जीवन कर्ज में बिताने से अच्छा है तलाक के लिए मुकदमा लड़ा जाए।
|समस्या-
किच्छा, उत्तरखण्ड से मनमोहन शर्मा ने पूछा है –
मेरा विवाह 30 मई 2010 में मेरे शहर से 15 किलोमीटर दूर लालकुआँ नाम के कस्बे में जिला नैनीताल, में हुआ था। सगाई 28 नवम्बर 2009 को मेरे शहर किच्छा जिला उधमसिंह नगर, उत्तराखण्ड के एक होटल में हुई। विवाह के 2 महीने बाद से ही मेरी पत्नी फ़ैशन डिजाईनिंग का कोर्स घर से 15 कि.मी. दूर रुद्रपुर में करने लगी। सारा खर्च मैं देता था। जुलाई 2011 में वह अपनी मर्जी से रुद्रपुर में होस्टल में रहने चली गई। वहां भी मैं लगभग 15000 रुपये प्रति माह देता रहा। वह बार-बार होस्टल में मिलने आने की जिद करती थी। मैं सरकारी प्राईमरी स्कूल में सहायक अध्यापक के पद पर उत्तरप्रदेश में घर से 13 कि.मी. दूरी पर कार्यरत हूँ, मेरे लिये रोज रोज ड्यूटी छोड कर जाना संभव नहीं था, वह फोन से एवं एसएमएस से तलाक देने की बात करने लगी और यह भी कहती रही कि मेरे पिताजी को मत बताओ। मेरे घर के पीछे ही उसके सगे मामा रहते हैं, मैं ने उनसे यह बात बताई, उन्हों ने उसके पिता से कहा, उसके पिता उसको होस्टल से अपने घर ले गये। नवम्बर में उसके पिता का फ़ोन आया कि अब वह ऐसा नहीं करेगी, आप आकर उसे ले जायें। 9 नवम्बर को मै उसे घर ले आया। उसके साथ उसकी छोटी बहन भी आई। 16 नवम्बर को दोनो बहनें घर में रखे गहने आदि ले कर अपने घर चली गईं। इन दोनों को जाते हुए मेरी कॉलोनी के बहुत से लोगों ने देखा। उसके बाद उसने मोबाईल नंबर बदल लिया और उसके परिवार वाले मुझे धमकी देने लगे कि मैं उन्हें 8 लाख रुपये दे दूं। वरना दहेज एक्ट में जेल जाने को तैयार रहूँ। फ़िर वह महिला हेल्प लाईन, हल्द्वानी, जिला नैनिताल में गये। वहां पर उसने घर आने से मना कर दिया। हेल्प लाईन से यह रिपोर्ट लग गई। इसके बाद वे लोग मेरे उपर जान से मारने की धमकी देने व 498-ए आईपीसी आदि धाराओं के आरोप लगा कर धारा 156 में अदालत चले गये। मेरी पत्नी ने सगाई के बाद मुझसे 50000 रुपये यह कह के मांगे थे कि उसके पिता ने उसे रुपए दिए थे लेकिन ब्यूटी पार्लर की दुकान में मेरे बैग से किसी ने निकाल लिए मैं ने तभी उस के खाते में अपने खाते के चैक से 20,000 रुपए जमा कराए थे। मैं ने पुलिस को ये सबूत, उसकी पढाई के खर्चे की रसीदें, इन्कम टैक्स रिटर्न, फ़ार्म 16 दिए तो उनका यह परिवाद खारिज हो गया। ब्यूटी पार्लर वाले ने भी सारा सच बताते हुए लिखित में सब कुछ दे दिया। पैसे चोरी होने की बात झूठी थी। पूरा परिवार मिला हुआ था। फ़िर वे लोग कम्पलेन्ट केस में चले गये। वह केस भी उनका खारिज हो गया। इन के वाद दायर करने से पहले ही मैने पत्नी को घर लाने का केस कर दिया था। उस केस में भी अदालत में वह घर न आने की बात कह चुकी है, फ़ैसला आना बाकी है। मेरे घर से जो गहने आदि ले कर वह गई थी उसका सबूत भी है। उन लोगो ने सभी समान पड़ौसी के घर में रखा था वह अपना बयान देने को तैयार है। मेरे शहर में अच्छे वकील की कमी हैं। वह कहते हैं कि 4-5 लाख दे कर समझौता कर लो। मेरे उपर पहले ही 3 लाख का लोन है। वह लड़की दूसरे लडको के साथ घूमती रहती है। उसके पिता कहते हैं, आप को क्या मतलब है। उसके मामा मेरे पक्ष में ही हैं, अतः मेरे तीन प्रश्न है कि
- क्या मेरी पत्नी अदालत से घर आने का आदेश होने के बावजूद गुजारा भत्ता ले सकती है?
- उनके केस खारिज हो चुके हैं, मैं मानहानि या कोई किसी और प्रकार का केस उन पर कर सकता हूं?
- क्या करुँ कि तलाक मिल जाये?
