आर्थिक हानि के सिवा मानसिक संताप की क्षतिपूर्ति दिलाता है उपभोक्ता मंच
|समस्या-
पत्रकार रमेश कुमार जैन निर्भीक ने दिल्ली से समस्या भेजी है कि-
आजकल बाज़ार में से कोई भी चीज खरीदों. जैसे – मोबाइल की बैटरी, कम्प्यूटर के यू.पी.सी की बैटरी, स्कुटरी की बैटरी या अन्य कोई भी वस्तु जिसपर सीमित समय के लिए गारंटी/ वारंटी होती है. गारंटी अवधि में वस्तु के खराब होने पर दुकानदार/कम्पनी उपरोक्त वस्तु को बदलकर तो दे देते हैं. लेकिन बदली हुई वस्तु पर पहले वाली वस्तु की बची अवधि की ही गारंटी देते हैं. उदाहरण से समझे : पहले वाली वस्तु छह महीने की गारंटी है और वो वस्तु चार महीने के बाद खराब हो गई तो दुकानदार/कम्पनी दूसरी वस्तु पर केवल दो महीने की गारंटी की ही गारंटी देते हैं. कुछ वस्तुओं पर वारंटी होती है तो उस वस्तु में बार-बार कोई खराबी आती है तब उनका सर्विस सेंटर बहुत दूर होने के कारण बार-बार सर्विस सेंटर हर उपभोक्ता के लिए जाना सम्भव नहीं होता है. अनेक बार तो वस्तु इतनी कम कीमत की होती है कि उसको सर्विस सेंटर पर लेकर जाने का खर्चा उससे अधिक होता है. ऐसी समस्याओं के क्या उपाय है और इस विषय में उपभोक्ता कानून क्या कहते हैं ? उपरोक्त समस्या आज दिल्ली या किसी विशेष शहर की समस्या न होकर पूरे भारत वर्ष की आम जनता की है.
समाधान-
वारंटी या गारंटी पर न जाएँ। इसे ऐसा समझें कि किसी माल पर जो बेचा गया है उस पर कोई वारंटी या गारंटी नहीं है। फिर भी कोई व्यक्ति कोई खराब चीज किसी व्यक्ति को नहीं बेच सकता। यदि वह कोई खराब चीज बेचता है तो यह उपभोक्ता के साथ अन्याय है और उपभोक्ता कानून में इस तरह के अन्याय से पीड़ित कोई भी व्यक्ति उपभोक्ता न्यायालय को शिकायत प्रस्तुत कर सकता है और राहत प्राप्त कर सकता है। यदि किसी माल में मैन्युफैक्चरिंग दोष है तो उसे बदलने के लिए किसी वारंटी की कोई जरूरत नहीं है। उपभोक्ता अदालतों ने वारंटी के बिना बेचे गए माल के और वारंटी की अवधि के बाद मैन्युफेक्चरिंग दोष का पता लगने पर किए गए मामलों में उपभोक्ता के पक्ष में निर्णय किए हैं।
कम कीमत के माल के मामले में भी शिकायक की जा सकती है। आखिर अदालत मानसिक संताप के लिए भी तो क्षतिपूर्ति दिलाती है। यदि सर्विस सेंटर जाने में बहुत पैसा खर्च हुआ है और आप उसे साबित कर सकते हैं तो वह खर्चा और आने जाने में हुए समय व कष्ट के लिए भी क्षतिपूर्ति उपभोक्ता न्यायालय दिला सकते हैं।
शायद एक अच्छा मंच मिला है अपनी बात रखने और पूछने का,,
तो मेरा सवाल यह है कि मै एक बैंक में ५० हज़ार रुपए जमा करने गया जिसमे १० के नॉट की भी कुछ गड्डियां थी तो केशियर द्वारा मेरे रूपये जमा करने से मना कर दिया गया जब मैंने इसका कारण जानना चाह तो मुझे उनकी बैंक में लॉकर में जगह का ना होना बताया गया
फिर मैंने बैंक मेनेजर से रूपये जमा कराने की बात कही तो उन्होंने भी वही कारण बता कर टाल मटोली की और मेरे रूपये जमा नही किये,,
तो इसके लिए मुझे किस जगह कारवाही करनी चाहिए जिससे उन बैंक कर्मियो को उनकी गलती की सजा उन्हें मिले और मुझे उचित न्याय।
कृपया अपनी समस्या कमेंट में लिखने के स्थान पर कानूनी सलाह लिंक पर क्लिक करने पर खुलने वाले फार्म में भेजें। तभी हम समस्या का कोई समाधान पेश कर सकेंगे। धन्यवाद!
आपका बहुत-बहुत आभार..
रमेश जी आप आखिरकार सामान तो एक बार ही खरीदते हैं, और खराब हो जाने पर उसका या तो रिप्लेसमैंट होता है या फ़िर रिपेयरिंग होती है. चूंकि कीमत आप एक बार अदा करते हैं इसलिए गारंटी या वारंटी की भी एक निश्चित अवधि होती है. लिहाजा बची हुई अवधि तक ही गारंटी या वारंटी दी जाती है. फ़िर भी आप चाहें तो उपभोक्ता मंच में ये बात ने सामान के साथ मिलने वाली गारंटी या वारंटी कार्ड को आधार बनाकर कह सकते हैं.
RAVI SRIVASTAVA का पिछला आलेख है:–.डाक्यूमैंट न लौटाने पर ‘इलाहाबाद बैंक’ पर हर्जाना