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हिन्दू स्त्री-पुरुष के नाना सगे भाई हैं, क्या विवाह वैध होगा?

 अमित सिंह ने पूछा है – 
यस्क हिन्दू महिला और पुरुष के नाना सगे भाई हैं, तो क्या वे आपस में विवाह कर सकते हैं? क्या ऐसा विवाह वैध होगा?
 उत्तर – 
अमित जी,
हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5 (v) के अनुसार सपिंडों के मध्य विवाह अवैध है। हालाँ कि किसी जातिय समूह में परंपरा होने पर सपिंडों के मध्य भी विवाह संभव है। यदि इस विवाह को चुनौती दी जाए तो उसे न्यायालय के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करनी होगी कि उन के समूह में इस तरह की परंपरा कई पीढ़ियों से है। 
‘सपिंड सम्बन्ध’ को हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 2 (f) (i) में  परिभाषित किया गया है। जो इस तरह है-
धारा 2 (f) (i)
‘सपिंड सम्बन्ध’ किसी भी व्यक्ति के संदर्भ में माँ के माध्यम से तीसरी पीढ़ी तक तथा पिता के माध्यम से पाँचवी पीढ़ी तक होगा। जिस व्यक्ति के संदर्भ में सपिंड सम्बन्ध की जानकारी की जा रही है उस के पूर्वजों की पीढ़ियाँ देखी जाएंगी जिस में वह स्वयं भी सम्मिलित होगा। अर्थात जिस व्यक्ति के संबंध में जानकारी की जा रही है उस व्यक्ति को पहली पीढ़ी माना जाएगा। 
प के मामले में स्त्री या पुरुष पहली पीढ़ी है, उस का पिता व माता दूसरी पीढ़ी है। नाना व दादा तीसरी पीढ़ी है। चूँकि नाना का संबंध माँ के माध्यम से है इस लिए नाना के बाद सपिंड संबंध नहीं माना जाएगा। चूँकि स्त्री-पुरुष दोनों के नाना सगे भाई हैं। लेकिन दोनों के संयुक्त पूर्वज उन के नानाओं के पिता है जो कि चौथी पीढ़ी है। इस कारण से हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार स्त्री-पुरुष दोनों के मध्य सपिण्ड सम्बन्ध नहीं है। दोनों के बीच विवाह होता है तो वह वैध होगा। 
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