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धोखाधड़ी, छल व ब्लेकमेलिंग का मुकदमा दर्ज कराएँ।

cheque dishonour1समस्या-

सुनील ने  हिरनमगरी, उदयपुर, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

मैं ने दुकान की आवश्यकता के लिए डेली बेस पर डायरी खुलवाने हेतु एक खाली चैक डायरी वाले को दिया। उस के बदले उस ने एक बीस हजार का चैक दिया। जब मैं ने चैक बैंक में डाला तो उसने चैक स्टॉप करा दिया। जब मैं उसके पास गया तो उस ने रूपया नहीं होना बताया। कुछ समय बाद दूसरा चैक देने की बात की। मैं ने भी जरूरत के कारण हाँ भर दी कॉफी समय निकलने के बाद भी उस ने चैक नहीं दिया। जब फिर से उसके आफिस गया तो पता चला कि उसने आफिस खाली कर दिया। फिर मैं ने उसे बहुत तलाश किया पर उसका कोई पता नही चला। करीब दो साल बाद उस ने मेरे चैक में राशि भरकर मुझ पर केस कर दिया। उस से मिलने पर वह बात करने को भी तैयार नहीं है। बात जिरह तक पहुँच गई है। मुझे कानूनी ज्ञान बिलकुल नहीं है और वकील साब भी कुछ नहीं बताते। कृपया उचित सलाह दें।

समाधान-

ह समझ नहीं आया कि दैनिक आधार पर यह किस तरह की डायरी खुलवाने की बात आप कर रहे हैं। उस व्यक्ति ने आप को 20000/- हजार का चैक दिया और आप ने उसे खाली चैक हस्ताक्षर कर के दे दिया। फिर उस का चैक डिसऑनर हो गया। उसी वक्त आप उस के विरुद्ध चैक डिसऑनर के लिए नोटिस दे कर कार्यवाही कर सकते थे लेकिन उस ने आश्वासन दे कर आप को टाल दिया। फिर दो साल का वक्त निकाल कर उस ने चैक में राशि भर कर बैंक में प्रस्तुत किया और डिस ऑनर करवा कर मुकदमा लगा दिया।

स तरह के मुकदमों में कोई मजबूत डिफेंस नहीं होता। सजा और चैक की राशि से अधिक राशि जुर्माना होता है। इसी परिस्थिति के आधार पर वह व्यक्ति आप को ब्लेक मेल कर रहा है। जब वह व्यक्ति आप का हस्ताक्षर युक्त खाली चैक ले कर फरार हुआ था तभी आप को पुलिस में उस के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराना चाहिए था। खैर।

ब भी जब कि आप जान चुके हैं कि आप के साथ छल हुआ है और वह व्यक्ति ब्लेकमेलिंग कर रहा है आप को चाहिए कि आप पुलिस में उस के छल, धोखाधड़ी और ब्लेकमेलिंक के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए। यदि पुलिस इस तरह कोई मुकदमा दर्ज करने से इन्कार करे तो न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत कर उसे पुलिस को जाँच के लिए भेजा जाना चाहिए तभी आप को कोई राहत इस मुकदमे में मिल सकती है। यदि आप के पास उस का डिसऑनर हुआ चैक हो तो उसे तथा आप के बैंक खाते में उस चैक के डिसऑनर होने का जो रिकार्ड है उसे भी प्रतिरक्षा में न्यायालय में प्रस्तुत किया जा सकता है। लेकिन इन सब का लाभ आपको तभी मिलेगा जब आप उस व्यक्ति के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करा देंगे।

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