DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

यदि घर सहदायिक सम्पत्ति है तो आपकी माँ का आज भी उस घर में हिस्सा है।

समस्या-

राहुल ने नयी दिल्ली से पूछा है

मेरी माँ का तलाक हो चुका है, मैं अपनी माँ का इकलौता बेटा हूँ और हम दोनों अपने नाना के घर रहते हैं। मेरा जन्म मेरे नाना के घर ही हुआ था। मेरी माँ की शादी के एक साल बाद ही तलाक हो गया था और तब से मेरी माँ अपने पिताजी यानि के मेरे नाना के घर रहती है। मेरी माँ  के तीन भाई हैं जो कि हम दोनों को परेशान करने लगे हैं. उन पे हम एक बोझ बन गए हैं। मैं जॉब करता हूँ। पर अभी इतना नहीं कमा पाता हूँ कि अलग घर ले सकूँ. जिस घर में अभी हम नाना के साथ रह रहे हैं वह घर अक्सर बेचने की बात होती रहती है। मेरी सवाल यह है कि क्या मेरी माँ को इस घर से कुछ हिस्सा मिलेगा?

समाधान-

जिस घर को बेचने की बात होती है उस घर में आपकी माँ को हिस्सा मिलेगा या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसका स्वामित्व कैसा और किसका है?

यदि वह घर आपके नाना ने अपनी स्वयं की आय से बनाया है और वह उनकी स्वअर्जित सम्पत्ति है तो आपके नाना के जीतेजी उस घर में आपकी माँ का कोई अधिकार नहीं है। आपके नाना इस घर के सम्बन्ध में यदि कोई वसीयत करते हैं तो नाना के जीवनकाल के उपरान्त यह संपत्ति उन्हें मिलेगी जिनके नाम वसीयत है। यदि वे कोई वसीयत नहीं करते हैं तो उत्तराधिकार में आपकी माताजी को भी अपने भाइयों के बराबर का अधिकार उक्त सम्पत्ति में प्राप्त होगा।

लेकिन यदि उक्त संपत्ति किसी सहदायिक (पुश्तैनी) सम्पत्ति से प्राप्त लाभों से या फिर उसे विक्रय कर निर्मित की गयी  है या फिर आपके नाना को उनके पिता, दादा या पर दादा से  या उनके पिता को उनके पिता, दादा या परदादा से 17 जून 1956 के पहले उत्तराधिकार में प्राप्त हुई है तो यह सम्पत्ति सहदायिक है और इस सम्पत्ति में आपकी माँ का जन्म से या हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम-1956 में 2005 का संशोधन प्रभावी होने से अधिकार है। उस स्थिति में वे आज भी अपना हिस्सा पृथक किए जाने हेतु विभाजन की मांग कर सकती हैं। यदि घर बेचा जा रहा हो और आपकी माँ को उनका हिस्सा नहीं दिया जा रहा हो तो घर को बेचने पर न्यायालय के माध्यम से रोक भी लगाई जा सकती है।