देर से कार्यवाही तो परिणाम भी देर से
हृदयेश दीक्षित ने फरुक्खाबाद, उत्तर प्रदेश से पूछा है-
घर के नीचे दुकान है 30 साल से दुकान किराए पर है सात साल पहले किराएदार की मृत्यु हो गए तब से दुकान उसके पुत्र के पास है जो की ना दुकान खोलता है ना खाली कर रहा है नाही किराया दे रहा है अब हम दुकान खाली कराना चाहते हैं, क्या करें?
समाधान-
आप बड़े अजीब आदमी हैं। सात साल से दुकान बन्द है और आप हाथ पर हाथ धर कर बैठे हैं। यदि किराएदार जिस काम के लिए परिसर किराए पर ले उसे लगातार छह माह तक उपयोग न करे तो मालिक उस परिसर को खाली कराने का अधिकारी हो जाता है। दुकान के बन्द हुए छह माह होने के बाद यदि आप ने कार्यवाही कर दी होती तो अब तक दुकान आप के कब्जे में होती।
किराया छह माह से अधिक का बकाया होने पर उसे वसूले जाने और परिसर खाली कराने का वाद संस्थित किया जा सकता है। आप को तो सात सालसे किराया नहीं मिला है।
आप तुरन्त किसी स्थानीय वकील से मिलिए और परिसर को खाली कराने का वाद संस्थित करिए। आप के सामने समस्या आएगी कि अदालत से तो बरसों लग जाएंगे। जितना समय लगना है वह तो लगेगा। आप के पास और कोई रास्ता नहीं है। जितनी देर करेंगे उतना ही देर से परिणाम आएगा।
वैयक्तिक विधियों में प्राप्त संपत्ति का अधिकार –
भारत में विभिन्न धर्मों की वैयक्तिक विधियों द्वारा भी व्यक्ति को संपत्ति का अधिकार प्राप्त होता है ,जो निम्न है –
*हिन्दू विधि –
[ए ]-सहदायकी संपत्ति -संयुक्त कुटुंब की समस्त संपत्ति जिस पर अधिकार स्वामित्व की समानता होती है ,सहदायकी संपत्ति है .
१-पैतृक संपत्ति-पिता से पुत्र को ,इस तरह से निरंतर पीढ़ी दर पीढ़ी वंशानुगत रूपेण जो संपत्ति उतराधिकार में चलती है ,पैतृक सम्पदा है .इसे इस प्रकार समझ सकते हैं
१-१-परदादा ,दादा ,पिता से प्राप्त सम्पदा [अप्रतिबंध दाय ]
१-२-मिताक्षरा विधि में एक ही संपत्ति को पैतृक सम्पदा माना गया है पर प्रिवी कौंसिल ने एक निर्णय में मत दिया है कि यदि दो भाई अपने नाना से सम्पदा प्राप्त करें तब सामूहिक सम्पदा है लेकिन इलाहाबाद एवं कर्नाटक उच्च न्यायालय ने विपरीत मत व्यक्त किया है .
२- संयुक्त रूपेण अर्जित संपत्ति -जब संयुक्त श्रम से संयुक्त परिवार की संपत्ति अर्जित की जाती है तब उसे सहदायकी संपत्ति मान लिया जाता है .
३-संपत्ति जो परिवार की सहदायकी सम्पदा के माध्यम से अर्जित की गयी है ,इसमें ही सम्मिलित है जैसे सहदायकी संपत्ति की आमदनी से कोई अन्य अर्जित सम्पदा .
सहदायकी संपत्ति में स्वामित्व की इकाई ,अंशों की अनिर्धार्नियता ,हक़ की सामूहिकता ,स्त्रियों का अपवर्जन व् उत्तरजीविता से न्यागमन होता है .
[ब ]-पृथक सम्पदा -संपत्ति जो किसी सहदायकी सम्पदा से भिन्न इस प्रकार की सम्पदा है जिस पर न तो सह अस्तित्व रहता है न सह या संयुक्त अस्तित्व ,हो सकता है ये कभी एक हो पर जब टूटकर पृथक हो तब संपत्ति पृथक कही जाएगी .इस संपत्ति में अकेला उसी का स्वत्व रहता है .जब सहदायकी का कोई सदस्य अलग हो
से कोई सम्पदा अर्जित कर ले जिसमे सह्दायिक सम्पदा का या किसी सह्दायिक का संयुक्त सहयोग न हो पृथक संपत्ति कही जाएगी और इसमें अर्जित करने वाले का ही हक़ होगा .
इस प्रकार संपत्ति का अधिकार वैयक्तिक विधियों द्वारा पृथक -पृथक रूप से प्रदान किया गया है और व्यक्ति का जीवन मूलतः इन्हीं पर आधारित है किन्तु जहाँ अधिक महत्व की बात आती है तो संवैधानिक अधिकार का ही महत्व है और यही अधिकार ही इन विधियों से प्राप्त अधिकार को बल प्रदान करता है .
पैतृक सम्पत्ति में सभी का समान अधिकारः दीपक यादव
September 27, 2014
पुवायां। अपर जिला जज दीपक यादव ने कहा कि पैतृक सम्पत्ति में सभी का समान अधिकार होता है। ऐसे में कोई भी परिवार के दूसरे सदस्य का अहित नही कर सकता। सभी बारिसानों को बराबर अधिकार देना ही न्याय संगत है। श्री यादव पंचायत राज इंटर कालेज में आयोजित विधिक साक्षरता शिविर में बोल रहे थे।
बडागांव के पंचायत राज इण्टर कालेज में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में आयोजित विधिक साक्षरता शिविर में अपर जिला जज के अलावा सिविल जज विष्णु चंद्र वैश्य, अपर सिविल जज दीपक यादव, न्यायिक मजिस्ट्रेट अंकुर गर्ग, तहसीलदार पुवायां रजनीश चंद्र शर्मा ने शिविर में मौजूद लोगों को जानकारी दी। अपर सिविल जज दीपक यादव ने गांव के माहौल को बताते हुए कहा कि पैतृक सम्पत्ति में सभी वारिसानों का बराबर का अधिकार होता है। जिससें कोई भी पिता किसी एक हिस्सेदार को छोंड कर पैतृक सम्पत्ति को इधर उधर नही कर सकता और न ही पैतृक सम्पत्ति पर प्रभावी कोई ऐसी बसीयत कर सकता है। जिसमें किसी एक हिस्सेदार का अनहित हो। न्यायिक मजिस्ट्रेट अंकुर गर्ग ने बाल किशोर न्यायिक कानून की जानकारी देते हुए कहा कि अगर कोई किशोर किसी कारण में बिना चाहे अपराध करता है तो उसके साथ रियायत बरतते हुए उसे पुलिस वर्दी पहन कर गिरफतार नही करेगी साथ ही न्यायालय भी दण्ड देते समय उसके अपराध के अनुसार रियायती दण्ड देगा। शिविर में गांव बद्रीपुर हदीरा के प्राथमिक स्कूल के छात्र छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता एमडी शुक्ला तथा संचालन ब्रजेश मिश्रा ने किया। इस दौरान एबीएसए सुरेश पाल, नवीन कुमार, रंजन राय, उमाकान्त तिवारी, लालाराम कश्यप, अजय पटेल, अनिल वर्मा, रामनरेश गुप्ता समेत गांव के तमाम लोग व महिलाए मौजूद रही।
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