ऐसा कोई बन्दोबस्त नहीं कि आप के खिलाफ कोई मुकदमा न हो।
|अजय साहू ने धमतरी, छत्तीसगढ़ से समस्या भेजी है कि-
मेरी उम्र 50 वर्ष है, मेरे दो पुत्र हैं। मेरी जित नी भी पैतृक सम्पत्ति है मैंनें दोनों पुत्रों को बराबर हिस्सा दिया है। वर्तमान में जो कृषि भूमि है वह मेरी स्वअर्जित भूमि है। जिसे मैं अपने छोटे बेटे को देना चाहता हूँ जो मुझे अत्यंत प्रिय है। छोटे पुत्र की ही देख रेख में मैं अपना जीवन यापन कर रहा हूँ। मैं जानता हूँ मेरी स्वअर्जित भूमि को मैं किसी को भी दान कर सकता हॅू अंतरित कर सकता हूँ। किसी के नाम कर सकता हूँ, विक्रय कर सकता हूँ, वसीयत कर सकता हूँ। मेरी स्वअर्जित भूमि में मेरा पूर्णतः अधिकार है। वर्तमान में मेरे स्वअर्जित भूमि में हिस्सा पाने के लिए मेरे बड़े पुत्र ने मुझ पर केस किया है। तहसील धमतरी, छ.ग. में 8 माह से केस चल रहा है अभी तक कोई सुनवाई नही हुई है केस और कब तक चलेगा मुझे पता नहीं। मुझे बार बार पेशी में जाने मे परेशानी हो रही है। मेरा आपसे यह सवाल है कि मेरी स्वअर्जित भूमि है जिसमे कानूनी मेरा पूर्णतः अधिकार है इस के बावजूद क्या मुझे केस लड़ना पड़ेगा। वर्तमान में तो मेरा बडा़ पुत्र तहसील मे केस किया है हो सकता है कि आगे चलकर जिला न्यायालय में राजस्व न्यायालय में सिविल कोर्ट में, हाई कोर्ट में, सुप्रीम कोर्ट में कहीं भी केस कर सकता है क्या उसके साथ साथ मुझे भी केस लड़ना पड़ेगा? मुझे भी परेशान होना पड़ेगा? मैं तो तहसील न्यायालय तक के ही केस में थक गया हूँ सर। पता नहीं आगे और किन किन मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। महोदय आपकी राय से ऐसा कुछ रास्ता नहीं है क्या जिस में मैं इन से बच सकूँ। मेरे बड़े पुत्र के द्वारा किया गया तहसील न्यायालय में केस को खारिज करवा सकूँ और भी अन्य न्यायालयों में अगर वो केस करे तो उसे मैं एक दो पेशी में ही खारिज करवा सकूँ। हमारे कानून में ऐसा कुछ नियम नहीं है क्या जिस से मैं इन केशों से बच सकूँ या ऐसा कोई कागजात बनवा सकता हूँ क्या जिससे मुझे इन सभी केसों से छुटकारा मिल सके या कुछ ऐसा नियम जिस से मेरा पुत्र मुझ पर केस ही ना कर सके। आपसे निवेदन है की जल्द से जल्द मेरा मार्ग प्रशस्त कीजिए इन मुसीबतों से मुझे बाहर निकालिए।
समाधान-
लोग दस-बीस साल तक या पीढ़ियों तक जमीन जायदाद के लिए लड़ते रहते हैं और आप हैं कि 8 माह में ही परेशान हो गए। अब यदि आप के पुत्र ने ही आप पर संपत्ति के लिए दावा किया है तो वह तो लड़ना ही पड़ेगा। इस लड़ाई से आप पीछा नहीं छुड़ा सकते।
संपत्ति का मामला दीवानी या राजस्व का मामला है। इन मामलों में पक्षकार को खुद पेशी पर उपस्थित होने की कोई जरूरत नहीं होती है। केवल जब मामले में पक्षकार के बयान होने हों या गवाहों को बयान के लिए साथ ले कर जाना हो तभी जरूरत होती है। शेष पेशियों पर खुद वकील भी आप की पैरवी कर सकते हैं। लेकिन जब आप पेशी पर न जाएँ तो इस बात का ध्यान रखें कि हर पेशी के दिन सुबह टेलीफोन पर वकील को बता दें कि आज आप के मुकदमे की पेशी है उसे वकील साहब को देखना है। पेशी के रोज शाम को या अगले दिन फोन कर के यह जरूर पूछें कि पेशी में क्या हुआ और अगली तारीख क्या पड़ी है। यदि आप दुर्ग में रह कर इतना कर सकते हैं तो फिर आप इस मुकदमे से परेशान न होंगे। आप इस मामले में अपने वकील से बात कर के सुविधाएँ प्राप्त कर सकते हैं। वैसे भी दावा यदि आप के पुत्र ने किया है तो मामला उसे साबित करना है, आप को नहीं, आप की भूमिका मामूली है।
जैसा हल आप चाहते हैं वैसा कोई हल मिल भी जाए तो फिर ये अदालतें, ये जज, अहलकार, अदालतों के कर्मचारी, वकील और मुंशियों के पास तो काम ही नहीं रहेगा। वे क्या करेंगे? असल में व्यक्तिगत संपत्ति ऐसी चीज है जिस ने सारी दुनिया को उलझा रखा है। यह न होती तो दुनिया में कोई झगड़ा न होता। जब तक यह रहेगी ये झगड़े चलते ही रहेंगे।
Ok & thnku sir ji……..
