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किराएदारी और लायसेंस में फर्क

समस्या-

अशोक कुमार त्यागी ने खरखौद जिला मेरठ उत्तर प्रदेश से पूछा है-

अगर कोर्ट किसी को किरायेदार मानती है तो क्या वो लाइसेंसधारी भी माना जायेगा? किरायेदार ओर लाइसेंसधारी में क्या अन्तर है? एक किरायेदार मेडिकल स्टोर लम्बे समय से चला रहा है। कोर्ट ने उसको किरायेदार तो माना है लेकिन उस पर मेडिकल स्टोर चलाने हेतु उपरोक्त कागज़ नहीं है, ड्रग्स विभाग ने उस से किरायानामा माँगा है। जिस भूमि पर वो स्टोर चला रहा है। लेकिन उसके पास किरायानामा नहीं है। ड्रग्स विभाग का ये नियम है या तो खुद की जमीन हो, अगर किराए पर है तो दुकान मालिक का किरायानामा अति आवश्यक होना चाहिये। क्या ड्रग्स विभाग उसको लाईसेंस जारी कर सकता है? मामला अभी भी कोर्ट मे विचारधीन है।

समाधान-

आप यहाँ जिस लायसेंस की बात कर रहे हैं वह मेडीकल स्टोर चलाने के लायसेंस के बारे में है और जिस किराएदारी की बात कर रहे हैं वह एक भूमि या दुकान (अचल संपत्ति) के बारे में है। मेडीकल स्टोर चलाने का लायसेंस एक कानून के अंतर्गत लेना जरूरी है। जिस का अर्थ होता है कि उसे मेडीकल स्टोर चलाने की अनुमति दी गयी है।

अचल संपत्ति पर भी किराएदारी या लायसेंस दोनों हो सकते हैं। जैसे मेरे घर के सामने यदि कुछ दस फुट जगह खाली हो और कोई रेहड़ी वाला यह कहे कि वह केवल शाम को चार घंटे के लिए अपनी रेहड़ी मेरी जमीन पर खड़ी कर के धंधा करना चाहता है। यदि मैं उसे यह अनुमति देता हूँ तो यह एक लायसेंस होगा। अनुमति की शर्तें भी हो सकती है। इस तरह किसी अचल संपत्ति किराए और लायसेंस दोनों पर दी जा सकती है। किराएदारी और लायसेंस में निम्न मुख्य अंतर हैं-

  1. एक किराएदारी किसी विशिष्ट अचल संपत्ति में किसी हित का हस्तांतरण है, जबकि लाइसेंस केवल मात्र अनुमति है, बिना किसी हित-हस्तांतरण के।
  2. एक किराएदारी संपत्ति के संबंध में किराएदार के पक्ष में एक हित उत्पन्न करता है, लेकिन एक लाइसेंस इस तरह का कोई हित पैदा नहीं करता है।
  3. एक किराएदारी हस्तांतरणीय भी हो सकती है और वह उत्तराधिकार में भी जाती है, किराएदारी में किरायेदार द्वारा उप किरायेदार रखने की व्यवस्था हो सकती है। किरायेदार की मृत्यु पर, किरायेदारी को उसके कानूनी उत्तराधिकारी द्वारा विरासत में प्राप्त किया जा सकता है, जबकि, लाइसेंस न तो हस्तांतरणीय है और न ही उत्तराधिकार में जा सकता है।
  4. लायसेंस देने वाले और लायसेंस प्राप्त करने वाले में से किसी भी एक की मृत्यु के साथ लाइसेंस समाप्त हो जाता है, क्योंकि यह एक व्यक्तिगत अनुबंध है, लेकिन भूस्वामी या किराएदार की मृत्यु पर कोई किराएदारी समाप्त नहीं होती।
  5. लायसेंस देने वाला कभी भी लाइसेंस समाप्त कर सकता है, लेकिन किरायेदारी केवल किराएदारी की शर्तों के अनुसार ही समाप्त हो सकती है।
  6. भूस्वामी के संपत्ति हस्तान्तरित कर देने से किराएदारी समाप्त नहीं होती। जबकि, लाइसेंस के मामले में, यदि संपत्ति तीसरे पक्ष को बेची जाती है, तो लायसेंस उसी समय समाप्त हो जाता है।
  7. एक किराएदार को संपत्ति पर अपने कब्जे को सुरक्षित रखने का अधिकार है। जबकि, एक लाइसेंसधारी अपने कब्जे का अपने नाम पर बचाव नहीं कर सकता क्योंकि उसे संपत्ति में हित प्राप्त नहीं होता। मालिकाना अधिकार नहीं है।
  8. एक किराएदार उसके द्वारा किराए पर ली गयी संपत्ति का उपयोगिता बढ़ाने के लिए सुधार और विकास कर सकता है।

जहाँ तक ड्रग्स विभाग द्वारा किराएदार को मेडीकल दुकान चलाने का लायसेंस प्रदान करने का प्रश्न है तो किरायानामा इस कारण मांगा जाता है कि जिस स्थान पर दुकान चलाई जानी है उस पर आवेदक का अवैध कब्जा तो नहीं है। आप के मामले में यदि न्यायालय ने यह मान लिया है कि वह व्यक्ति किराएदार है तो न्यायालय का ऐसा आदेश प्रस्तुत करने पर भी ड्रग्स विभाग लायसेंस जारी कर सकता है। क्यों कि इस आदेश से यह स्पष्ट होता है कि आवेदक का संबंधित स्थान पर अवैध कब्जा नहीं है।

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