पति धारा 125 दं.प्र.सं. में नहीं, लेकिन हिन्दू विवाह अधिनियम में पत्नी से भरण पोषण प्राप्त कर सकता है।
|सौरभ ने प्रतापगढ़ राजस्थान से समस्या भेजी है कि-
क्या मैं अपनी पत्नी के विरुद्ध धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत भरण पोषण हेतु न्यायालय को आवेदन प्रस्तुत कर सकता हूँ?
समाधान-
धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत एक पत्नी, पुत्र, पुत्री, पिता और माता ही जो स्वयं अपना भरण पोषण करने में समर्थ नहीं हैं भरण पोषण के लिए न्यायालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। एक पति को इस अधिनियम के अन्तर्गत पत्नी से भरण पोषण प्राप्त करने का कोई उपाय उपलब्ध नहीं है। इस के साथ ही हिन्दू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम में भी पति को पत्नी से भरण पोषण प्राप्त करने हेतु कोई उपाय प्राप्त नहीं है।
केवल हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 24 तथा 25 के अन्तर्गत पति को पत्नी से भऱण पोषण प्राप्त करने का उपाय प्राप्त है। इस कारण यदि आप के और आप की पत्नी के बीच हिन्दू विवाह अधिनियम के अन्तर्गत कोई विवाद किसी न्यायालय में लंबित हो तो आप उस विवाद के लंबित रहते धारा-24 के अन्तर्गत भरण पोषण प्राप्त करने तथा मुकदमा खर्चा प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। धारा 25 का आवेदन भी प्रस्तुत कर सकते हैं जिस से हिन्दू विवाह अधिनियम के लंबित विवाद में निर्णय और डिक्री पारित करते समय न्यायालय आप को भरण पोषण दिलाए जाने के लिए आदेश पारित कर सके।
क्या एक विधवा पुत्री ,अपने पिता से भरण पोषण राशि प्राप्त कर सकती है ?
मेरी पत्नि ने मेरे खिलाफ १२५का केस दर्ज करवा कर मेरे भाई के नाम की फर्जी तामिली बताते हुये केस को एक पक्षिय करवा लिया बिना किसी इनकम प्रुफ साबित हुये कोर्ट ने ६०००रू महिने का आदेश कर दिया है और ३० माह के हिसाब से १८०००० की रिकवरी का भी आदेश कोर्ट ने कर दिया मुझे ईसकी कोई सूचना नही थी जबकी मे अभी एक छात्र हु और न ही मेरे पास कोई सम्पत्ति है जबकी इससे पहले का मेरा धारा ९का केस चल रहा है
अब मे क्या करू कृपा करके कोई सलाह दे
apke jesi condition meri he but court bhut pareshan kr rahi he Highcourt se bhi koi stay nahi mila 2 saal se…
Income se jyada 125 case me 2 guna adesh huaa he jitni meri hasiyat nahi hain…uske liye kya kare.. Bhut problum hain..kya krna chahiye kripya btaye…jb ki 489a dahej case main court ne bari kar diya…
मेरी पत्नि ने मेरे खिलाफ १२५का केस दर्ज करवा कर मेरे भाई के नाम की फर्जी तामिली बताते हुये केस को एक पक्षिय करवा लिया बिना किसी इनकम प्रुफ साबित हुये कोर्ट ने ६०००रू महिने का आदेश कर दिया है जबकी मे अभी एक छात्र हु और न ही मेरे पास कोई सम्पत्ति है जबकी इससे पहले का मेरा धारा ९का केस चल रहा है
अब मे क्या करू कृपा करके कोई सलाह दे
मैने अपनी पत्नी के विरुद्ध सेक्सन १३ का दावा किया है तथा उस आदमी पर ४९७ का केस किया है इन दोनों की अवैध सम्बन्धों का प्रमाण आडियो रिकार्डिंग है क्या मुझे न्याय मिलेगा
हम दोनों ने १३-बी के अंतर्गत विवाह विच्छेद की डिग्री प्राप्त करने का प्रार्थना पत्र न्यायालय में पेश किया , करीब १८ महीने बाद मेरी पत्नी ने यह तर्क देते हुए प्रार्थना पत्र को ख़ारिज करवा लिया की पति निरंतर पेशियों पर नहीं आता , जबकि स्वयं केश के दौरान ५ पेशियों पर अनुपस्थित रही जबकि मैं कुल मिलकर २ अलग – अलग पेशियों में अनुपस्थित रहा .
