DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

जर, जमीन जोर की …

rp_property3.jpgसमस्या-

जय प्रकाश सोडानी ने भीलवाड़ा, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

मेरे दादाजी की जायदाद है, मेरे पापा 4 भाई बहन हैं। बाकी 3 अलग अलग मकान में रहते हैं। परन्तु मेरे पापा तथा माँ भोले हैं इसलिये वो उन को वहाँ नहीं रहने देते। इस कारण हमें भी किराये के मकान में रहना पड़ता है। जब कि कुछ और घर खाली पड़े हैं। जहाँ कोई नही रहता। हम 2 भाई हैं हमारी आमदनी भी इतनी अच्छी नहीं है कि मकान का किराया तथा बाकी सब खर्चे कर सकें।

 

समाधान

प ने कुछ बातें नहीं बताई हैं। आप के दादा जीवित हैं या नहीं। दादा की संपत्ति स्व अर्जित है अथवा व पुश्तैनी है।

दि दादाजी नहीं रहे हैं और उन्हों ने कोई वसीयत नहीं की है तो संपत्ति आप के और आप के पिता के भाईयों की संयुक्त हो चुकी है और आप के पापा उस के बंटवारे के लिए मुकदमा कर सकते हैं। यदि दादाजी मौजूद हैं और संपत्ति पुश्तैनी है तो भी आप के पिता का उस में हिस्सा है और आप के पिता बंटवारे का मुकदमा कर के अपने हिस्से पर अलग कब्जा प्राप्त करने का मुकदमा कर सकते हैं।

दि आप के दादा जी की संपत्ति है और कुछ मकान खाली पड़े हैं तो आप उन्हें अपनी संपत्ति समझ कर उन का इस्तेमाल करने और किसी भी बाधा से मुकाबला करने की स्थिति में हों तो उन में जा कर रहने लगें। जिन्हें आपत्ति होगी वे मुकदमे बाजी करते रहेंगे। संपत्ति ऐसी चीज है कि उसे कोई भी नहीं छोड़ना चाहाता है। आप को इस संपत्ति के लिए लड़ाई तो लड़नी होगी। यदि आप लड़ना नहीं चाहते तो आपको इस संपत्ति को छोड़ना होगा। लोक में यह कहावत यूँ ही नहीं प्रचलित है कि जर, जमीन जोर की।

 

One Comment