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टीटीई को दंड मिला, लेकिन दुर्व्यवहार, असुविधा तथा मानसिक संताप के लिए मुझे हर्जाना कैसे मिलेगा?

समस्या-

अम्बिकापुर, छत्तीसगढ़ से पवन अग्रवाल ने पूछा है-

मैं ने 24 जुलाई 2010 को नागपुर महाराष्ट्र से रायपुर (छत्तीसगढ़) के लिए रेल का जनरल का टिकट लिया और टीटीई के पास गया। टीटीई ने बर्थ दे दी।  मैं ट्रेन में जा कर बैठ गया। टीटीई आया और भाड़े का अंतर 150 रुपए मांगा। मैं ने कहा कि 81 रुपए लगते हैं तो टीटीई ने कहा कि 70 रुपए अधिक लेते हैं।  मैं ने नहीं दिए तो टीटीई ने मुझे जनरल में भेज दिया।  मैं ने इस की शिकायत रेलवे को की तो टीटीई दोषी साबित हुआ और उसे विभागीय कार्यवाही पर दो वर्ष की वेतन वृद्धि रोके जाने के दंड से दंडित किया गया।  टीटीई पर आरोप था कि उस ने यात्री से 68 रुपए की घूस की मांग की, यात्री के साथ दुर्व्यवहार किया, उचित मांग के बाद भी यात्री को बर्थ नहीं दी, रेलवे का 82 रुपए का नुकसान किया और रेलवे स्टेशन पर टिकट नहीं बनाया। यह ठीक है कि टीटीई को सजा मिल गई। लेकिन मुझे जो मानसिक और शारीरिक संताप हुआ उस के लिए कोई हर्जाना नहीं दिया गया। मैं रुपए 10,000 हर्जाने के रूप में चाहता हूँ। मुझे क्या करना चाहिए?

समाधान-

india_railways_tteप ने टीटीई की शिकायत की और रेलवे ने उसे दोषी सिद्ध होने पर दंडित कर दिया।  यह रेलवे ने सही किया। लेकिन आप ने रेलवे से केवल शिकायत की होगी और शिकायत में आप के साथ हुए व्यवहार, असुविधा और संताप के लिए हर्जाने की मांग नहीं की होगी। इस कारण से रेलवे ने आप की मांग पर कोई कार्यवाही नहीं की। यदि आप ने अपनी शिकायत में या पृथक से रेलवे से हर्जाने की मांग की होती तो शायद रेलवे आप की हर्जाने की मांग पर विचार कर सकती थी और आप को हर्जाना दे सकती थी।

दि आपने रेलवे से हर्जाने की मांग की है और उन्हों ने उस पर कोई उत्तर नहीं दिया है या आप के हर्जाने की मांग को ठुकरा दिया है तो आप जिला उपभोक्ता प्रतितोष मंच के समक्ष अपनी शिकायत प्रस्तुत कर के हर्जाने की मांग कर सकते हैं।  इस संबंध में आप को केवल एक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 24 ए के अंतर्गत उपभोक्ता प्रतितोष मंच के समक्ष परिवाद वाद कारण उत्पन्न होने के दो वर्ष की अवधि में प्रस्तुत किया जा सकता है और जिस दिन आप के साथ उक्त दुर्व्यवहार हुआ और वाद कारण उत्पन्न हुआ उस दिन से दो वर्ष की अवधि निकल चुकी है।

लेकिन धारा 24 ए की उपधारा 2 में यह उपबंधित किया गया है कि यदि आप को पास कोई उचित कारण हो तो उस से संतुष्ट होने के बाद उपभोक्ता प्रतितोष मंच संतुष्ट हो कर दो वर्ष की अवधि के बाद भी परिवाद को स्वीकार कर सकता है।  आप अपने परिवाद में भी यह आधार लें तथा देरी को क्षमा करने के लिए एक पृथक आवेदन प्रस्तुत करें कि आप ने सही समय पर रेलवे को शिकायत करते हुए हर्जाने की मांग की थी।  आप रेलवे द्वारा की जा रही कार्यवाही का इंतजार कर रहे थे और वाद कारण का उत्पन्न होना लगातार जारी था तथा अंतिम बार तब उत्पन्न हुआ था जब उस टीटीई को दोषी मान कर दंडित किया गया। टीटीई को दंडित किए जाने के आदेश की तिथि से दो वर्ष की अवधि में आप परिवाद उपभोक्ता प्रतितोष मंच के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं।  इस कारण आप को परिवाद प्रस्तुत करने में जो देरी हुई है उस का कारण उचित है और जो देरी हुई है वह क्षमा योग्य है। देरी क्षमा करने के इस आवेदन के समर्थन में आप टीटीई को दंडित करने के आदेश की प्रति तथा अपना शपथ पत्र प्रस्तुत कर सकते हैं।  इस आधार को उचित पाने पर उपभोक्ता प्रतितोष मंच आप का परिवाद सुनवाई के लिए स्वीकार कर सकता है।

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