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एक बार जो संपत्ति पुश्तैनी हो गई वह जब तक हस्तान्तरित नहीं होगी पुश्तैनी ही रहेगी।

समस्या-

दीपक ने झलनिया, फतेहाबाrp_कानूनी-सलाह.jpgद, हरियाणा से समस्या भेजी है कि-

मैं ने आपका पिछला लेख पढा जिसको लेकर मेरे मन मे कुछ प्रश्न हैं। मान लीजिए एक व्यक्ति जिसका नाम नानक है को 1950 में अपने पिता के देहांत के बाद सम्पत्ति प्राप्त हुई अर्थात् पुश्तैनी जायदाद हुई। इसके बाद1955 में उस का एक पुत्र कमल का जन्म हुआ जिस से उसकी सम्पत्ति सहदायिक हो गई। 1960 में नानक का देहान्त हो गया और सम्पति कमल को हस्तांतरित हो गई। लेकिन देहान्त के आठ महीने बाद उसका एक और पुत्र भीम का जन्म हुआ, तब क्या भीम अपने पिता की सम्पत्ति में सहदायिक होगा या नहीं? इसके अलावा मान लीजिए1980 में कमल के एक पुत्र दिनेश का जन्म हुआ और तब क्या दिनेश अपने दादा की सम्पत्ति में सहदायिक बनेगा या नहीं क्योंकि सम्पति पुश्तैनी है? और सहदायिक बनेगा तो उसे अपना हिस्सा कैसे प्राप्त होगा क्योंकि सम्पति तो कमल के नाम है और कमल अपनी जायदाद में दिनेश को कुछ नही देना चाहता? इसके अलावा ये बताए कि दिनेश के लिए अपने दादा की सम्पत्ति तो पुश्तैनी कहलाएगी लेकिन अपने पिता कमल की सम्पत्ति पुश्तैनी बनेगी या नहीं।

समाधान-

प के प्रश्न बहुत वाजिब हैं। नानक की मृत्यु के उपरान्त उस के पुत्र कमल को संपत्ति उत्तराधिकार में प्राप्त हुई है इस कारण वह पुश्तैनी है। एक बार यह संपत्ति पुश्तैनी हो जाने पर हमेशा पुश्तैनी रहेगी। उस का चरित्र तब तक नहीं बदल सकता जब तक कि वह किसी अन्य को हस्तान्तरित नहीं हो जाती है। जैसे ही नानक के देहान्त के उपरान्त उस के पुत्र भीम का जन्म हुआ तो पुश्तैनी संपत्ति में उस का भी हिस्सा है। क्यों कि वह संपत्ति पुश्तैनी है इस तरह भीम के जन्म के साथ ही वह संपत्ति सहदायिक भी हो गयी। पिता की मृत्यु से कमल संपत्ति का स्वामी बना है लेकिन पुश्तैनी संपत्ति का वह उस की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है। न ही स्वामित्व के दस्तावेज या रिकार्ड में उस का नाम चढ़ा है। भीम या तो स्वयं या फिर अपनी माता के माध्यम से अपने अधिकार को प्राप्त कर सकता है। यदि कमल देने से इन्कार करता है तो बंटवारे का वाद संस्थित कर सकता है।

दि कमल के 1980 में पुत्र होता है तो भी उस के जन्म के साथ ही कमल की पुश्तैनी संपत्ति में उस का अधिकार उत्पन्न हो जाएगा और वह संपत्ति सहदायिक हो जाएगी। इस पुश्तैनी संपत्ति की आय से अर्जित संपत्ति भी पुश्तैनी होगी। लेकिन जो भी कमल की स्वअर्जित संपत्ति होगी उस में कमल के पुत्र का कोई अधिकार नहीं होगा। वह कमल की व्यक्तिगत संपत्ति रहेगी और उसे वह वसीयत कर सकता है या दान, विक्रय आदि के दवारा हस्तान्तरित कर सकेगा। यदि वह कुछ नहीं करता है तो उस की मृत्यु पर हिन्दू उत्तराधिकार के नियम के अनुसार उस की स्वअर्जित संपत्ति का उत्तराधिकार तय होगा। इस में कमल के पुत्र दिनेश को जो हिस्सा मिलेगा वह पुश्तैनी नहीं होगा। वह उस के जीवन काल तक उस की निजि संपत्ति रहेगा।

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