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अविभाजित संपत्ति का हिस्सेदार अपना हिस्सा बेच सकता है। अपने हिस्से पर पृथक कब्जे के लिए बँटवारे का वाद प्रस्तुत करें।

समस्या-

बागपत, उत्तर प्रदेश से नीरज कुमार ने पूछा है-

मेरे दादा जी की मृत्यु के बाद अब तक जमीन का बंटवारा नहीं हुआ है।  मेरी विधवा चाची  ने कुछ जमीन की बिक्री कर दी है।  अगर यह अनुचित है तो हमें क्या करना चाहिए?  मेरे पिताजी दो भाई हैं।  हम किस प्रकार बंटवारा करें कि सम्बंधित जमीन पर पूर्णतः हक़ मिल जाय?

समाधान-

प के दादा जी की मृत्यु के बाद आज तक बँटवारा नहीं हुआ है।  इस का अर्थ यह है कि आप के दादा जी की संपत्ति अभी तक अविभाजित हिन्दू परिवार की संपत्ति है।

विभाजित हिन्दू परिवार की संपत्ति में कोई भी हिस्सेदार उस संयुक्त संपत्ति में अपने हिस्से को बेच सकता है उसे बेचे जाने में कोई बाधा नहीं है।  विक्रय पत्र का जो पंजीयन हुआ है वह भी उस के अपने हिस्से की संपत्ति का ही हुआ होगा। यदि आप की चाची ने संपत्ति में उस के हिस्से से अधिक हिस्सा विक्रय कर दिया है तो यह गलत है।  चाची सिर्फ अपना हिस्सा ही विक्रय कर सकती थी।  आप उस विक्रय पत्र को चुनौती दे सकते हैं और विक्रय पत्र को इस हद तक निरस्त करवाने के लिए दीवानी वाद प्रस्तुत कर सकते हैं। जिस हद तक चाची ने उस के हिस्से से अधिक का विक्रय किया है।

दि चाची ने उस का हिस्सा या उस के हिस्से से कम भूमि का ही विक्रय किया है तो इस में कोई गलती नहीं है।  इस विक्रय से सिर्फ इतना अंतर पड़ा है कि जिस हिस्से की स्वामिनी आप की चाची थीं और संयुक्त संपत्ति में हिस्सेदार थीं विक्रय किए गए हिस्से के संबंध में उस भूमि का क्रेता भी आप की संपत्ति का हिस्सेदार हो गया है।

स अविभाजित परिवार की संयुक्त संपत्ति में यदि कोई एक भी हिस्सेदार अपना हिस्सा अलग करवाना चाहता है तो वह बँटवारे के लिए दावा प्रस्तुत कर सकता है। यदि कृषि भूमि का प्रश्न है तो यह दावा राजस्व न्यायालय में प्रस्तुत करना होगा। यदि बँटवारे में अन्य संपत्तियाँ भी हैं तो उस के लिए दावा दीवानी न्यायालय में प्रस्तुत करना होगा।

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