ajay sahu का पिछला आलेख है:–.मà¤à¤¦à¥à¤°à¥à¤ à¤à¥ लिठà¤à¥à¤ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ नहà¥à¤…
Sir ji jis tarah uapar shashikant bardwaj ji ne isi case se releted quetion kiya h usi tarah mere hi is case ka thoda sa bhag maine cmnt me post kiya h jise uapar me mere dwara btaye gaye problem me likhne ke liye mai bhul gaya tha . So pls sir ji mera problem solve kjiye .
ajay sahu का पिछला आलेख है:–.à¤à¤ªà¤¸ मà¥à¤ मामला निपà¤à¤¾à¤à¤ या ठà¤à¥à¤à¥ à¤à¤¾à¤à¤à¤¸à¤²à¤° à¤à¥ मदद लà¥à¤à¥¤
अजय साहु जी, आप को अपने सारे सवाल अपने मूल प्रश्न के साथ पूछने चाहिए थे। आप के प्रश्न आप ने नोन यूनीकोड फोण्ट में लिखे हैं जिन्हें यहाँ सार्वजनिक रूप से पढ़ पाना संभव नहीं है। वे प्रश्न भी ऐसे हैं जिन का उत्तर इस सार्वजनिक मंच पर देना उचित नहीं है। आप इस मामले में अपने वकील से सलाह करें तो उत्तम होगा।
तीसरा खंबा का पिछला आलेख है:–.आपस में मामला निपटाएँ या अच्छे काउंसलर की मदद लें।
Good evening sir ji ,
sir ji maine 1 october apni problem isi cmnt me post kiya h so plz rply me sir ji.
ajay sahu का पिछला आलेख है:–.à¤à¤ªà¤¸ मà¥à¤ मामला निपà¤à¤¾à¤à¤ या ठà¤à¥à¤à¥ à¤à¤¾à¤à¤à¤¸à¤²à¤° à¤à¥ मदद लà¥à¤à¥¤
अजय साहु जी, तीसरा खंबा की टिप्पणी में आई किसी भी समस्या का उत्तर नहीं देता। आप को जो भी समस्या तीसरा खंबा को भेजनी है उसे लिंक https://teesarakhamba.com/%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%82%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%b8%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b9-2/ पर निर्धारित प्रपत्र में भेजें। तभी उस पर विचार करना संभव होगा।
तीसरा खंबा का पिछला आलेख है:–.आपस में मामला निपटाएँ या अच्छे काउंसलर की मदद लें।
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वैसे भी दावा यदि आप के पुत्र ने किया है तो मामला उसे साबित करना है
सर
इस केस में लड़के को क्या साबित करना होगा
पुत्र अपने पिता की स्वअर्जित संपत्ति के विभाजन का दावा नहीं कर सकता। यह दावा केवल एक परिस्थिति में किया जा सकता था जब कि पुत्र यह कहता कि उक्त संपत्ति दिखने में स्वअर्जित है लेकिन पुश्तैनी संपत्ति की आय से खरीदी गई होने के कारण यह भी पुश्तैनी संपत्ति का ही एक भाग है। वैसी स्थिति में पुत्र को यह साबित करना होगा कि उक्त संपत्ति का निर्माण पुश्तैनी संपत्ति की आय से हुआ है।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.ऐसा कोई बन्दोबस्त नहीं कि आप के खिलाफ कोई मुकदमा न हो।