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परित्यक्त गर्भवती पत्नी तुरन्त घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम में आवेदन करे।

victim womenसमस्या-
कंचन ने इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश से पूछा है-

रीब 2.5 साल पहले हमरा प्रेम विवाह हुआ था। हम साथ रहते थे। अचानक एक दिन ऑफिस का कुछ काम बता कर 4 दिन के लिए चले गये और फिर मुझे 15 दिन बाद पता चला कि अपने घर वालो की मर्ज़ी से दूसरी शादी कर लिए हैं। जब मैं उनके घर गई तो उस समय डर की वजह से मेरे पति को मेरे साथ भेज दिया। मेरे पति 6 दिन मेरे साथ रहे उन 6 दिनों के अंदर उन्होने तलाक़ के लिए मुक़दमा कर दिया। लेकिन मैं तलाक नहीं चाहती हूँ। क्यूंकि मैं 6 माह की प्रेग्नेंट हूँ और मैं अपने पति के साथ रहना चाहती हूँ। जो दूसरी शादी हुई है लड़की के घर वाले सब कुछ जान चुके हैं। लेकिन वे मेरे ससुराल वालों का साथ दे रहे हैं। वे चाहते हैं मुझे मेरा पति छोड़ दे और वे अपनी बेटी को उस घर मे रखें। अभी मेरे पति  1 माह से मुझे छोड़ कर जा चुके हैं। मैं चाहती हूँ कि मुझे उस घर में और मेरे पति के साथ रहने का न्याय मिले और इस में टाइम ना लगे। फिलहाल मुझे तलाक देने का कोई सुबूत उन के पास नहीं है। अगर मैं उस घर में क़ानून के साथ रहने का परमीशन मिल जाए और वे लोग मुझे कोई क्षति ना पहुँचा पाएँ। कृपया इसका कोई रास्ता बताएँ।

समाधान-

ब भी आप कानून के पास जाएंगी तो वह आप से सबूत मांगेगा। आप ने प्रेम विवाह किया था तो आप के पास उस का सबूत होना चाहिए। आप ने यह नहीं बताया कि आप ने विवाह किस विधि से किया था। यदि आप के विवाह का ठोस सबूत है तो आप को कार्यवाही करने में आसानी होगी। विवाह का पंजीकरण कहीं हुआ है और उस का प्रमाण पत्र आप के पास है तो यह एक ठोस सबूत है।

कोई भी कानून किन्हीं दो व्यक्तियों को साथ रहने को बाध्य नहीं कर सकता। लेकिन यदि वे पति पत्नी हैं तो उन्हें दाम्पत्य निभाने का आदेश दे सकता है। यदि ऐसे आदेश का निर्वाह कोई पक्ष नहीं करता है तो पीड़ित पक्ष दूसरे से तलाक प्राप्त कर सकता है। मेरी समझ में जो व्यक्ति दो वर्ष में ही अपनी पत्नी को छोड़ कर परिवार के दबाव में दूसरा विवाह कर ले उस के साथ रहना किसी भी प्रकार से उचित नहीं है। यह आप के आत्मसम्मान के भी पूरी तरह विरुद्ध है।

प के पति द्वारा दूसरा विवाह किए जाने के सबूत आप के पास हैं और आप कानून के समक्ष सिद्ध कर सकती हैं कि पति ने दूसरा विवाह किया है तो यह एक अपराध है आईपीसी की धारा 494 के अन्तर्गत अपराध है। यदि आप के और आप के पति के बीच विवाह का कोई ऐसा सबूत नहीं है जिस से विवाह प्रमाणित किया जा सकता हो और आप के पति आप के साथ हुए विवाह से इन्कार करें तो आप के साथ बिना विधिपूर्वक विवाह के रहना, सहवास करना और आप का गर्भवती हो जाना आप के पति का गंभीर अपराध है जिस में उन्हों ने धारा 393 का अपराध किया है। साथ ही धारा 376 के अन्तर्गत बलात्कार का अपराध भी किया है। निश्चित ही ऐसे अपराधी के साथ आप का जीवन निर्वाह नहीं हो सकता है।

वास्तव में आप की समस्या और उस लड़की व उस के परिवार वालों की समस्या एक ही है जो इस सामाजिक मूल्य के कारण है कि यदि कोई जानबूझ कर या धोखे से भी किसी लड़की के साथ कोई यौन अपराध घटित कर दे तो उस के लिए अपराधी को सजा हो या न हो। लेकिन समाज उस लड़की को हमेशा दोषी और अपवित्र मानने लगता है। यदि प्रेम विवाह हुआ हो, पत्नी गर्भवती हो और पति उसे छोड़ दे, तलाक की कार्यवाही कर दे या फिर बच्चे व उस की माता की परवरिश करने से इन्कार कर दे तो निश्चित ही उस महिला और बच्चे के लिए सब से बड़े संकट की बात है।

प ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि पति ने तलाक की अर्जी लगा देने की बात आपने कही है वह किस आधार पर की है, क्या आप को न्यायालय से समन मिला है? आप के पति के पास कोई मजबूत आधार तलाक प्राप्त करने के लिए नहीं दिखाई देता है इस कारण से यदि अर्जी लगा भी दी गई हो तो भी तलाक मंजूर होना संभव नहीं है।

 यदि आप के पास अपने विवाह का सबूत है तो आप को तुरन्त पुलिस में यह शिकायत दर्ज करानी चाहिए कि आप के पति ने आप को छोड़ कर दूसरा विवाह कर लिया है। आप के साथ क्रूरता का व्यवहार किया है। इस के साथ ही आप को से ‘घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम’ के अंतर्गत न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत करते हुए तुरन्त इस अंतरिम राहत की प्रार्थना करनी चाहिए कि आप को अपने पति के घर में अथवा अन्यत्र आवास के लिए पृथक स्थान दिलाया जाए। आप के पति, उन के परिवार वाले और दूसरी लड़की व उस के परिवार वाले आप को किसी भी तरह से हानि न पहुँचाएँ, तथा आप को प्रतिमाह पर्याप्त राशि भरण पोषण और खर्चे के लिए दी जाए। इस आवेदन पर न्यायालय तुरन्त आदेश पारित कर सकता है।

दि आप के पास अपने विवाह का कोई सबूत नहीं है तो आप सीधे धारा 493, 494 तथा 376 आईपीसी के अन्तर्गत आप के पति के विरुद्ध पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराएँ। पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने से मना करे तो न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत कर पुलिस थाने में दर्ज कराएँ। यदि ऐसा हुआ तो पुलिस कार्यवाही और गिरफ्तारी के भय से ही आप के पति आप की सभी मांगे मानने पर बाध्य हो सकते हैं।

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