498-ए आईपीसी के मुकदमे के लंबित रहते विवाह विच्छेद का आवेदन प्रस्तुत किया जा सकता है।
|समस्या-
पी.के. साहा ने कोलार मध्यप्रदेश से पूछा है-
मेरी पत्नी ने 498-ए का मुकदमा किया। हम कुछ दिन जेल में रहे तब जमानत हुई। उस की तरफ से बहुत दबाव डाला गया कि उसे एक मुश्त पुनर्भरण राशि 10 लाख रुपए दिए जाएँ। उसे यह राशि चैक और नकद के रूप में दे दी गई जिस की रसीदें उपलब्ध हैं। हम दोनों सहमति से विवाह विच्छेद चाहते हैं। हम ने आपसी सहमति से विवाह विच्छेद के लिए आवेदन पर हस्ताक्षर भी कर दिए। हमें वह आवेदन न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना है लेकिन पत्नी आने को तैयार नहीं है। उस के वकील ने बताया है कि वह और धनराशि चाहती है। अब मैं और अधिक छला जाना नहीं चाहता। कृपया बताएँ कि क्या मैं अकेले सहमति से विवाह विच्छेद का आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत कर सकता हूँ? यदि नहीं तो क्या मैं स्वयं अपनी ओर से विवाह विच्छेद का आवेदन प्रस्तुत कर सकता हूँ? क्या मैं 498-ए के मुकदमे के निर्णय होने के पहले विवाह विच्छेद का आवेदन प्रस्तुत कर सकता हूँ?
समाधान-
आप ने बहुत गलती की। स्थाई पुनर्भरण का भुगतान तो विवाह विच्छेद की डिक्री पारित करने के साथ ही करना चाहिए था। आप ने पहले कर के बड़ी गलती कर दी है। अब आप की पत्नी के पास धनराशि पहुँच जाने के बाद वह आप से और धन लेना चाहती है। हो सकता है इस के लिए सुझाव उस के वकील ने ही दे दिया हो। जब उसे विवाह विच्छेद की डिक्री लेनी है, उसे आप से अब कोई वास्ता रखना ही नहीं है तो वह क्यों न आप से अधिक से धन ले।
आप अकेले सहमति से विवाह विच्छेद का आवेदन प्रस्तुत नहीं कर सकते। उस मे छह माह के उपरान्त आप दोनों के बयान होने हैं, तब भी दोनों का न्यायालय में उपस्थित होना आवश्यक है।
आप धारा-13 में वर्णित आधारों पर अपनी ओर से विवाह विच्छेद का आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं उस में कोई बाधा नहीं है। इस में 498-ए के मुकदमे का लंबित रहना किसी तरह बाधा नहीं है। इस मुकदमे में जब आप की पत्नी न्यायालय में उपस्थित हो तो फिर से सहमति से विवाह विच्छेद का मार्ग भी खुल सकता है। मेरे विचार में आप को अपने वकील से सलाह कर के विवाह विच्छेद का आवेदन जितना जल्दी हो सके प्रस्तुत कर दें। आप के आवेदन में के आधार मजबूत होने चाहिए। जिस से आप उन के आधार पर सहमति न होने पर भी विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त कर सकें।
सहा जी आप ऊपर वाले पर भरोसा रखो सब ठीक हो जायेगा
ऐसा ही होता हे जब कोई छोटे घर कि लड़की कि शादी बड़े घर में हो जाती हे तो वो अपने घर कि गरीबी हटाने के लिए अपनी माँ के कहने पर ही करती हे वो यह नहीं सोचती कि उसकी माँ और घरवाले कब तक साथ देंगे शादी के बाद तो पति ही सब कुछ होता हे लेकिन उन गवारो को कौन समजाये जैसा उनकी माँ कहती हे वेसा करती हे चाहे उनका घर टूटे या पति का दिल टूटे उनको क्या अपनी घरवालो का घर भर्ती हे हे बस जब उनकी आखें खुलती हे तब तक बहुत देर हो चुकी होती हे तब पछताने से क्या फ़ायदा पहले हे अपनी घरवालो को ससुराल से दूर रखो वेसे भी कुछ लड़कियो को पेसो कि भूख ज्यादा होती हे बस इसके कारन ही उनका घर टूटता हे
Your’s is the inllietgent approach to this issue.
इन भिखारियोँ को क्या चाहिए पता नही अपनी खुशी के लिए पति का जीवन नरक बना देती है।भगवान करे इन्हे जीवन मेँ कभी खुशी नसीब न हो। ये सब एकतरफा कानूनी संरक्षण का नतीजा है वरना इन लुटेरो की तोँ…अरे भाई जब कोई गलती नही की तो पहले 498अ को उन्ही से प्रमाणित करवाना चाहिए फिर गुजारे भत्ते की बात आना चाहिए आपको किसी भी स्थिती मेँ उसे राशी बिना फैसले के नही देनी थी मेरा दावा है दाल पुरी की पूरी काली है,सावधान रहे वरना कानून और अपकी पत्नी अपको आत्महत्या के लिए प्रेरित कर सकते हैँ हौसला बुलंद रखिए केस अंत तक लडिए उसको भी तो कोर्ट का चक्कर काटने दीजिए आपका तो धन और धर्म दोनो चला गया अब क्या बचा!….बिना फैसले के कोई कदम न उठाईये।
“सत्यमेव जयते”