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Tag: Supreme Court

भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम 1861 : भारत में विधि का इतिहास-77

ब्रिटिश संसद ने 1861 में भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम पारित किया और इसी के साथ भारत में उच्च न्यायालयों के इतिहास का आरंभ हुआ। इस अधिनियम द्वारा ब्रिटिश
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उच्च न्यायालयों की स्थापना के लिए अधिनियम : भारत में विधि का इतिहास-76

ब्रिटिश भारत में 1861 तक जो न्यायिक व्यवस्था विकसित हुई थी वे दो भिन्न प्रकार की थीं। प्रेसीडेंसी नगरों मद्रास, कलकत्ता और मुम्बई में सुप्रीम कोर्ट स्थापित थे
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मद्रास में दांडिक न्याय प्रशासन : भारत में विधि का इतिहास-65

सदर निजामत अदालत मद्रास प्रेसीडेंसी में भी कलकत्ता के सदर निजामत अदालत की तर्ज पर सदर निजामत अदालत के नाम से 1802 के आठवें विनियम के अंतर्गत मुख्य
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मद्रास प्रेसीडेंसी में न्यायिक प्रशासन का विकास : भारत में विधि का इतिहास-64

बंगाल के गवर्नर को गवर्नर जनरल बना देने के बाद इस प्रेसीडेंसी में आने वाले प्रान्तों बंगाल, बिहार और उड़ीसा में न्याय व्यवस्था का विकास तेजी के साथ
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लिव-इन-रिलेशन के अपराध होने, न होने पर एक निरर्थक बहस

मंगलवार को मीडिया में जब यह खबर आई कि “सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पूर्ण पीठ ने यह कहा है कि वयस्क स्त्री-पुरुष यदि साथ रहते हैं और
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ऐलीजा इंपे ने रखी दीवानी प्रक्रिया संहिता की नींव : भारत में विधि का इतिहास-42

हेस्टिंग्स की 1772 की न्यायिक योजना में प्रान्तीय परिषदों के निर्णयों के विरुद्ध अपीलों और कुछ अन्य दीवानी मामलों की सुनवाई का दायित्व सपरिषद गवर्नर जनरल पर था।
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वारेन हेस्टिंग्स के 1780 के न्यायिक सुधार : भारत में विधि का इतिहास-41

राजा नन्दकुमार के मुकदमे का विवरण पढ़ कर वारेन हेस्टिंग्स और न्यायाधीश इम्पे के बारे में कोई भी भारतीय उन का नकारात्मक मूल्यांकन कर सकता है। लेकिन जिन
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मद्रास और मुंबई के सुप्रीमकोर्ट : भारत में विधि का इतिहास-40

  मद्रास का सुप्रीम कोर्ट ब्रिटिश संसद ने 1800 ई. में अधिनियम पारित कर मद्रास में सुप्रीमकोर्ट ऑफ जुडिकेचर स्थापित करने का अधिकार दे दिया और 26 दिसंबर
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मद्रास और मुंबई में अभिलेख न्यायालय : भारत में विधि का इतिहास-39

अभिलेख न्यायालय मद्रास और मुंबई की प्रेसीडेंसियों में आबादी निरंतर बढ़ रही थी। लेकिन उस के अनुरूप न्यायिक व्यवस्था का विकास नहीं हो पा रहा था। वहाँ अभी
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पिटस् इंडिया अधिनियम-1784 : भारत में विधि का इतिहास-38

संशोधन अधिनियम-1781 से रेगुलेटिंग एक्ट से उत्पन्न सु्प्रीम कोर्ट और गवर्नर जनरल परिषद के बीच क्षेत्राधिकार विवाद तो हल कर लिया गया था। इस से कंपनी की शक्तियों
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