आप वसीयत कर के किसी को भी अपनी स्वअर्जित संपत्ति दे सकते हैं।
|राजीव वर्मा ने रायपुर, छत्तीसगढ़ से समस्या भेजी है कि-
मैं बिलासपुर का निवासी हूँ। मेरी उम्र 45 वर्ष है, मेरी पहली पत्नी का पुत्र मुझसे अलग रहता है 2014 में उन्हों ने मेरे नाम की 2 हेक्ट. कृषि भूमि पर अपना नाम दर्ज करवाने के लिए तहसील में आवेदन किया था। मेरे नाम की 2 हेक्ट. की कृषि भूमि मेरे द्वारा खरीदी गई स्वअर्जित भूमि है। जिस के कारण तहसील में उनके आवेदन को निरस्त कर दिया गया है। मैं चाहता हॅू की भविष्य में पुनः किसी भी न्यायालय या फोरम में आवेदन ना कर सके ताकि मैं कोर्ट की समस्याओं से बच सकूँ। वर्तमान में मैं अपनी दूसरी पत्नी के साथ रहता हूँ तथा मेरी दूसरी पत्नी से प्राप्त दो पुत्र भी हैं जिन के नाम पर अपनी जमीन को रख सकूँ। मैं अपनी स्वअर्जित भूमि को अपनी पहली पत्नी के पुत्र को नहीं देना चाहता हूँ इस के लिए मै क्या करूँ?
समाधान-
आप की पहली समस्या का कोई हल किसी के पास नहीं है। किसी भी व्यक्ति को किसी न्यायालय या अधिकारी के पास आवेदन करने से नहीं रोका जा सकता। यह हर व्यक्ति का अधिकार है कि वह किसी सरकारी अधिकारी या न्यायालय को आवेदन करे। यह न्यायालय को देखना है कि वह उस आवेदन को स्वीकार करे या न करे। लेकिन उस का न्यायालय का यह दायित्व है कि वह आप को सुनवाई का अवसर दिए बिना कोई आदेश पारित न करे।
आप की दूसरी समस्या यह है कि आप अपनी स्वअर्जित भूमि को अपनी पूर्व प्त्नी से जन्मे पुत्र को न दे कर वर्तमान पत्नी के पुत्रों को देना चाहते हैं। आप के जीवन काल में तो वह संपत्ति आप की ही रहेगी। कोई भी कैसा भी मुकदमा या आवेदन दे कर अपने नाम नहीं करवा सकता, जब तक कि आप खुद किसी को न दे दें। आप के जीवन काल के बाद पूर्व पत्नी से उत्पन्न आप का पुत्र भी समान उत्तराधिकार का अधिकारी होगा। इस कारण यह संपत्ति निर्वसीयती रह जाने पर उस का एक अंश आप के बड़े पुत्र को मिल सकता है।यदि आप उसे यह संपत्ति उत्तराधिकार में मिलने से रोकना चाहते हैं तो उस का आसान तरीका यही है कि आप अभी से जो संपत्ति छोटे पुत्रों को देना चाहते हैं उन के नाम वसीयत कर के उसे पंजीकृत करवा दे। आप अपनी वसीयत की एक प्रति भू अभिलेख अधिकारी को आवेदन के साथ प्रेषित कर बता सकते हैं कि आप ने उक्त भूमि वसीयत कर दी है और आप के जीवनकाल के उपरान्त वसीयत के हिसाब से उस का नामान्तरण किया जाए।
पुश्तैनी संपत्ति को बेचने क बाद खरीदी गई संपत्ति क्या स्वअर्जित संपत्ति कहलायेगी?