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हक-त्याग पंजीकृत विलेख से ही संभव है।

समस्या-

पिताजी को 2017 में उनके पिता जी वसीयत से भूमि मिली थी। मेरे पिता जी का देहांत 2018 मे हो गया। पिताजी  की संपत्ति के वारिसों में माताजी व 3 बहनें व हम दो भाई हैं। पिताजी के देहांत बाद 2018 मे नजुल अधिकारी के यहाँ मैंने वारिसाना नामान्तररण के लिए आवेदन लगाया था और आवेदन के साथ मेरी 3 बहनों द्वारा स्टाम्प में नौटराईज शपथ-पत्र दिया था। 3 बहनों शपथ पत्र लिखा था कि वे पिताजी की भूमि को माताजी व दोनों भाइयों के नाम पर किया जाए,हमें कौइ आपत्ति नहीं होगी। हम तीनों अपने ससुराल में खुश हैं। लेकिन नजुल आधिकारी द्वारा मार्च 2020 में पिताजी की भूमि को आदेश लिखा तीनों बहनों ने जो शपथ-पत्र दिया था वो पंजीकृत नहीं होने की वजह से तीनों बहनों व दोनो भाइयों व माताजी के नाम वारिसाना नामान्तरण का आदेश कर दिया। मेरी तीन बहनें पिताजी की संपति से अपना हक त्याग करना चाहती हैं। भूमि को माताजी व हम दोनों भाइयो के नाम पर करना चाहती हैं। क्रपया डिटेल मे जानकारी दें कि यह केसे होगा?

-सुनील, पुराना गांधी चौक के पास, सतना (मध्यप्रदेश)

समाधान-

आप के नजूल अधिकारी ने बिलकुल सही निर्णय किया है। इस के लिए वह बधाई का पात्र है।

जैसे ही किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है उसका उत्तराधिकार तय हो जाता है। आप के पिताजी के देहान्त के साथ ही उन का उत्तराधिकार तय हो गया। आप की माताजी, तीनों बहनें और आप दोनों भाई उनके उत्तराधिकारी होने के कारण पिताजी की संपत्ति में प्रत्येक 1/6 हिस्से के स्वामी हो गए।

लेकिन अब आप की बहनें अपनी संपत्ति पर अपना हक-त्याग आप दोनों भाइयों और माताजी के नाम करना चाहती हैं।  इस हक-त्याग का परिणाम यह होगा कि आपकी बहनों के हिस्से की संपत्ति आपकी माताजी और आप दोनों भाइयों के नाम हस्तांतरित हो जाएगी। यह संपत्ति अचल संपत्ति है। किसी भी अचल संपत्ति के हस्तान्तरण के लिए यह आवश्यक है कि हस्तान्तरण उप-पंजीयक के कार्यालय में उचित स्टाम्प ड्यूटी और शुल्क अदा कर के पंजीकृत कराया जाए। केवल शपथ-पत्र और अनापत्ति पत्र के माध्यम से यह संभव नहीं है।

यदि बहनें संयुक्त संपत्ति में अपना हिस्से की संपत्ति आप के हक में त्याग करना चाहती हैं तो उन से हक-त्याग विलेख लिखवाएँ और उचित स्टाम्प ड्यूटी अदा कर पंजीयन शुल्क अदा कर उसे उप पंजीयक के यहाँ उसे पंजीकृत कराएँ। उस पंजीकृत हक-त्याग विलेख के आधार पर पुनः नामान्तरण के आधार पर आवेदन करें तो संपत्ति में से आप की बहनों का हिस्सा कम हो कर आप दोनों भाइयों व माताजी का 1/3 हिस्सा होने का नामान्तरण आदेश पारित हो जाएगा। हक-त्याग विलेख के पंजीयन में स्टाम्प ड्यूटी और पंजीयन शुल्क बहुत कम होती है, पर ये देनी पड़ेगी।

 

 

 

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