एक ही व्यक्ति द्वारा दो दत्तक ग्रहण संभव हैं।
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समस्या-
जयपुर, आँन्ध्रप्रदेश से रविराज ने पूछा है –
मेरे ताउजी जो 1960-1970 में जिसकी तारीख मेरे पास नहीं है 10-20 साल के बीच की उम्र के थे, तब ताउजी व पिताजी की विधवा भाभी के गोद चले गए थे। जिसका रजिस्टर्ड गोदनामा है। लेकिन मेरे ताउजी अपनी भाभी के पास नहीं रहे व अपने पिता के पास वापस आ गये व उनके साथ रहने लगे। कुछ समय पश्चात पापाजी की भाभी जी ने पापा जी को 1985 में गोद ले लिया व रजिस्टर्ड गोदनामा बना लिया, तब पापाजी की उम्र लगभग ३० वर्ष थी व शादी हो चुकी थी व भाइयों से अलग हो चुके थे। मेरे पिताजी ने उनकी खूब देखभाल की जो एक पुत्र करता है। उनका अंतिम संस्कार तथा अन्य सामाजिक कार्य भी बड़ी अच्छी तरह किया था। सब लोगो को पता है कि मेरे पिताजी ने ही अपनी भाभी की सम्पति (यह एक कृषि भूमि है जो मेरे पिता की भाभी को अपने पति से मिली थी व भाभी के पति को यह भूमि अपने पिता से मिली थी) के असली हक़दार हैं, यह भूमि जब से पिताजी गोद गए हैं तब से हमारे कब्जे में है व हम इस पर काश्तकारी का कार्य कर रहे हैं, 1998 में पापाजी की भाभी जी का देहांत हो गया व भूमि राजस्व रिकॉर्ड में 1998 से पापाजी के नाम हो चुकी है। अब मेरे पापाजी की भाभी, मेरे ताउजी, मेरे पापाजी के पापाजी (मेरे दादाजी व दादीजी का देहांत हो चूका है) मेरे पापाजी जीवित हैं। हमारे व ताउजी के परिवार जिस में (ताईजी व उनके २ पुत्र व् उनकी उनकी २ पुत्र वधु हैं) से हमारी बनती नहीं है (मनमुटाव हैं)। मेरे सवाल हैं कि क्या कभी मेरे ताउजी का परिवार हमारी सम्पति पर दावा कर सकता है कि-
1. यह हमारी सम्पति है (क्यूंकि ताउजी पापाजी से पहले गोद जा चुके थे)?
२. क्या हमें हमारे असली दादाजी यानि पापाजी की पैतृक पिता की सम्पति से भी बेदखल कर सकते हैं? (इस आधार पर कि आप के पिता गोद गए हुए हैं) जो की सहदायिक है जिसमे पापाजी का नाम गोद जाने के बाद यानि 1989 (इस समय पापाजी के पैत्रक पिता का का देहांत हुआ था) से राजस्व रिकॉर्ड में मौजूद है।
३. क्या पापाजी का गोद जाना गैर क़ानूनी है क्यूंकि गोद जाते वक्त उनकी उम्र ३० वर्ष थी तथा विवाह हो चुका था? अगर गैर क़ानूनी है तो गोदनामा रजिस्टर्ड कैसे हुआ?
४.यदि हमारे ऊपर कभी ऐसी परेशानी आये तो हमारा बचाव कैसे हो सकता है? क्या निम्न प्रकार हम या पिता जी बचाव कर कर सकते हैं जैसा कि (क) पिताजी भाइयों से अलग होने के बाद गोद गए हैं (ख) परिवार के सभी सामाजिक कार्यों में बराबर हिस्सा देते रहे हैं या अन्य कोई उपाय है तो बताये।
समाधान-
की समस्या एक ही व्यक्ति द्वारा किए गए दो दत्तक ग्रहण से संबंधित है। ग्रहण किए गए दत्तक की उम्र 15 वर्ष से अधिक होने या विवाहित होने मात्र से उसे अवैध नहीं ठहराया जा सकता है। यदि परिवार और बिरादरी में 15 वर्ष से अधिक उम्र और विवाहित व्यक्ति को गोद लेने की परंपरा रही है तो यह संभव है और यह वैध होगा। इस तरह आप के ताऊजी का और आप के पिताजी का दत्तक ग्रहण दोनों ही वैध हो सकते हैं।
दत्तक लिए गए पुत्र को पैतृक संपत्ति का जो भाग दत्तक ग्रहण के पूर्व प्राप्त हो चुका है वह उस से नहीं छीना जा सकता है। इस तरह दत्तक ग्रहण से पूर्व के परिवार की संपत्तियों में उन्हें दत्तक ग्रहण के पूर्व जो अधिकार प्राप्त हो चुका है वह उन का ही रहेगा। लेकिन दत्तक ग्रहण की तिथि के उपरान्त उन्हें कोई भी अधिकार अपनी पूर्व के पैतृक परिवार से प्राप्त नहीं होगा। इस तरह पूर्व के पैतृक परिवार से प्राप्त कौन सी संपत्ति दोनों के हिस्से में आएगी यह दोनों के दत्तक ग्रहण की तिथियों से निर्धारित होगा।
क्यों कि दोनों ही दत्तक हैं इस कारण से दत्तक माता की संपत्ति पर दोनों का बराबर का अर्थात आधा आधा अधिकार रहेगा।
लेकिन यदि कोई भी संपत्ति आप के पिता के नाम आ चुकी है और विगत 12 वर्ष से अधिक समय से उन का उस पर कब्जा है तो उस के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही किसी न्यायालय में इस लिए संस्थित नहीं की जा सकती है कि अवधि विधान के अनुसार कार्यवाही किया जाना बाधित है। यदि आप के पिताजी पर कोई कार्यवाही की जाती है तो उस का मुकाबला अन्य आधारों के साथ साथ अवधि विधान के आधार पर किया जा सकता है।
बेहतर लेखन !!