मुकदमे की पैरवी में कोताही न बरतें।
|नरेन्द्र ने डुले, महाराष्ट्र से पूछा है-
मैं आपनी पत्नी को दो साल बाद काउंसिलिंग करके घर ले आया मेरी दो लडकियाँ हैं, मैं ने उनका इंग्लिश स्कूल में एडमिशन करवा दिया है। बड़ी लड़की ३ में है और छोटी लड़की एलकेजी में है। २ माह पेपर को बाकी थे, हम दोनों का वाद हुआ तो घर से चली गई और केस कर के मुझे अदालत में केस में मुझसे पालन पोषण के लिए १३००० हजार रुपये मांग रही है। मैं निम्न सरकारी कर्मचारी हूँ। मेरा वेतन १३, ५०० रुपया है उसमें काट का मेरे पास ५००० हजार रुपये आते हैं। कृपया मुझे बताएँ कि मैं क्या करूँ?
समाधान-
आप की पत्नी ने आप के विरुद्ध पालन पोषण का खर्चा प्राप्त करने के लिए आवेदन किया है। इस तरह के आवेदन धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता, घरेलू हिंसा अधिनियम तथा हिन्दू विधि के अन्तर्गत प्रस्तुत किए जा सकते हैं। तीनों के न्यायालय भिन्न भिन्न हो सकते हैं और तीनों आवेदन एक साथ भी प्रस्तुत किए जा सकते हैं और तीनों पर विचारण भी हो सकता है। आप ने अपनी समस्या में यह नहीं बताया कि आप के विरुद्ध यह आवेदन किस प्रकार है और किस तरह के न्यायालय के समक्ष है। तीनों ही न्यायालयो से अलग अलग परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि आप किसी स्थानीय वकील की मदद लें और उन्हें बताएँ कि आप की आय और आर्थिक साधन क्या हैं? पत्नी के पास बच्चियों के साथ अलग रहने का कोई उचित कारण भी है अथवा नहीं है। आप आप के विरुद्ध प्रस्तुत आवेदन का जवाब वकील से तैयार कराइए और अपना प्रतिपक्ष मजबूती से प्रस्तुत कीजिए। यदि आप की आय 13500 रुपए ही है और आप इसे न्यायालय में साबित कर देते हैं कि इस के सिवा आप की कोई अन्य आय नहीं है, तो इस आय के आधार पर ही भरण पोषण निर्धारित किया जा सकता है जो इस बात पर निर्भर करेगा कि आप की कुल आय पर कितने लोग आश्रित हैं और उन के बीच कैसे उचित वितरण किया जा सकता है। आप अपने वकील को सारी बात समझाएँ उन्हें मजबूत सबूत दें। अपनी ओर से मुकदमे की पैरवी कराने में कोताही नहीं बरतेंगे तो आप को अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे।
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