हिंसा तथा घर से निकाल दिए जाने पर पत्नी घरेलू हिंसा अधिनियम में आवेदन करे।
|यूनुस अंसारी ने सारंगपुरा, जिला राजगढ़ मध्यप्रदेश से पूछा है-
क्षिप्राबाईके पति ने दहेज़ की मांग कर घर से निकल दिया जिस पर से ४९८ क मुक़दमा चल रहाहै। क्षिप्राबाई के एक लड़का 7 साल का है शिप्राबाई पति के साथ जाना चाहती हैवो नहीं ले जा रहा है, अब शिप्राबाई को क्या करना चाहिए।
समाधान-
न्यायालय पति के विरुद्ध यह आदेश पारित कर सकता है कि पति पत्नी को ले जा कर अपने पास रखे। यदि बेटा भी पत्नी के साथ रहता है तो दोनों के भरणपोषण की पर्याप्त व्यवस्था करे। इन में से यदि भरण पोषण की व्यवस्था पति नहीं करता है तो न्यायालय भरण पोषण की राशि वसूल कर के पत्नी को दिलवा सकता है। लेकिन पत्नी को अपने साथ रखने के लिए पति को बाध्य नहीं कर सकता।
क्षिप्राबाई को चाहिए कि वह पति के विरुद्ध महिलाओँ का घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम की धारा 12 में मजिस्ट्रेट के न्यायालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करे। जिस में धारा 18, 19, 20, 21 व धारा 22 की राहत प्राप्त करने की प्रार्थना करे। इस आवेदन पर न्यायालय घरेलू हिंसा से संरक्षण का आदेश, भरण पोषण की राशि अदा करने का आदेश, पति के घर में या पड़ौस में पत्नी के लिए निवास उपलब्ध कराने का आदेश, बच्चे के संरक्षण का आदेश तथा हर्जाना राशि पत्नी को अदा करने का आदेश पारित कर सकता है। आदेश का पालन भी इसी अधिनियम के अंतर्गत कराया जा सकता है और पति द्वारा किसी आदेश का उल्लंघन करने पर उसे दण्डित भी कराया जा सकता है।