DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

विपक्षी की बातों पर ध्यान न दे कर अपने लक्ष्य पर ध्यान दें।

समस्या-

जूही ने पीलीभीत, उत्तर प्रदेश से पूछा है-

धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के मुकदमे मे मेरे पक्ष में आदेश हो गया है। परन्तु मेरे पति ने मेरे साथ धोखा किया। वह आदेश की पालना में भरण पोषण राशि अदा नहीं कर रहा है। अब मैंने 125 (3) में मुकदमा किया है। मेरा पति कहता है चाहे लाखों खर्च हो जाये पर तुम्हें कुछ नही दूंगा। क्या अगर मेरा पति तारीखों पर हाज़िर होता रहा या प्रार्थना पत्र भेजता रहा तो उसके खिलाफ वारंट नही होगा?

समाधान-

जब दो व्यक्ति लड़ाई के मैदान में उतरते हैं तो आपस में लड़ रहे होते हैं तब वे हार जाने पर भी यही कहते हैं कि हार गया तो क्या हुआ, तुम्हारी जीत को भी मैं हार में बदल दूंगा। इस तरह वह आपको अपने लक्ष्य से भटकाना चाहता है। खेल में भी जब तक फाईनल रिजल्ट नहीं आ जाता कोई खिलाड़ी हार नहीं मानता। इस लिए आप विपक्षी (पति) की बातों पर ध्यान न दें, और अपने लक्ष्य पर ध्यान दें।

आप के पक्ष में आदेश हो चुका है। पति ने यदि आदेश की पालना नहीं की है तो उस का उपाय यही है कि आप 125(3) में उस की पालना के लिए आवेदन करें। यह कोई अलग मुकदमा नहीं है बल्कि उसी का आगे का हिस्सा है। पति के अदालत में उपस्थित होते रहने से कुछ नहीं होगा। यदि वह भरण पोषण अदा नहीं करेगा तो उसे जेल जाना होगा। जो उस के लिए संभव नहीं होगा। हर बकाया के लिए उसे हर बार जेल भेजा जा सकता है।

जब लड़ाई होती है तो सामने वाले को सभी मोर्चों पर घेरा जाता है। आप को भी चाहिए कि धारा 125 के साथ साथ आप महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 में भी अलग से भरण पोषण तथा अन्य राहतों के लिए आवेदन प्रस्तुत करें। उसमें अलग से भी भरण पोषण दिलाय जा सकता है। सब से बड़ी बात तो यह कि वहाँ अंतरिम राहत तुरंत दिलायी जा सकती है।

One Comment