अलग रहने मात्र से उत्तराधिकार समाप्त नहीं होता।
समस्या-
जी आर चौधरी ने बाढ़मेर, राजस्थान से पूछा है-
राम और श्याम दो भाइयों की कुल भूमि 404 बीघा है। बडे भाई राम की कोई औलाद नहीं है जबकि श्याम के 6 पुत्र (मोहन,सोहन,रमेश,महेश,ललित,राकेश) है जिसमें से दो पुत्र मोहन और सोहन राम की मृत्यु से पहले ही अलग हो चुके थे और उनकी भी राम से पहले ही मृत्यु हो चुकी है। चूंकि राम के द्वारा न तो कोई वसीयतनामा लिखा गया और न ही गोदनामा। मामला यह है कि मोहन और सोहन के पुत्रों को उक्त जमीन अर्थात 404 बीघा का 1/6 भाग मिलेगा अथवा नहीं।
समाधान-
आप का प्रश्न अधूरा और अस्पष्ट है। मौजूदा कानून के अनुसार राजस्थान में कृषि भूमि पर हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम प्रभावी है। जिस के अनुसार किसी भी व्यक्ति की मृत्यु पर उस की कृषि भूमि का उत्तराधिकार उस के सभी उत्तराधिकारियों को प्राप्त होता है। इस अधिनियम की अनुसूची के अनुसार व्यक्ति की पत्नी, माता, पुत्र तथा पुत्रियों को उस की संपत्ति का बराबर हिस्सा प्राप्त होता है।
आप ने यह नहीं बताया कि बड़े भाई राम की पत्नी भी थी या नहीं यदि थी तो क्या उस का देहान्त हो चुका है। यदि राम का कोई उत्तराधिकारी नहीं था तो उस की भूमि उस के देहान्त के समय उस के भाई को यदि वह जीवित था तो उत्तराधिकार में प्राप्त हुई। इस तरह अब सम्पूर्ण भूमि का स्वामी छोटा भाई श्याम हो गया।
आप ने यह कहा है कि मोहन व सोहन राम की मृत्यु के पहले अलग हो चुके थे। लेकिन इस अलग होने का क्या अर्थ है? यदि वे केवल अलग रहने लगे थे तो उस से उन के उत्तराधिकार के अधिकार पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन यदि उन्हों ने अपने हिस्से की जमीन बँटवारे में प्राप्त कर ली थी तो उन का फिर इस जमीन में कोई अधिकार नहीं रहा है। यदि मोहन और सोहन ने बँटवारे में कोई जमीन का कोई हिस्सा प्राप्त नहीं किया था तो उन का तथा उन के उत्तराधिकारियों का हिस्सा उस जमीन में मौजूद है। वे बँटवारे का वाद प्रस्तुत कर अपना हिस्सा अलग करवा सकते हैं। यहाँ यदि श्याम के बेटों के साथ बेटियाँ हैं तो उन्हें भी समान हिस्सा उत्तराधिकार में प्राप्त होगा। इस तरह उन के 1/6 हिस्से के बारे में निर्धारण तभी किया जा सकता है जब कि श्याम की मृत्यु के समय पत्नी जीवित न रही हो और कोई पुत्री न जन्मी हो। हाँ इतना अवश्य है कि अलग जा कर रहने मात्र से मोहन और सोहन के उत्तराधिकारियों का उन के पिता की भूमि में उत्तराधिकार समाप्त नहीं हुआ है।
मेरे भांजा अपने पिता से अलग रह रहा था इस दौरान पिता ने दत्तक पुत्र गोद ले लिया और वसीयत में दत्तक पुत्र का नाम लिखा है पिता की मृत्यु के पश्चात संपत्ति पर पर क्या मेरे भांजे का कोई अधिकार नहीं है
पिता कि संपित्त पर केसे अपना कब्जा किया जा सकता है सुझाव दें
अनुसूचित जनजाति मे क्या विवाहित पुञी पैतृक भुमि मे हकदार है कया ?
ज्ञान वर्धक जानकारी / राजेंद्र सिंह / अजमेर / राजस्थान /