद आपसी सहमति से मौखिक रूप से आपसी बटवारा कर मकान दो भाइयो के नाम पंचायत अभिलेख में नामांतरण दर्ज करवा लिया। मकान जीर्ण होने से हम दो भाइयों द्वारा मकान का मरम्मत कार्य करवा लिया एवम् उसे ठीक करवा लिया। आज 20 साल बाद हमारी बहन से आपसी झगड़ा होने से उस नामान्तरण को गलत ठहरा कर हिस्सा मांग रही है, जबकि मकान 20×70 में दो भागो में बना हे जिसमे 10×70 में अलग अलग भाइयो का निवास है। मकान इस तरह बना हुआ है कि किसी तरह हिस्से नहीं हो सकते। क्या कोर्ट दखल देकर हिस्से किस प्रकार दिला सकती है? क्या बहन का हिस्सा मांगना जायज है हमारे द्वारा मकान में किया गया निर्माण में कुछ छूट मिलेगी? सिविल कोर्ट में कितना समय लगेगा? कृपया समस्या का उचित समाधान बताएँ।

समाधान-

प की बहन का हिस्सा मांगना पूरी तरह जायज है। नामांतरण किसी भी संपत्ति के स्वत्व को निर्धारित नहीं करता। पिता की मृत्यु के साथ ही उन के उत्तराधिकारियों का अधिकार उन की संपत्ति में बन गया। कोई भी अपना हिस्सा केवल रिलीज डीड के माध्यम से ही छोड़ सकता है या फिर अन्य विधि से हस्तान्तरित कर सकता है जिस का उप पंजीयक के कार्यालय में पंजीयन आवश्यक है। आप की बहन का हिस्सा उस संपत्ति में अभी भी विद्यमान है।

यदि न्यायालय समझती है कि भौतिक रूप से संपत्ति को विभाजित किया जाना संभव नहीं है तो भी पहले वह इस मामले में प्राथमिक डिक्री पारित करेगी जिस में हिस्से निर्धारित होंगे। उस के बाद यदि आपस में रजामंदी से हिस्से बांट नहीं लिए जाते अथवा खरीद नहीं लिए जाते हैं तो न्यायालय संपत्ति को विक्रय कर के सभी को हिस्से देने का निर्णय दे सकता है। आप दोनों भाई चाहें तो बहिन का हिस्सा मिल कर खरीद सकते हैं।

आप ने यदि पिता की मृत्यु के उपरान्त निर्माण किया है तो उस का सबूत देने पर न्यायालय उस खर्चे को बंटवारे से अलग रख कर निर्णय कर सकती है, खर्च के अनुरूप बंटवारे में आप का हिस्सा बढ़ा सकती है। मुकदमे मे कितना समय लगेगा इस का उत्तर तो खुद विधाता भी यदि कोई हों तो नहीं दे सकते। यह आप के यहाँ की अदालत में काम के आधिक्य पर निर्भर करेगा।

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