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तलाक के लिए आधार न होने पर सहमति से तलाक ही एक मात्र मार्ग है।

समस्या-

धार, मध्य प्रदेश से अमित जैन ने पूछा है –

मेरी उम्र 32 वर्ष की है और मेरी पत्नी 29 वर्ष की है।  हमारा विवाह 05.02.2011 को हिन्दू रीति रिवाज से दोनों की सहमति से हुआ था।  विवाह के बाद मेरी पत्नी किसी न किसी बहाने से अपने मायके जाती रही और इस तरह हर माह जाने लगी।  पत्नी की माताजी से हमारे परिवार और घर के बारे में नई नई कहानियाँ बना कर सुनाने लगी जिस के परिणाम स्वरूप उस की माता जी को मेरे परिवार वालों के बारे में गलतफहमियाँ हो गई बाद में वह हर समय मेरे से अकेले में कहती कि ऐसी शादी से कोई मतलब नहीं हम लोगों को अलग हो जाना चाहिए। मैं उसे समझाता रहा कि ऐसा क्यों सोचती हो, क्यों बोलती हो तो स ने बताया कि मेरा शादी का कोई इरादा नहीं था। परिवार वालों और समाज के दबाव के कारण मैं ने शादी की और ऐसे ही बहाना बना कर मेरी माताजी के खिलाफ अपने भाई के साथ अपने पिता के घर चली गई। और जब मैं ने आने की बात कही तो कहने लगी पहले मेरी शर्तें मानो।  मैं जैसा रहने को कहती हूँ वैसा रहो तो आउंगी। बात बात पर अलग होने का कहती है पर अलग भी नहीं होना चाहती।  हमारे परिवार में मैं आपे मता पिता के साथ रहता हूँ। कुल हम चार लोगों का परिवार है पर वह घर का कोई काम नहीं करती है। सारा काम माताजी और पिताजी को करना पड़ता है।  हमारे बीच कोई प्यार नहीं है। वह चार महिने से अपने पिता के यहाँ है।  कृपया बताएँ कि मैं तलाक कैसे ले सकता हूँ?

समाधान-

alimonyभी आप के पास सहमति से तलाक लेने के सिवाय कोई अन्य आधार उपलब्ध नहीं है। इस कारण यदि संभव हो तो सहमति से तलाक ही एक मात्र मार्ग है।

स के लिए आप को अपनी पत्नी से उस के मायके जा कर मिलना चाहिए और अकेले में बात करनी चाहिए।  यदि यह सम्भव नहीं हो तो उसे कहीं और बुला कर मिलना चाहिए और बात करनी चाहिए।  दोनों का कैसे साथ रहना संभव हो सकता है? इस विषय पर बात करने के लिए आप उसे कहीं भी बुला कर बात कर सकते हैं।  दोनों का कैसे साथ रहना संभव हो इस विषय पर उस के विचार जानिए।  फिर आप यह कह सकते हैं कि मेरे माता पिता के साथ मैं अकेला हूँ उन्हें अकेला और अलग छोड़ पाना संभव नहीं है।  कानून भी इस की इजाजत नहीं देता है। यदि बच्चे माता-पिता की उपेक्षा करते हैं तो माता-पिता बच्चों के विरुद्ध मुकदमा कर सकते हैं।  इस बातचीत के बीच संबंध बिगाड़ें नहीं, न गुस्सा हों।  सारी बात प्रेम पूर्वक करें।  अपनी पत्नी को कहें कि आप उसे किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ना चाहते लेकिन सामाजिक दायित्व और कानूनी बाध्यता के कारण माता-पिता को भी नहीं छोड़ सकते। इस तरह आप अपनी पत्नी के साथ कुछ बैठकें करिए। साथ ही उसे समझाएँ कि ये बातें आप दोनों के बीच ही रहें।  वह न भी रखे और अपने माता पिता को बताए तो भी आप उस की तरफ से आँखें मूंदें रहें।

स बातचीत के माध्यम से आप दोनों में साथ रहने का कोई मार्ग निकले तो ठीक है।  लेकिन यदि आप की पत्नी किसी कीमत पर आप के साथ नहीं रहना चाहेगी तो खुद ही कह देगी।  जब साथ रहने का कोई रास्ता शेष न रहे तो बहुत उदास और निराशा के भाव में आप उसे कहें कि  फिर तो एक ही मार्ग रह जाता है कि सहमति से तलाक ले लिया जाए। लेकिन आप अपनी पत्नी को इस बात के लिए भी राजी कर लें कि यदि आप के माता-पिता या उस के माता-पिता को तलाक की बात पता लगेगी तो वे ऐसा नहीं होने देंगे। इस कारण से दोनों चुपचाप तलाक की अर्जी लगा देते हैं।  जब तलाक हो जाएगा तो दोनों को बता देंगे।  यदि वह सहमति से तलाक के लिए सहमत हो जाती है तो कोशिश करें कि बिना उस के और अपने माता-पिता को बताए आप दोनों सहमति से तलाक की अर्जी न्यायालय में दाखिल करें और तलाक ले लें। जब तलाक हो जाए तो सब को बता दें। यदि किसी तीसरे पक्ष को तलाक की बात जाएगी तो फिर इस तलाक में बहुत अड़चनें खड़ी हो सकती हैं और उस से आप की ही परेशानियाँ बढ़ेंगी।

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