जर, जमीन जोर की …
जय प्रकाश सोडानी ने भीलवाड़ा, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-
मेरे दादाजी की जायदाद है, मेरे पापा 4 भाई बहन हैं। बाकी 3 अलग अलग मकान में रहते हैं। परन्तु मेरे पापा तथा माँ भोले हैं इसलिये वो उन को वहाँ नहीं रहने देते। इस कारण हमें भी किराये के मकान में रहना पड़ता है। जब कि कुछ और घर खाली पड़े हैं। जहाँ कोई नही रहता। हम 2 भाई हैं हमारी आमदनी भी इतनी अच्छी नहीं है कि मकान का किराया तथा बाकी सब खर्चे कर सकें।
समाधान–
आप ने कुछ बातें नहीं बताई हैं। आप के दादा जीवित हैं या नहीं। दादा की संपत्ति स्व अर्जित है अथवा व पुश्तैनी है।
यदि दादाजी नहीं रहे हैं और उन्हों ने कोई वसीयत नहीं की है तो संपत्ति आप के और आप के पिता के भाईयों की संयुक्त हो चुकी है और आप के पापा उस के बंटवारे के लिए मुकदमा कर सकते हैं। यदि दादाजी मौजूद हैं और संपत्ति पुश्तैनी है तो भी आप के पिता का उस में हिस्सा है और आप के पिता बंटवारे का मुकदमा कर के अपने हिस्से पर अलग कब्जा प्राप्त करने का मुकदमा कर सकते हैं।
यदि आप के दादा जी की संपत्ति है और कुछ मकान खाली पड़े हैं तो आप उन्हें अपनी संपत्ति समझ कर उन का इस्तेमाल करने और किसी भी बाधा से मुकाबला करने की स्थिति में हों तो उन में जा कर रहने लगें। जिन्हें आपत्ति होगी वे मुकदमे बाजी करते रहेंगे। संपत्ति ऐसी चीज है कि उसे कोई भी नहीं छोड़ना चाहाता है। आप को इस संपत्ति के लिए लड़ाई तो लड़नी होगी। यदि आप लड़ना नहीं चाहते तो आपको इस संपत्ति को छोड़ना होगा। लोक में यह कहावत यूँ ही नहीं प्रचलित है कि जर, जमीन जोर की।
Namste sir mera nam anup kumar sinha hai.maine ek jamin apni patni ke nam 2 july 2014 ko kharidi thi.Samay na hone ke karan mai boundary wall nahi kara saka kuchh samay bad us jamin par pados ke rahne wale ek admi ne case kar diya,uska kahna hai ki wah jamin uski hai.wah kahta hai ki wah jamin usne us jamin par rahne wale kisi aasami se badli kiya hai.aasami ab jivit nahi hai.lekin us jamin par abhi bhi bechne wale ka kabja hai aur wo mujhe kabja dilana chahta hai lekin jisne badli kiya hai wo pareshan karta hai jagra karta hai.yah jamin bechne wale ke poorwajo ke nam par hai.uchit marg dikhaye.dhanayabad.