लंबे समय तक नौकरी से अनुपस्थिति नौकरी छोड़ देने के समान है।
|समस्या-
संजीव कुमार ने इन्दौर मध्यप्रदेश से पूछा है –
मैं मध्यप्रदेश शासन के एक निगम मंडल में बर्ष 1989 से बर्ष 2001 तक 89 दिन की अवधि के ऑर्डर्स पर निरंतर कार्यरत रहा। शुरू में कुछ दिन तो ये 89 के दिन आर्डर प्राप्त होते रहे किन्तु कुछ समय पश्चात बिना किसी आदेश के वर्ष 2001 तक नौकरी निर्वाध रूप से जारी रही और ईपीएफ का पैसा भी वेतन से कट कर जमा होता रहा। जो आज दिनांक तक 189000/-जमा है। पारिवारिक कारणों से मैं वर्ष 2001 से आज दिनांक तक मेरी कार्यालय में कोई हाजिरी दर्ज नहीं है। इस दौरान मैंने कोई नौकरी नहीं की एवं कार्यालय ने भी मुझे ढूंढ़ने का कोई प्रयास नहीं किया, ना ही ग़ैरहाजरी के संबंध में कोई नोटिस मेरे रजिस्टर्ड पते या समाचार पत्र में प्रकाशित नहीं करवाया। आज दिनांक तक मुझे नौकरी से अलग करने का कोई आदेश भी नहीं दिया। अतः मुझे ईपीएफ की रकम भी प्राप्त नहीं हो सकी है। बीच के कुछ वर्षों में मेरे द्वारा कार्यलय मैं मैने अपने कार्य स्थल और वेतन इत्यादि और अपनी स्थिति की जानकारी लेने के संबंध में आवेदन दिए, किन्तु कार्यालय द्वारा कोई जबाब नहीं दिया गया। मेरी उम्र 55 साल है रिटायरमेंट की उम्र 62 है में नौकरी एवं ईपीएफ मैं जमा पैसा पाना चाहता हूं में क्या करूँ?
समाधान-
आप की नौकरी किसी पद पर आप की नियमित नियुक्ति के फलस्वरूप नहीं थी। आप को अस्थाई रूप से लगाया था। बाद में बिना किन्हीं आदेशों के आप को लगातार रखा गया। फिर आप 2001 से अनुपस्थित हो गए और आज तक लगातार चले आ रहे हैं। बीच में आपने जो आवेदन दिए आप के कथनानुसार वे सभी स्थिति जानने के लिए दिए गए जिस का अर्थ है आप मानते हैं कि स्थिति स्पष्ट नहीं है। जब कि ऐसा नहीं था। आप 2001 तक लगातार नियोजन में थे और बाद में अपनी परिस्थितियों के कारण अनुपस्थित हो गए। आप जब चाहते तब कार्यालय में अब तक अपनी उपस्थिति का कारण बताते हुए उपस्थित हो सकते थे। क्योंकि आप को नियोजन से विधिवत रूप से हटाया नहीं गया है। जब कि कानूनी स्थिति यह है कि इतनी लंबी अनुपस्थिति के कारण आप के नियोजक द्वारा यह मान लेना उचित है कि आप ने स्वयं ही अपने नियोजन को त्याग दिया है। इस कारण आप अब नौकरी पर वापस नहीं जा सकते। न ही कानून आप को नौकरी वापस दिलवा सकता है।
अब भी आप अब तक कि अनुपस्थिति का कारण बताते हुए ड्यूटी पर उपस्थित हो कर प्रार्थना पत्र दें कि मुझे ड्यूटी पर लिया जाए। इस प्रार्थना पत्र की प्राप्ति स्वीकृति ले लें और यदि नहीं मिलती है तो प्रार्थना पत्र को रजिस्टर्ड डाक से भेज दें। यदि एक दो सप्ताह में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती है तो आप श्रम विभाग में एक विवाद प्रस्तुत कर दें कि आप को ड्यूटी पर नहीं लिया जा रहा है। इस तरह ड्यूटी पर नहीं लेना आप की सेवा समाप्ति है जो वैध नहीं है। श्रम विभाग के नोटिस पर विभाग कोई तो जवाब देगा। उस के आधार पर आप आगे की कार्यवाही कर सकते हैं। अपना ईपीएफ का पैसा निकलवा सकते हैं।