कोई बात नहीं .
कुछ दिनों के बाद ही उसने अपने शहर में धरा १३ एवं १२५ का प्रार्थना पत्र पेश कर दिया ,
उसे तलाक की डिग्री चाहिए थी इसलिए पुनः १३ बी का प्रार्थना पत्र पेश कर दिया .
इस दौरान १३ और १२५ की फाइल भी न्यायलय में चल रही है . अगर मैं १३ बी से लोट आता हूँ तो दोनों फाइल पर कार्य होगा .
मेने धरा -९ कोटा में लगा रखा है जिसपर पत्नी ने अपने शहर में केश को ट्रांसफर एप्लीकेशन लगा रखी है और स्टे आर्डर ले रखा है ,
उसने सरकारी नौकरी के लिए RPSC बोर्ड अजमेर के ५ फॉर्म तलाक शुदा कोठे में भर रखे है जिसके परिणाम के बाद उसे डाक्यूमेंट्स वेरीफिकेशन के लिए डिग्री की आवस्यकता होगी .
सभी प्रूफ कोर्ट में पेश कर चुका था .
दोनों के बीच में एक ४ वर्ष की लड़की है जो गार्जियन एक्ट के तहत उसने मुझे दी है वह पिछले १५ महीने से मेरे पास है ,
जिससे उसमे आज तक मिलने की कोशिश भी नहीं की.
अगर में १३ बी से आपसी सहमति वापस लेता हूँ तो धारा ९/ १३ / १२५ पर क्या प्रभाव पडेगा . मुझे क्या नुकशान होगा
प्लीज बताने की कृपा करें .
मे चाहता हु कि जब मेरी पत्नी धारा १२५ के तहत केस करे तो मुझे उसके शहर के कोर्ट मे ना जाना पडे और उसे हर महिने पैसे भी मिलते रहे. तो क्यामे ऐसा कर सकता हु.
मे अपनी पत्नी को भरण पोषण देने के लिये ध़ारा१२५ के तहत केस करना चाहता हु.क्या मे ऐसा कर सकता हु.
धार १२५ मे यह असमानता क्यू
यहाँ पर महिला को समानता का हक़ नहीं चहिये क्या ? सब तरफ तो समानता के लिए लड़ाई लड़ रही है
क्या महिलाओं को सामाजिक रूप से वास्तव में समानता का अधिकार मिल चुका है? नहीं वे आज भी सामाजिक रूप से रक्षिता हैं। इसी कारण उन्हें यह अधिकार है, माता पिता को है और बच्चों को है। एक पति को नहीं है। असल में यह प्रश्न स्त्री या पत्नी के अधिकार का नहीं है अपितु पति के अधिकार का है।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.पति धारा 125 दं.प्र.सं. में नहीं, लेकिन हिन्दू विवाह अधिनियम में पत्नी से भरण पोषण प्राप्त कर सकता है।
मैं अपनीपत्नी को भरण पोषण देने के लिए धरा १२५ के तहत केस करना चाहता हु.क्या मैं ऐसा कर सकता हु.
आप को पत्नी को भरण पोषण देना है तो कोई केस करने की क्या जरूरत है? आप उसे वैसे ही दे सकते हैं। 🙂
तीसरा खंबा का पिछला आलेख है:–.चरागाह पर बना मकान अतिक्रमण है जिसे हटाया जा सकता है और अतिक्रमी को दंडित किया जा सकता है …
मे चाहता हु कि जब मेरी पत्नी धारा १२५ के तहत केस करे तो मुझे उसके शहर के कोर्ट मे ना जाना पडे और उसे हर महिने पैसे भी मिलते रहे. तो क्यामे ऐसा कर सकता हु.