दान-पत्र दानकर्ता की इच्छा पर भी निरस्त नहीं हो सकता।
|जयन्ती चरण झा ने जहाँगीरपुर, बिहार से पूछा है-
मेरे बुआजी ने मेरे पिताजी को जमीन दी थी जो कि मेरे फूफाजी के नाम है। जमीन मेरे पिताजी के नाम से पंजीकृत नहीं हुई है। इस जमीन पर धान की खेती होती है। क्या इस जमीन को मेरी बुआ जी मेरे पिताजी के नाम पर दान कर सकती हैं? इस पर कितना खर्चा आएगा? क्या वे कभी इस जमीन पर अपना दावा कर सकती हैं?
समाधान-
आप ने बताया कि आप की बुआ ने जो जमीन पिताजी को दी है वह फूफाजी के नाम है। यदि फूफाजी जीवित हैं तो केवल फूफाजी ही अपनी जमीन को किसी को हस्तान्तरित कर सकते या दान कर सकते हैं आप की बुआ जी नहीं कर सकतीं। यदि अब फूफाजी नहीं हैं और उन की एक मात्र उत्तराधिकारी आप की बुआ जी हैं तो जमीन उत्तराधिकार में आप की बुआ जी को मिल चुकी है और वे आप के पिताजी के नाम दान पत्र पंजीकृत करवा सकती हैं। एक बार किसी संपत्ति का दान पत्र पंजीकृत हो जाने के बाद उस दान पत्र को निरस्त नहीं किया जा सकता।
लेकिन आप के फूफाजी जीवित हैं तो केवल वे ही उस जमीन को विक्रय या दान कर सकते हैं जो केवल पंजीकृत विलेख के माध्यम से ही हो सकता है।
एक दान पत्र के पंजीकरण में उतना ही खर्च आता है जितना कि उस जमीन को बेचने पर बेचान की रजिस्ट्री कराने में आता है। बिहार में यदि दान पत्र पर स्टाम्प ड्यूटी कम हो तो आप को उप रजिस्ट्रार के कार्यालय जा कर इस का पता करना चाहिए।
मेरे नानाजी ने दो शादी कि थी पहली एक लडका है दुसरी से दो लडकी एक लडका है पहली बीबी अपने लडका को लेकर घर छोर कर चली गई और नानाजी का निधन भी हो गया है और मेरी मौसी का भी निधन हो गया है तो मेरी नानी ने मेरे नानाजी के नाम वाली जमीन को मेरी मां को आधा जमीन वसियत कर दी और आधी जमीन दान पत्र मे दे दी है दान पत्र वाली जमीन का पंजीकृत भी हो गया है अब मेरे नानाजी की पहली बीबी का लडका आ गया है वो अपन हिस्सा दान पत्र वाली जमीन मे मांग रहा है मेरे नाना कि पहली बीबी का निधन हो गया है और मेरी मौसी का लडका भी दान पत्र वाली जमीन मे हिस्सा मांग रहा है जमीन २००५ के पहले मेरी मां को मिली थी कया दोनो का हिस्सा बनता है मेरी नानी जिवित है
मेरे नानाजी ने दो शादी कि थी पहली एक लडका है दुसरी से दो लडकी एक लडका है पहली बीबी अपने लडका को लेकर घर छोर कर चली गई और नानाजी का निधन भी हो गया है और मेरी मौसी का भी निधन हो गया है तो मेरी नानी ने मेरे नानाजी के नाम वाली जमीन को मेरी मां को आधा जमीन वसियत कर दी और आधी जमीन दान पत्र मे दे दी है दान पत्र वाली जमीन का पंजीकृत भी हो गया है अब मेरे नानाजी की पहली बीबी का लडका आ गया है वो अपन हिस्सा दान पत्र वाली जमीन मे मांग रहा है मेरे नाना कि पहली बीबी का निधन हो गया है और मेरी मौसी का लडका भी दान पत्र वाली जमीन मे हिस्सा मांग रहा है जमीन २००५ के पहले मेरी मां को मिली थी कया दोनो का हिस्सा बनता है मेरी नानी जिवित है
श्रीमान जी खसरा न.989 जो भूलेख मे आबादी दर्ज है के चारो तरफ से मैने कच्ची मिट्टी की 6फीट ऊची दिवार बनाई हुई है जिसके अन्दर एक तरफ मेरा पक्का मकान है इसी के साथ मेरे पडोसी का खसरा न.990 जो भुलेख मे खेत दर्ज है
मेरे पडोसी मेरी तरफ अपने खेत मे निर्माण कार्य करने वाले है मैने उनसे 5 फीट नाली के लिऐ जगह छोड कर निर्माण कार्य करने के लिये बोला क्यो की 20 साल पहले उस जगह पर नाली थी लोग कहते है पर पडोसी नही मानते
इसी बात का विवाद है
पडोसी ने तहसील दिवास मे निर्माण कार्य मे नजायज हस्ताळेप की शिकायत कर दिया तहसील से SDM के आदेश पर पटवारी और कुछ पुलिस अधिकारी पडोसी की जमीन की नाप करने आऐ पडोसी की जमीन नाप करके मुझे बताया की आप की कच्ची दिवार के 5फीट अन्दर तक आप के पडोसी की जमीन है मुझे कुछ भुलेख नक्शे दिखाया जिसमे कोई नाली के निशान नही थे पर मैने अपने जीवनकाल मे वहा पर नाली देखी है
मेरे पडोसी को बोला की दिवार तोडकर कब्जा दिलाना मेरे अधिकार मे नही है आप को कचहरी से आदेश लाना होगा कल तहसील से जाँच रिर्पोट ले जाओ
मेरा खसरा न.989 पर पुस्तैनी कब्जा है कच्ची दिवार भी बीस साल पुरानी है
जो दोनों खसरा न.की सीमा है अभी पडोसी ने दीवानीवाद नही किया है मैने भी अभी तक कोई कार्यवाही नही किया है
मेरा सवाल है
क्या दिवानीवाद करके पडोसी मेरी दिवार तोड सकते है मै अपनी पुस्तैनी जमीन को कैसे बचा सकता हूं नाली की जमीन पडोसी से किस तरह से छुडाई जा सकती है गाँव के लोग अदालत मे गवाही देने के लिऐ तैयार है