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अवैध विवाह से उत्पन्न अविवाहित पुत्र को पिता से उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति का उत्तराधिकार ?

समस्या-

जयपुर, राजस्थान से डॉ. आर.सी. गौड़ ने पूछा है –

मेरे साले साहब के का कुछ वर्ष पूर्व देहान्त हो गया। उन के दो पत्नियाँ थीं। पहली पत्नी से दो पुत्र और दो पुत्रियाँ थीं, सभी विवाहित थे।  दूसरी पत्नी से तीन पुत्र और दो पुत्रियाँ  थीं जिन में दो पुत्र व दो पुत्रियाँ विवाहित थीं सब से छोटा पुत्र अविवाहित था। साले साहब की मृत्यु के बाद उन की जमीन को पाँच समान भागों में बाँटा जा कर एक एक भाग एक एक पुत्र को दे दिया गया क्यों कि सभी महिला उत्तराधिकारियों ने पुरुषों के हक में अपना अधिकार त्याग दिया था। कुछ वर्ष पूर्व दूसरी पत्नी से उत्पन्न अविवाहित पुत्र की मृत्यु हो गई। अब समस्या यह है कि जमीन में मृत पुत्र का शेयर किसे प्राप्त होगा? उस की माता कहती है कि शेयर उसे मिलना चाहिए। जब कि प्रथम पत्नी के दोनों पुत्र कहते हैं कि शेयर उन के पिता के उत्तराधिकारियों को समान रूप से मिलना चाहिए। आप सलाह दें कि विधिक रूप से क्या होना चाहिए?

समाधान-

17 जून 1956 से हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम प्रभावी है। इस के अनुसार उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति उत्तराधिकारी की स्वअर्जित संपत्ति की तरह है। पिता के देहान्त के उपरान्त उन की संपत्ति के विधिक उत्तराधिकारी उन की पहली पत्नी और उन की 9 संतानें समान रूप से थे। अर्थात कुल संपत्ति के दस शेयर हुए थे और एक एक शेयर सभी को प्राप्त हुआ था। किन्तु महिला उत्तराधिकारियों ने अपने शेयर त्याग दिए। इस से संपत्ति के पाँच भाग हुए और एक एक भाग प्रत्येक पुत्र को प्राप्त हो गया। अब प्रत्येक भाग का स्वामी वही पुत्र था जिसे वह भाग प्राप्त हुआ था। उस में किसी भी अन्य व्यक्ति का हित निहित नहीं रहा था। अब प्रत्येक पुत्र का उत्तराधिकार हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार ही प्रभावी होगा।

मृत अविवाहित पुत्र की पत्नी और संतान न होने से हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा-8 के अनुसार उस की एक मात्र उत्तराधिकारी उस की माता ही है। उस संपत्ति में उस के पिता के उत्तराधिकारियों का कोई हिस्सा नहीं हो सकता जब तक कि उस की माता जीवित है। उस की जमीन उस की माता को ही उत्तराधिकार में प्राप्त हुई है। माता को प्राप्त हुई यह संपत्ति उस की स्वअर्जित संपत्ति की तरह रहेगी। वह चाहे तो अपने जीवन काल में इस संपत्ति को विक्रय, दान आदि कर सकती है। वह अपनी इस संपत्ति को वसीयत भी कर सकती है। लेकिन यदि माता की मृत्यु तक यह संपत्ति उस के पास रहती है तो उस की मृत्यु के उपरान्त यह संपत्ति हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा-15 के अनुसार उस के उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगी। और उस के उत्तराधिकारियों में उस के पति का कोई उत्तराधिकारी सम्मिलित नहीं होगा क्यों कि दूसरी पत्नी होने के नाते उस अपने पति से विवाह वैधानिक नहीं था। तब उस की यह संपत्ति दूसरी पत्नी के माता-पिता को प्राप्त होगी यदि वे जीवित हुए। उन के जीवित न होने पर यह उस के पिता के उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगी और यदि उन में भी कोई जीवित न हुआ तो फिर उस की माता के उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगी।

धारा-15 की उपधारा 2 (क) व 2 (ख) में यह उपबंधित किया गया है कि यदि कोई संपत्ति किसी स्त्री को उस के माता-पिता से उत्तराधिकार में प्राप्त हुई तो उस के कोई संतान या पूर्व मृत संतान की संतान नहीं होने पर पति के उत्तराधिकारियों को प्राप्त नहीं होगी। इसी तरह कोई संपत्ति स्त्री को उस के पति या उस के ससुर से प्राप्त हुई है तो उस के कोई संतान या पूर्व मृत संतान की संतान नहीं होने पर वह संपत्ति पति के उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगी।

लेकिन यहाँ आप के साले साहब की दूसरी पत्नी वैधानिक नहीं है। उस का अपना कोई  पति या ससुर नहीं है जिस से कोई संपत्ति उत्तराधिकार में उसे प्राप्त होती। फिर उसे यह संपत्ति उसे अपने पुत्र से प्राप्त हुई है जिस के कारण उस की संपत्ति उत्तराधिकार में धारा-15 के मुख्य उपबंध के अनुसार ही उत्तराधिकार में जाएगी।

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