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आप वैध पत्नी नहीं लेकिन वैध पुत्रियों की माँ और संरक्षिका हैं, आप को पुत्रियों के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ना चाहिए।

father & married daughter3समस्या-

सोनम वर्मा ने ब्‍यावरा,मध्यप्रदेश से पूछा है-

र, मेरा विवाह आज करीब 16-17 वर्ष पूर्व हिन्‍दू रीति से हुआ था। विवाह के करीब ए‍क साल बाद मेरे पति से मेरा झगडा बढ गया और मैं अपना ससुराल छोड कर अपने मायके में आ गई और उसके बाद करीब ३-४ साल में अपने ससुराल नहीं गई, न ही वहां से मुझे कोई लेने आया। उस के बाद मेरे घर वालों ने मेरा दूसरा विवाहकरा दिया।दूसरे पति के साथ मैं 8-10 वर्ष रही। करीब 2 वर्ष पहले पहले मेरे दूसरेपति का स्‍वर्गवास हो गया, जिन के दो बालिग २ पुत्र हैं। उनकी मां का यानी मेरे दूसरे पति की पहली पत्‍नी का देहान्त मेरी दूसरी शादी के 2 वर्ष पहले ही देहान्त हो गया था। मेरे दूसरे पति सरकारी कर्मचारी थे और मेरे पहलेपति भी सरकारी कर्मचारी थे अब मैं ने अपने दूसरे पति के स्‍थान पर अनुकंपानियुक्ति एवं उनके समस्‍त देय स्‍वत्‍वों के लिए आवेदन दिया है जिस पर मेरेदूसरे पति के बच्‍चों ने आपत्ति प्रकट की हैं। वे चाहते हैं कि अनुकम्‍पानियुक्ति उन दोनों भाइयों में से किसी एक भाई को मिले और में चाहती हूं किअनुकंपा नियुक्ति मुझे मिले। क्‍योंकि मेरी दो पुत्रियां हैं। लेकिन मेरेदूसरे पति के सर्विस बुक में उनकी पहली पत्‍नी का नाम है और बाकी सभीनोमीनेशन भी उनकी पहली पत्‍नी के दोनों बच्‍चों के नाम पर है जो कि अभी भीहै।मेरा नाम सर्विस बुक व किसी भी रिकार्ड में नहीं है। मेरादूसरा विवाह भी वैदिक हिन्‍दू रीति से नहीं हुआ है। मेरा पहला पति भीजीवित है जिन से मेरा डिवोर्स नहीं है और न ही मेरे पहले पति ने अभी तक शादीकी है। मेरे दूसरे पति के दोनों बच्चे मुझे उनकी पत्‍नी नहीं मानते हैं। में उनकी अनुकम्पा नियुक्ति एवं उनके सभी समस्‍त देय स्‍वत्‍व चाहती हूं।उस के लिए मुझे क्‍या करना चाहिए? क्‍योंकि अगर यह प्रकरण कोर्ट में पहुंचताहै तो मेरे पास मेरे पहले पति से डिवोर्स नहीं है इस बारे में आपकी राय चाहतीहूं। अगर यह प्रकरण कोर्ट में चला जाता है तो मुझे स्वयं को डिवोर्स पेपर और दूसरीपत्‍नी साबित करना होगा। मेरी दूसरी शादी का कोई वेलिडरजिस्‍ट्रेशन भी नहीं है ऐसी स्‍थिति में मुझे क्‍या करना चाहिए?

समाधान-

प की स्थिति से स्पष्ट है कि आप के पहले पति से आप का विवाह विच्छेद आज तक नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में आप कानूनी रूप से अपने पहले पति की पत्नी बनी हुई हैं। हिन्दू विधि में एक पति की वैध पत्नी होते हुए आप दूसरा विवाह नहीं कर सकती थीं। इस कारण आप का दूसरा विवाह वैध नहीं था। आप अपने दूसरे पति की पत्नी नहीं थीं। आप की दोनों पुत्रियाँ यदि दूसरे पति से हैं तो उन्हें तो दूसरे पति की पुत्री होने का अधिकार है लेकिन आप का पत्नी होने का नहीं। आप का दूसरे पति से जो भी सम्बन्ध था वह पति पत्नी का न हो कर लिव इन रिलेशन का था। आप के दूसरे पति भी इस सम्बन्ध को लिव इन रिलेशन ही मानते रहे अन्यथा वे अपनी सर्विस बुक आदि सेवा अभिलेख में पत्नी के स्थान पर आप का नाम अंकित करवाते। आप किसी भी स्थिति में अपने आप को अपने दूसरे पति की पत्नी साबित नहीं कर सकतीं। आप को अनुकम्पा नियुक्ति किसी स्थिति में नहीं मिल सकेगी इस कारण उस की लड़ाई लड़ना आप के लिए निरर्थक सिद्ध होगा।

प की दोनों बेटियाँ आप के दूसरे पति की पुत्रियाँ हैं, उन के परिवार का अभिन्न हिस्सा हैं और मृतक आश्रित हैं और आप उन की माता हैं इस कारण उन की संरक्षक हैं।

प की दोनों पुत्रियों का आप के दूसरे पति के सेवा में रहते हुए देहान्त हो जाने के कारण मिलने वाले परिलाभों पर पूरा अधिकार है। आप की पुत्रियाँ अवयस्क हैं इस कारण उन के हितों की रक्षा करने का पूरा दायित्व आप का है। इस कारण एक संरक्षक की हैसियत से आप अपनी पुत्रियों को उन के अधिकार दिला सकती हैं। आप के पति के सेवा संबंधी लाभों में पुत्रियों का हिस्सा मिले इस के लिए आप उन की ओर से आवेदन कर सकती हैं। आप की दोनों पुत्रियाँ नाबालिग हैं इस से वे परिवार पेंशन पाने की की भी अधिकारी हैं। आप को पति के लाभों में पुत्रियों के हिस्से और उन की परिवार पेंशन के लिए लड़ना चाहिए। इस मामले आप दूसरे पति के बालिग पुत्रों से बात कर के समझौता भी कर सकती हैं कि उन में से किसी एक को अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त करने में आप आपत्ति नहीं करेंगी यदि वे पति के सेवा लाभों में पुत्रियों का हिस्सा, परिवार पेंशन और आप के पति की चल अचल संपत्ति में पुत्रियों का हिस्सा देने को तैयार हों। यदि वे इस के लिए तैयार न हों तो आप अपनी पुत्रियों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ सकती हैं।

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