पत्नी पति और उस के परिजनों पर भरण-पोषण, घरेलू हिंसा, दहेज का मुकदमा कर दे तो बचाव में क्या करें?
| विगत आलेख में हमारे पाठक ????? जी ने पांच सवालों के उत्तर चाहे थे, शेष रहे चार सवाल ये हैं……
1. सर, जब लड़की वाले लड़के वालों पर मैंटीनेंस, घरेलू हिंसा, दहेज आदि के केस लगा देते हैं तो क्या लड़के वालों के पास बचाव में कोई ऐसा केस नहीं है जो वे लड़की वालों पर लगा सकें?
2. सर, मैं ने एक वकील से सलाह ली तो वे बोले कि कोई भी लड़की वालों की रजिस्ट्री मत लेना। सर, इस से क्या होगा? क्या यह मेरे पक्ष में होगा? और यदि यह सही है तो कब तक मैं ऐसा करूँ?
3. सर, क्या मैंटीनेंस के, घरेलू हिंसा के तथा दहेज केस में स्टे ले सकता हूँ? और कब तक?
5. सर, मेरी पत्नी तीन साल से अपने मायके में है तो क्या घरेलू हिंसा बनती है?
उत्तर
पत्नी पति और उस के परिजनों पर भरण-पोषण, घरेलू हिंसा, दहेज का मुकदमा कर दे तो बचाव में क्या करें?
लगता है, श्री ????? बहुत ही डरे हुए हैं। या तो इन सज्जन ने खुद गलतियाँ की हैं और उन के कारण खुद भयभीत हैं या फिर ये लोगों के किस्से सुन कर डर गए हैं। इन के प्रश्नों से लगता है कि अभी तक कोई मुकदमा इन की पत्नी की ओर से नहीं हुआ है। तीन वर्ष से इन के साथ नहीं रह कर अपने पिता के साथ रह रही है। अब यदि पत्नी के साथ इन सज्जन ने उचित व्यवहार नहीं किया है और घरेलू हिंसा की है तो ये तीनों मुकदमे करना इन की पत्नी का वाजिब अधिकार है। फिर तो एक ही राह रहती है कि ये खुद किसी तरह पत्नी को मना कर अपने साथ रखें और झगड़ा समाप्त करें। यदि ये गलती स्वीकार कर लें और भविष्य में न करने का आश्वासन दें तो यह समस्या का घर में ही, अथवा संबंधियों या मित्रों की मध्यस्थता से समाधान हो सकता है। यदि इन की कोई त्रुटि नहीं है तो फिर दूसरा मार्ग है।
अब यदि इन की कोई गलती नहीं तो ये भयभीत क्यों हो रहे हैं? इन की पत्नी तीन साल से अधिक समय से इन के साथ नहीं रह रही है। यदि ये चाहते हैं कि अपने साथ रखें और यह विवाह कायम रहे तो किस का इंतजार कर रहे हैं? हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा-9 के अंतर्गत अदालत में वैवाहिक संबंधों की पुनर्स्थापना की अर्जी पेश करें। यदि इस काम में इन्हों ने देरी की तो इन्हें उक्त तीनों मुसीबतों बचाना किसी के भी लिए आसान नहीं होगा। धारा- 9 की अर्जी लगा देने के उपरांत उक्त तीनों ही मुकदमे चला पाना इन की पत्नी के लिए आसान नहीं होगा। यदि पाठक श्री ????? जी की पत्नी के पास इन से अलग रहने का कोई वाजिब कारण हुआ तो फिर धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम की अर्जी नहीं चल पाएगी। यह भी हो सकता है कि श्री ????? जी और इन की पत्नी के बीच अब वैवाहिक संबंध की कोई अवस्था ही नहीं रह गई हो। वैसी स्थिति में बिना युक्तियुक्त कारण के तीन वर्ष से इन के साथ न रह कर अलग रहना या पिता के पास रहना एक ऐसा कारण है कि श्री ????? जी उस के आधार पर धारा 13 हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत सीधे विवाह विच्छेद (तलाक) की डिक्री प्राप्त करने के लिए अर्जी अदालत में पेश कर सकते हैं।
श्री ????? जी को जिस किसी वकील ने सलाह दी है कि कोई भी रजिस्ट्री मत लेना, बहुत ही गलत सलाह दी है। इस का लाभ कुछ भी नहीं है और नुकसान बहुत हैं। यदि पत्नी ने कोई नोटिस इन्हें दिया और इन्होंने डाक लेने से मना कर दिया तो अदालत यही मानेगी कि इन्हों ने जानबूझ कर नहीं लिया और इन्हें नोटिस की जानकारी थी। जब यह माना ही जा
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सर नमस्कार मज़ाभाचा पत्नी ने 498केस दा खल केली ।त्या मदय मामा मामी काका मावशी असे 7जनची नावे ताकली।ते दोखे मुंबई राहत होती बाकी 6जन ५००कम दूर राहतो।फिर जल अहे।मा सुप्रीम कोर्ट चे शुचना आहेत की नातेवाईक नावे टाकु नये।तरी आ म्ही अटक पुर्व ज़मानत घेतली ।3जन नोकरीला अहे तसेच मानशिक त्रास दिला असे सुदा केस केली।ति लगाना नतर 6महिने पति सोबत होती तिने 12महिने पासून आ इ व बाबा कड़े आहे।पतीने डिवोर्स ची केस दा खल केलि ।तिला यकतील किति खवाति पड़ेल।पति १५००० ।महीना आहे।दूसरे लग्न करता येईल का ?माहिती द्या
इन औरतों ने तो जीना मुश्किल कर दिया है । पता नहीं किसने ऐसे कानून बनाए हैं । ज्ञानी लोग भी पागलों वाली बात करते हैं कोर्ट में
superior almanac you teem with
आज के इस दौर मे अच्छा वकील मिलना बहुत ही मुश्किल है । आपके द्वारा दी गयी जानकारी से बहुत से पाठको का भला हो जाता है । हमारे जैसे अनाडी आदमी भी कानून को समझने लग जाते है ।
कानून से संबधित जानकारियों मे इजाफ़ा हो रहा है. बहुत धन्यवाद आपको.
रामराम.
रापकी पोस्ट पढ कर बहुत अच्छी जानकारी मिली आभार्
अच्छी जानकारी.
अच्छा लगा समाधानों को पढ़कर.
अच्छा कार्य कर रहे हैं.
ब्लोग के जरिये अच्छी समाज सेवा कर रहे है.एक़ सही समय पर सही राय मिलना भी बहुत मुश्किल होता है बधाई