जारकर्म (Adultery) का अपराध क्या है?
|योगेन्द्र सिंह ने मंडी धनोरा, अमरोहा उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
पत्नी के किसी दूसरे पुरुष के साथ सम्बन्ध हों तो दूसरे पुरुष के विरुद्ध क्या कार्यवाही की जा सकती है?
समाधान-
यदि किसी व्यक्ति की पत्नी के साथ कोई दूसरा पुरुष यौन संबंध स्थापित करता है और उस पुरुष का यह कृत्य बलात्कार नहीं है तो यह धारा 497 भा.दंड संहिता के अन्तर्गत “जारकर्म” का अपराध है जिस में उस दूसरे पुरुष को पाँच वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों तरह के दण्ड से दण्डित किया जा सकता है। जारकर्म के अपराध का दोषी केवल पुरुष हो सकता है। धारा 497 भा.दं.संहिता निम्न प्रकार है-
-
जारकर्म—
जो कोई ऐसे व्यक्ति के साथ, जो कि किसी अन्य पुरुष की पत्नी है और जिसका किसी अन्य पुरुष की पत्नी होना वह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है, उस पुरुष की सम्मति या मौनानुकूलता के बिना ऐसा मैथुन करेगा जो बलात्संग के अपराध की कोटि में नहीं आता, वह जारकर्म के अपराध का दोषी होगा, और दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा। ऐसे मामले में पत्नी दुष्प्रेरक के रूप में दण्डनीय नहीं होगी।
इस अपराध को साबित करने के लिए पत्नी के साथ दूसरे पुरूष का यौन संबंध स्थापित किया जाना साबित करना होगा, उस में स्त्री के पति की सम्मति या मौनानुकूलता नहीं होनी चाहिए।
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 198 की उपधारा (2) के अन्तर्गत उक्त अपराध के लिए केवल उस स्त्री का पति ही व्यथित व्यक्ति माना जाएगा और केवल वही इस अपराध के अन्तर्गत अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है।
यह अपराध संज्ञेय नहीं है इस कारण इस पर पुलिस सीधे कार्यवाही नहीं कर सकती। इस मामले में व्यथित व्यक्ति अर्थात उस स्त्री के पिता को ही क्षेत्र के मजिस्ट्रेट के न्यायालय में स्वयं ही परिवाद प्रस्तुत करना होगा।
sir nemestye, mera naam rishi raj he..meri susural walew muze marne ki kosis kerte he…pitchle 5 sal se mere betche muzse nehi milne dete ,me cort police sebko sikyet kr chuka ,me gerib hu or ve aemir plz semadhan betaye/krweye
राजस्वा विभाग में ९९% गिद्ध व वकीलों की पोशाक ९९% ठग in हरामखोरों ने न्यायालयों को सड़ा के रख दिया है ?
राजस्व न्यायालयों का राजस्थान में यही हाल है, वहाँ बिरले ही कोई काम बिना लिए दिए होता है, वरना लटकाए रखा जाता है। खुद अफसरों के फैसलों की बोली लग जाती है। वहाँ जो वास्तव में वकालत करते हैं उन्हों ने जाना ही बन्द कर रखा है। आप को ऐसे वकील भी मिले होंगे जिन्हों ने कहा होगा वे उधर की वकालत नहीं करते। निश्चित रूप से वहाँ काम करने वालों में अधिकांश वही हैं जो अफसरों से फैसले करवाने की तिकड़म रखते हैं।
राजस्व न्यायालयों में न्याय मिलता नहीं बिकता है। सरकार इसी कारण इसे अपने पास रखना चाहती है, न्याय पालिका के सुपूर्द नहीं करना चाहती।
rajaswa vibhag me 99% gidh va vakeelon ki posak me 99% thag ?
वकीलों मे ९९% वाली बात से मैं सहमत नहीं हूँ। पर आप वकील सोच समझ कर नहीं करेंगे तो समझ में यही आएगा। एक व्यक्ति दो तीन वकीलों से अधिक को ट्राई नहीं करता। और उस की समझ ऐसी होती है कि बेहतर वकीलों तक वह पहुँच नहीं पाता।
उपहार व अमानत वाले पोस्ट को यहॉं पर पूछे जाने के लिये मुझे क्षमा करे।यह त्रुटिवश इस स्थान पर भेजा गया हैं।पुनः क्षमा प्रार्थी।
बिलकुल रख सकती है, वे उस की भी सन्तानें हैं।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.प्रगतिशील होने का पाखंड !
उपहार और अमानत में अन्तर क्या है। सगाई मे एक दूसरे पक्षो द्वारा दी गई वरस्तुए एवं नगदी उपहार है या अमानत।सर कृपया इस प्रश्न का उतर प्रदान करे।
श्रीमान् जी महिला की बाद की दो सन्ताने भी हैं क्या महिलां इन्हे भी अपने साथ रख सकती है।क्या उन्हे साथ रखने का कोई मजबूत आधार है।
एक स्त्री ने दूसरी शादी पहले पति की मृत्यु के बाद की जिससे एक पुत्री है। दूसरे पति से दो सन्ताने है।पहली पुत्री को पति ने गोद नहीं लिया है।पति का एक अन्य माहिला से अवैध संबंध है।जिसकी ज्ानकारी माहिला व पुत्री को है।इस बात को लेकर पति व पत्नी में झगडे भी होते है। ऐसे में वह महिला व पुत्री क्या करे।
महिला पति से तलाक ले सकती है, पुत्री व स्वयं के लिए पृथक आवास और मासिक भरण पोषण राशि की मांग कर सकती है।