समाधान-
आप की सारी कहानी आप ने स्वयं ही बता दी है। आप की पत्नी अपना जीवन खराब कर रही है और इस काम में उसे उस के पिता का पूरा योगदान मिल रहा है। ये लोग किसी भाँति सुधर नहीं सकते। आप का यह सोचना ठीक है कि आप को तलाक ले लेना चाहिए। उस ने जो बाधाएँ आप को जीवन में खड़ी की हैं उन का अच्छे से मुकाबला आप ने कर लिया है। अब विवाह विच्छेद के लिए तो आप को जिला मुख्यालय पर ही कार्यवाही करनी होगी। वहाँ आप को अच्छे वकील मिल जाएंगे।
आप की पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश हो सकता है या नहीं? यह तनिक मुश्किल प्रश्न है। इस का उत्तर देना असंभव है। लेकिन अब तक जो कुछ हो चुका है उस के बाद कोई भी न्यायालय गुजारा भत्ता उसे दिलाना उचित नहीं मानेगा। लेकिन आप को उस के लिए गुजारा भत्ता के प्रकरण में ठीक से पैरवी करनी पड़ेगी और अब तक जो भी कार्यवाहियाँ हुई हैं उन की प्रतिलिपियाँ व अन्य दस्तावेजी सबूत के साथ गवाहों की गवाहियाँ न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करनी होंगी। इतना ही कहा जा सकता है कि यदि आप की तरफ से मुकदमे की पैरवी ठीक से हुई तो आप की पत्नी गुजारा भत्ता प्राप्त करने में सफल नहीं हो सकेगी। लेकिन यदि प्रतिवाद ठीक न हुआ तो गुजारे भत्ते का आदेश हो सकता है। इस मुकदमे को आप को ठीक से लड़ना ही होगा। क्यों कि गुजारा भत्ते का आदेश हुआ तो वह पुनर्विवाह तक के लिए गुजारा भत्ता प्राप्त कर सकती है जो कि एक बड़ी मुसीबत हो सकता है।
आप की अब तक हुई कार्यवाहियों से संबंधित सभी दस्तावेजों के अध्ययन से ही यह कहा जा सकता है कि आप मानहानि का अथवा दुर्भावनापूरण अभियोजन का मुकदमा अपनी पत्नी और उस के पिता के विरुद्ध कर सकते हैं अथवा नहीं। इस मामले में आप को अपने नजदीक के किसी जिला मुख्यालय पर किसी अनुभवी वकील की राय और सहायता प्राप्त करनी चाहिए।
आप विवाह विच्छेद की डिक्री ले सकते हैं। दाम्पत्य संबंधों की पुनर्स्थापना के मुकदमे में आप को डिक्री मिल जाने के उपरान्त वह आप के पास न आए तो आप इस आधार पर तलाक का मुकदमा कर सकते हैं। अकारण वैवाहिक संबंधों से इन्कार करना व एक वर्ष से अधिक से आप से अलग रहना दूसरा आधार हो सकता है। इस के अतिरिक्त क्रूरतापूर्ण व्यवहार व अन्य आधार भी आप को उपलब्ध हो सकते हैं।
वकील समझौते की इसलिए सलाह देते हैं कि न्यायालय की कार्यवाही में कुछ वर्ष गुजर जाएंगे जब कि सहमति से तलाक आठ दस माह में हो सकता है। तलाक हुए बिना आप दूसरा विवाह कर के अपना जीवन आरंभ नहीं कर सकेंगे। लेकिन जब आप पर पहले ही तीन लाख का कर्ज है तब पाँच लाख खर्च कर के आप तलाक लें और फिर दूसरे विवाह पर भी खर्च करेंगे तो आगे के जीवन में अत्यधिक कठिनाई हो जाएगी। इस कारण से आप को तलाक के लिए मुकदमा ही लड़ना चाहिए बजाए इस के कि आप पाँच लाख रुपए दे कर समझौता करें और सहमति से तलाक प्राप्त करें। हाँ लाख-दो लाख में बात बन जाए तो ऐसा किया जा सकता है। वैसे भी यदि आप यह रुख अपना लेंगे कि आप कुछ नहीं देंगे तो कुछ समय बाद आप की पत्नी और उस के पिता लाख-दो लाख रुपए में समझौता करने को खुद भी प्रस्ताव रख सकते हैं।
आप के मामले में हमारी राय यही है कि आप को दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना की डिक्री प्राप्त करने के बाद अपनी पत्नी से विवाह विच्छेद की कार्यवाही शीघ्र कर देनी चाहिए। डरने की कोई वजह नहीं है आप सही हैं और न्यायालय में भी सही प्रमाणित होंगे।
Meri biwi NE b mere khilaf 498A k tahat Jutha case Kiya hai please well respond to me
आदरणीय, दिनेशराय द्विवेदी जी
अपेक्षा से बहुत पहले मेरे प्रश्न का उत्तर प्राप्त हो गया, सच मानिये आपकी सलाह के बाद चैन से सो पा रहा हूं
बहुत बहुत धन्यवाद