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दीवानी प्रकृति के वाद क्या हैं ?

ल हम ने औद्योगिक विवादों के सम्बन्ध में बात की थी। तीसरा खंबा पर हर शनिवार हम औद्योगिक विवादों के सम्बन्ध में कुछ न कुछ चर्चा करेंगे। इसी तरह हम चाहते हैं कि प्रत्येक रविवार को दीवानी मामलों की चर्चा के लिए रखा जाए। दीवानी मामले क्या हैं? इन मामलों की सुनवाई की प्रक्रिया क्या है? आदि आदि अनेक प्रश्न साधारण लोगों के मन में उठते रहते हैं। आज भी रविवार है। तो हम आज से ही इस चर्चा का आरम्भ क्यों न करें? आइये जानते हैं कि दीवानी मामले क्या हैं? दीवानी मामलों की प्रक्रिया दीवानी प्रक्रिया संहिता (Civil Procedure Code) (CPC) से निर्धारित होती है। इसी संहिता की धारा 9 बताती है कि दीवानी मामले क्या हैं?

धारा 9.  जब तक वर्जित न हो, न्यायालय सभी दीवानी वादों का विचारण करेंगे – न्यायालयों को (इस में अन्तर्विष्ट उपबंधों के अधीन रहते हुए) उन वादों के सिवाय, जिन का उन के द्वारा संज्ञान अभिव्यक्त या विवक्षित रुप से वर्जित है दीवानी  प्रकृति के वादों के विचारण की अधिकारिता होगी।

स्पष्टीकरण-1  वह वाद, जिस में संपत्ति संबंधी या पद सम्बन्धी अधिकार प्रतिवादित है, इस बात के होते हुए भी कि ऐसा अधिकार धार्मिक कृत्यों या कर्मों सम्बन्धी प्रश्नों के विनिश्चय पर पूर्ण रूप से अवलम्बित है, सिविल प्रकृति का वाद है।

स्पष्टीकरण-2 इस धारा के प्रयोजनों के लिए, यह बात तात्विक नहीं है कि स्पष्टीकरण 1 मे निर्दिष्ट पद के लिए कोई फीस है या नहीं अथवा ऐसा पद किसी विशिष्ठ स्थान से जुड़ा हुआ है या नहीं।

स तरह हम देखते हैं कि उक्त धारा के स्पष्टीकरण-1 में सिविल प्रकृति के वाद को स्पष्ट किया गया है। कोई भी ऐसा वाद जिस में किसी संपत्ति के संबंध में किसी अधिकार के संबंध में विवाद उठ खड़ा हुआ हो या फिर किसी पद के संबंध में कोई विवाद खड़ा हुआ हो दोनों ही तरह के मामले दीवानी प्रकृति के वाद हैं।

म यहाँ कुछ उदाहरणों से समझ सकते हैं कि दीवानी प्रकृति के वाद कौन से होंगे-

  1. किसी व्यक्ति के एक नागरिक होने के कारण प्राप्त अधिकारों या दायित्वों के संबंध में कोई भी विवाद दीवानी प्रकृति का वाद है।
  2. किसी दुष्कृत्य (Tort) से उत्पन्न कोई भी विवाद सिविल वाद है। जैसे किसी व्यक्ति के कृत्य के कारण दूसरे व्यक्ति की कोई हानि होती है तो उस व्यक्ति का वह कृत्य दुष्कृत्य कहलाएगा। इस दुष्कृत्य से दूसरे व्यक्ति को कोई हानि होती है और उस हानि की क्षतिपूर्ति के लिए अथवा ऐसे कृत्य को पुनः करने से रोके जाने के लिए कोई वाद लाया जाता है तो यह दीवानी प्रकृति का वाद होगा।
  3. एक व्यक्ति द्वारा इस घोषणा के लिए किया गया वाद कि वह भारत का नागरिक है दीवानी वाद है।
  4. किसी कंपनी में किन्हीं शेयरों के हस्तांतरण को अवैध घोषित करने का वाद एक दीवानी वाद है, क्यों कि शेयर संपत्ति हैं।
  5. नौकरी पर पुनः लिए जाने और कार्य दिए जाने का वाद दीवानी वाद है।
  6. पास पास स्थित संपत्तियों के बीच सीमा निर्धारित किए जाने का वाद दीवानी प्रकृति का है।
  7. मकान मालिक व किराएदार के संबंधों का विवाद एक दीवानी प्रकृति का विवाद है।
  8. कर्मचारियों या नियोजक को अनुचित श्रम आचरण करने से रोके जाने का वाद सिविल प्रकृति का वाद है।
  9. किसी संपत्ति के विभाजन का वाद दीवानी प्रकृति का वाद है।
  10. किसी मूर्ति की पूजा के अधिकार का विवाद दीवानी प्रकृति का वाद है।
  11. किसी व्यक्ति की जन्मतिथि का वाद दीवानी प्रकृति का वाद है।
  12. अवैध रीति से वसूल कर ली गई राशि का वाद दीवानी प्रकृति का वाद है।
  13. किसी भूमि पर स्वामित्व के अधिकार की घोषणा का वाद दीवानी प्रकृति का वाद है।
  14. किसी संपत्ति पर कब्जा प्राप्त करने का वाद दीवानी प्रकृति का है।
  15. किसी वसीयत की शर्तों को लागू करने के लिए किया गया वाद दीवानी प्रकृति का है।

स तरह और भी अनेक प्रकार के वाद दीवानी प्रकृति के हो सकते हैं। यदि पाठकों के पास इस तरह का कोई प्रश्न हो कि कोई खास प्रकार का वाद दीवानी प्रकृति का है या नहीं तो वे अपना प्रश्न टिप्पणी के माध्यम से पूछ सकते हैं। हम अगले रविवार को उन प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

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