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आपके पिता और दादा वसीयत कर सकते हैं।

समस्या-

मेरे भाई ने अपने ही गाँव की दूसरी जाति की लड़की से कोर्ट-मैरिज कर ली है। भाई ने ह्मारे घर से कुछ  ज्यूलरी भी चोरी कर ली है। अभी वो बाहर अपनी वाइफ के साथ दूसरे शहर में रह रहा है। गाँव से जाने से पहले उसने कुछ लोगों से पैसे भी उधार लिए हैं। जो आज ह्मारे पास अपने पैसे मांगने आते हैं। मैं ने अपने नाम पर उसे बैंक से फाइनेंस करवा कर दी हैं, लेकिन वह बैंक की इन्स्टालमेंट जमा नहीं कर रहा हैं। प्रॉपर्टी में अपना हिस्सा भी माँगता है। अभी मेरे दादाजी और पापाजी जिंदा हैं। उसने  गाँव  में  हम  लोगो की  मान प्रतिष्ठा को कलंकित किया है। क्या मेरे दादाजी और पापाजी उसे अपनी संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं?

                         -सोनू चौधरी, ग्राम बिलसूरी, तहसील सिकंदराबाद, जिला बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश)

समाधान-

किसी दूसरी जाति की लड़की से विवाह करना अपराध नहीं है। दादाजी और पापाजी की मान प्रतिष्ठा को आंच पहुँची है तो उसके दूसरे शहर में जा कर रहने से आप के परिवार को भी सामाजिक रूप से सुविधा ही हो गयी है। वैसे ऐसे मामलों में मान अपमान की बात अस्थायी होती है। बाद में सब कुछ नियमित हो जाता है। उसका घर से ज्यूलरी चुराना अवश्य अपराध है। लेकिन उस चोरी की रिपोर्ट तो आप ने पुलिस में कराई नहीं है, इस तरह उसका यह अपराध तो आपने माफ कर दिया है।

उसने जो उधार लिया है उस की वापसी के लिए लोग आप से मांगने आते हैं तो उन से कहा जा सकता है कि आप के पिताजी, दादाजी और आप से पूछ कर तो ऋण दिया नहीं था। उन्हें कहें कि वे अपना ऋण उसी से वसूल करें जिसे उन्हों ने आप से पूछे बिना दिया था। बैंक से ऋण किस बात के लिए लिया गया था यह आप ने नहीं बताया है। पर यदि वह आपने अपने नाम से लिया है तो आप को ही चुकाने होंगे।

 यदि आपके परिवार के पास आप के दादा या पिता या आप को 17 जून 1956 के पहले पिता, दादा या परदादा से उत्तराधिकार में प्राप्त हुई संपत्ति है तो वह सहदायिक संपत्ति (पुश्तैनी) है। ऐसी संपत्ति में जन्म के साथ ही व्यक्ति को अधिकार प्राप्त हो जाता है। ऐसा अधिकार उस से नहीं छीना जा सकता है। उससे उसे बेदखल नहीं किया जा सकता। लेकिन उसी संपत्ति में आप के पिता और दादा जी का अपना भी हिस्सा है जिसमें उन के देहान्त के बाद आप के भाई को उत्तराधिकार प्राप्त हो सकता है। आप के दादा जी और पिताजी सहदायिक संपत्ति में उन के हिस्से और उनकी स्वअर्जित संपत्ति में उत्तराधिकार प्राप्त करने से आप के भाई को रोक सकते हैं। इस के लिए वे अपनी तमाम संपत्ति की वसीयत आपके भाई को छोड़ कर किसी भी एक या एकाधिक लोगों के पक्ष में निष्पादित कर उसमें आपके भाई को उत्तराधिकार से वंचित कर सकते हैं।