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पिताजी की संपत्ति का बँटवारा कैसे हो?

real5समस्या-
ब्रजरतन सोनार ने बीकानेर राजस्थान से पूछा है-

मेरे पिताजी के नाम दो अचल सम्पति हैं, मेरे पिताजी एवम माताजी का देहान्त हो चुका है। मेरे पिताजी के तीन पुत्र एवम चार पुत्रियाँ हैं। पांच पोते हैं,  एक पुत्र का देहान्त हो गया है उस के एक पुत्र है एवम पत्‍नी है। हम उपरोक्त सम्पत्ति का बँटवारा क़रना चाह्ते हैं। आप यह बताएँ कि हम किस अनुपात में इस सम्पत्ति का बँटवारा करें और कैसे? क्या पोतियों की भी हिस्सेदारी होगी?

समाधान-

प के पिता के नाम की जो संपत्ति है उस का बँटवारा हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा-8 के अनुसार होगा। इस के लिए अधिनियम में एक अनुसूची दी हुई है। इस अनुसूची की प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारी जीवित होने पर उन के बीच समान रूप से संपत्ति का बँटवारा होगा।

प के मामले में आप के पिताजी और माता जी का देहान्त हो चुका है और आप की दादी भी मौजूद नहीं है। इस कारण प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारियों में आप, आप के भाई व बहिन सम्मिलित हैं तथा मृत भाई के उत्तराधिकारी हैं। जैसे ही आप के पिता का देहान्त हुआ उन की संपत्ति उन के उत्तराधिकारियों के अविभाजित संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति हो चुकी है। उस का विभाजन होना शेष है।

प तीन भाई और चार बहनें हैं। इस कारण प्रत्येक को सातवाँ हिस्सा प्राप्त होगा। एक भाई जिस का देहान्त हो चुका है उस का हिस्सा उस के पुत्र व पत्नी को आधा आधा अर्थात कुल संपत्ति का 1/14-1/14 हिस्सा प्राप्त होगा। जिन के पिता जीवित हैं उन पोतों और पोतियों को कोई हिस्सा प्राप्त नहीं होगा।

बँटवारा यूँ तो आपसी सहमति से किया जा सकता है। लेकिन इतने उत्तराधिकारियों में वह संभव नहीं हो पाएगा। इस कारण से कोई भी एक उत्तराधिकारी दीवानी न्यायालय में बँटवारे का दावा कर देगा तो न्यायालय सभी उत्तराधिकारियों की राय से संपत्ति का कानून के अनुसार बँटवारा कर देगा। मेरी राय में आप को स्वयं यह वाद प्रस्तुत कर देना चाहिए। इस पर न्याय शुल्क भी मात्र 200 रुपया लगेगी।

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