मुस्लिम विधि में बेटी को उत्तराधिकार
रशिद नाईकवाडे ने आआजरा, महाराष्ट्र से समस्या भेजी है कि-
मेरी माता मुस्लिम है। क्या उन्हें उनके पिता की जमीन में हिस्सा मिल सकता है?
समाधान–
मुस्लिम विधि में पुश्तैनी संपत्ति नाम की कोई संपत्ति नहीं होती। जो संपत्ति जिस की होती है उसी का उस पर स्वामित्व होता है और कोई भी उस की संपत्ति में हिस्सा नहीं मांग सकता। यदि किसी संपत्ति के स्वामी की मृत्यु हो जाए तो मुस्लिम विधि के अनुसार मृतक के कर्जों, मेहर व अन्तिम संस्कार का खर्च चुकाने के उपरान्त जो संपत्ति बचे उस का उत्तराधिकार तय होता है। जिन जिन लोगों को विधि के अनुसार मृतक की संपत्ति का हिस्सा मिलता है उस का वे बँटवारा नहीं करें तब तक वह उन उत्तराधिकारियों की संपत्ति बनी रहती है। अनेक बार उत्तराधिकारियों में से कुछ का देहान्त बँटवारे हो जाता है। तब उस उत्तराधिकारी के हिस्से में उस के उत्तराधिकारियों के हिस्से निहित हो जाते हैं। इस कारण संयुक्त संपत्ति का जितनी जल्दी बँटवारा हो जाए अच्छा है।
कोई भी मुस्लिम वसीयत भी कर सकता है। लेकिन यह वसीयत उस की एक तिहाई संपत्ति की ही की जा सकती है तथा किसी भी उत्तराधिकारी के नाम नहीं की जा सकती, जब तक कि अन्य उत्तराधिकारियों से वसीयत करने वाला अनुमति प्राप्त नहीं कर ले।
मुस्लिम विधि में उत्तराधिकार में बेटी का हिस्सा बेटे के हिस्से से आधा है। यदि आप की माता जी के पिता की मृत्यु हो चुकी है तो उन की संपत्ति में उन का हिस्सा है और वे इसे प्राप्त करने के लिए संयुक्त संपत्ति के बँटवारे का वाद संस्थित कर सकती हैं।
मेरे पिताजी श्री राम प्रसाद दिल्ली विद्युत बोर्ड मेँ कार्य करते थे जिन की मृत्यु २००० हो गई थी करुण मूलक नौकरी के लिए मैन्ने आवेदन किया अजय कुमार ने लेकिन उसमेँ age limit की गई थी 18 से 25 साल के बीच होनी चाहिए इसलिए मुझे नौकरी नहीँ दी गई क्योंकि मेरी आयु 30 वर्ष थी अभी तक मैन्ने कई पत्र दिल्ली विद्युत बोर्ड अथवा दिल्ली सरकार को दिए कोई फायदा नहीँ हुआ मेरी बहन अथवा बीमार माँ के साथ मेँ भूखे मर रहे हैँ इस केस मेँ किस से मिले और किस को पत्र लिखेँ प्यार सही समाधान करेँ
मेरे पिताजी दिल्ली विद्युत बोर्ड मेँ नौकरी करते थे 14 नवंबर 2014 मेँ उनकी मृत्यु हो गई थी मिर्ची उपरांत मेँ अजय कुमार ने फॉर्म भरे थे लेकिन अभी तक नौकरी नहीँ मिली उस समय मेरी आयु 30 थी इस नौकरी के लिए आयु की क्या जरुरत पक्या यह एक लिमिट थी या नौकरी ना देने का बहाना हम लोग भूखे मर रहे हैँ मेरी माँ भी बहुत बीमार है अभी तक फॉर्म भर भर के दिल्ली सरकार अथवा अंय लोगोँ को पत्र दिया है लेकिन कोई फायदा नहीँ हुआ नौकरी मिलना क्या यह व्यर्थ का फॉर्म होता है मैँ 12वीँ पास हूँ कोर्ट मेँ इस नौकरी का क्या प्रावधान है हम इस नौकरी के लिए किस से मिले और किसको पत्र दे जो सही राह दिखाएँ नौकरी मिल सकती है या नहीँ
आप दिल्ली में किसी वकील से मिलिए और अपने दस्तावेज उन्हें दिखा कर रिट करवाइए। चाहें तो उस के पहले सीधे मुख्यमंत्री को अपना प्रतिवेदन भेज सकते हैं।