किराएदार हमेशा किराएदार रहता है, लंबी किराएदारी से परिसर पर उस का कोई हक नहीं बनता।
समस्या-
पिपरिया सिटी, जिला होशंगाबाद, मध्यप्रदेश से वीरू पूछते हैं-
आज से 10 साल पहले फ़िरोज़ाबाद का एक परिवार पिपरिया आया। उनका चूड़ियों का काम है। उन्हें रहने के लिए एक किराए के घर की आवाश्यकता थी। मेरे पापा ने उन्हें हमारे 2 मंज़िला मकान में नीचे का मकान किराए पर दे दिया। बिना किसी लिखा पढ़ी के, उनकी एक थोक मनिहारी शॉप है। ऊपर वाली मंज़िल में मेरा परिवार रहता है और वो किराया नियम से देते हैं। सन् 2009 में हमें वो घर तोड़ कर नया बनाना था। हमने उन्हें कहा कि आप कहीं और व्यवस्था बना लें ताकि हम नया घर बना सकें। वो लोग व्यवस्था बनाने में लगे। पूरा सिटी देखने के बाद उन्हें कोई घर ना मिला। क्योंकि हमारा एरिया पॉश एरिया है। उन्हों ने कहा कि हमें कोई घर नहीं मिल रहा है जब मिल जाएगा तब खाली कर देंगे। तो पापा ने कहा आप टाइम और ले लीजिए पर घर जल्दी खाली कीजिए। क्योंकि मकान की हालत खराब है। फिर उन्होंने हमारे पड़ौस का मकान खरीद लिया। हमारे पड़ौसी के मकान में कोई क़ानूनी समस्या होने के कारण हमारे किरायेदार और पड़ौसी के बीच 2010 से मुक़दमा चल रहा है। जिसे आज 2 साल हो गये उनका मुक़दमा चलने के कारण वो हमारा घर खाली नहीं कर रहा है। हमें अपने मुक़दमे के बहाने बता कर बोलता है कि हमें कोई घर नहीं मिल रहा है, घर मिलने पर या मुक़दमा जीत लेने पर घर खाली कर देंगे। मेरे पापा उन्हें कई बार कह चुके हैं। वो सिर्फ़ अपनी पेशियाँ गिनवाते है और कहते हैं। बस अगली पेशी में मुक़दमा जीत जाएँगे। लेकिन मुझे सच मालूम है कि कोर्ट के चक्कर में समय लगेगा और हमारा घर ऐसे खाली नहीं होगा। मेरे पास लिखा पढ़ी नहीं होना मेरे लिए गलती है। मैं ने सुना है कि लंबे समय से रह रहे किरायेदार को मालिकाना हक़ मिल जाता है। आप मुझे कृपया कोई जल्द पुख़्ता समाधान बताएँ।
समाधान-
हम पहले भी अनेक बार बता चुके हैं कि किराएदारी लिखित हो या न हो कोई भी किराएदार मकान मालिक नहीं हो सकता। वह सदैव ही किराएदार बना रहता है। आप का किराएदार आप को नियमित रूप से किराया देता है। वह निश्चित रूप से आप से किराए की रसीद भी प्राप्त करता होगा। यदि आप के पास कोई लिखा पढ़ी नहीं है तो इस बार किराया अदा करने आने पर उसे रसीद दो पन्नों वाली रसीदबुक से बना कर दी जाए। जिस का एक पन्ना या फिर रसीद की कार्बन प्रति आप के पास रहे। ऐसी किराए की रसीद बुकें बाजार में छपी छपाई मिल जाती हैं। रसीद देने से पहले आप के पिता उस पर हस्ताक्षर करें और किराएदार के भी करा लें। इस से जो रसीद की कार्बन या दूसरी प्रति आप के पास रहेगी वह इस बात का सबूत होगी कि आप का किराएदार किराएदार ही है और परिसर का मासिक किराया क्या है।
यदि आप को लगता है कि आप का किराएदार वास्तव में मकान खाली करने के प्रति चिंतित है तो आप कुछ दिन और प्रतीक्षा कर सकते हैं। आप के किराएदार और खरीदे हुए पुराने मकान मालिक के बीच जो भी मुकदमा चल रहा है उस में वास्तव में समय लग सकता है। फिर यदि किराएदार के पक्ष में निर्णय हो भी जाता है तो भी उस की अपील की जा सकती है। इस कारण से वह मामला लंबा खिंच सकता है। हालाँकि मकुदमों में समय लगता है। लेकिन एक शान्तिप्रिय व्यक्ति के लिए मुकदमा करने के सिवा और क्या चारा है आप को लगता है कि आप का किराएदार ऐसे मकान खाली नहीं करेगा तो आप उस पर मकान खाली करने का मुकदमा कर दें। उस में जितनी देरी करेंगे उतनी ही देरी मकान खाली कराने के निर्णय में होगी।
आप के पास मकान खाली कराने के पर्याप्त आधार हैं। पहला आधार तो यही है कि मकान जर्जर हो चुका है और कभी भी गिर सकता है और जनहानि हो सकती है। यदि मकान की हालत वाकई खऱाब है तो आप किसी इंजिनियर से या नगरपालिका के अधिकारी से निरीक्षण करवा कर प्रमाण पत्र ले सकते हैं कि मकान खतरनाक हालत में है और इसी आधार पर मुकदमा कर सकते हैं। यदि आप के नगर में नगरीय किराया कानून प्रभावी नहीं है तो केवल पंद्रह दिन अथवा एक माह का नोटिस किराएदारी समाप्ति का दे कर भी मकान खाली करने का वाद प्रस्तुत किया जा सकता है। मेरी राय में आप को अब अधिक देरी नहीं करनी चाहिए और मकान खाली कराने के लिए मुकदमा कर देना चाहिए। इस के लिए आप को अपने नगर के किसी वरिष्ठ दीवानी मामलों के वकील से जिन्हें मकान मालिकों और किराएदारी के मुकदमों में पैरवी करने का अनुभव हो उन से सलाह लेनी चाहिए और उन की सलाह के अनुसार मकान खाली करने का मुकदमा करना चाहिए।
गुरुदेव जी, एक छोटा सा सुझाव-यदि आपकी वेब में Recent कमेंट्स के कालम में कम से कम दस टिप्पणियाँ दिखाई दे ऐसी व्यवस्था करवाएं. किरायेदार से संबधित काफी अच्छी जानकारी मिली.
रमेश कुमार जैन उर्फ सिरफिरा का पिछला आलेख है:–.पत्नी को पगार देंगे, बर्खास्तगी का अधिकार भी चाहिए ?
एक आम समस्या पर सही सुझाव दिया है . हालाँकि मुक़दमेबाज़ी में समय बहुत लगता है. लेकिन कोई चारा भी नहीं होता.