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विवाहेतर शारीरिक संबंध साबित कर सकते हों तो इस आधार पर विवाह विच्छेद के लिए आवेदन करें।

divorceसमस्या-
रायपुर, छत्तीसगढ़ से सुजीत कुमार मिश्रा ने पूछा है-

मेरी चाची ने मुझे और मेरे चाचा को 498 के तहत झूठे प्रकरण में फँसाया है। चाची के नाजायज संबंध किसी अन्य व्यक्ति के साथ हैं, जिसका पर्याप्त सबूत है।  उस ने पहले स्वयं इस बात को स्वीकारा स्थानीय लोग हमारे साथ हैं। उसके द्वारा अपने प्रेमी को लिखा गया पत्र मेरे पास है। दोनों की शादी 25 वर्ष पहले 1988-1989 में हुई थी। अब चाची के परिवार वालों से हम तंग आ गये। बार बार धमकी व मानसिंक प्रताडना से तलाक हेतु उपाय बताएँ।  क्या नाजायज सबंध के बाद भी भरण पोषण देना होगा। मैं ने पहले से 10-08-2013 को राष्ट्रीय मानवाधिकार, महिला आयोग, राज्य महिला आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग में आवेदन कर सूचित किया है। इस के द्वारा 20-10-2013 को बाद में महिला थाने में हमारे विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई गयी है। उचित मार्गदर्शन करें।

समाधान-

प के विरुद्ध धारा 498-ए के अन्तर्गत रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। इस में गिरफ्तारी संभव है। सब से पहला काम तो आप यह करें कि अपने सारे सबूतों की फोटो प्रतियाँ तथा आप के साथ के स्थानीय लगों जिन के सामने चाची ने अवैध संबंध स्वीकार किए हैं उन के शपथ पत्र तैयार करवा कर उन की मदद से सत्र न्यायालय में धारा 438 दं.प्र.संहिता के अन्तर्गत अग्रिम जमानत का आवेदन प्रस्तुत कर अपनी और अपने चाचा की जमानत का आदेश प्राप्त करें। इस के बाद सारे सबूत पुलिस को प्रस्तुत करें तथा अपने पक्ष के व्यक्तियों के बयान करवाएँ। कोशिश करें कि पुलिस आप के विरुद्ध मुकदमे में आरोप पत्र प्रस्तुत न कर केवल इस बात की रिपोर्ट करे कि आप दोनों के विरुद्ध इस तरह का कोई मामला नहीं बनता है। फिर भी यदि आप दोनों के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत होता है तो उस में किसी अच्छे वकील के माध्यम से मुकदमा लड़ें। आप दोनों निर्दोष सिद्ध हो सकते हैं।

दि आप की चाची के विवाह के उपरान्त किसी अन्य व्यक्ति से शारीरिक संबंध होना आप साबित कर सकते हैं तो आप के चाचा इसी आधार पर विवाह विच्छेद के लिए आवेदन दे सकते हैं और इस आधार पर तलाक हो सकता है। लेकिन तलाक के अन्य आधार भी उपलब्ध हों तो उन का चाचा के आवेदन में वर्णन करते हुए उन्हें भी आधार बनाएँ।

प ने राष्ट्रीय मानवाधिकार, महिला आयोग, राज्य महिला आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग को जो आवेदन प्रस्तुत किए हैं उन पर कोई कार्यवाही नहीं होगी क्यों कि ये सब उन के कामकाज से संबंधित नहीं हैं। वे आवेदन सिर्फ यही साबित कर सकते हैं कि आप की शिकायत के कारण ही आप पर झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया है।

रण पोषण एक बिलकुल अलग मामला है। जब तक वह पत्नी है तब तक वह भरण पोषण मांग सकती है और वह देना होगा। लेकिन विवाह विच्छेद के समय परिस्थितियों के आधार पर न्यायालय यह तय करेगा कि पत्नी को भरण पोषण मिलना चाहिए या नहीं।

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