नामान्तरण संपत्ति के स्वामित्व को प्रमाणित नहीं करता।
|समस्या-
जितेन्द्र ने उज्जैन मध्य प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
दादाजी की मृत्यु के बाद एक मकान जो कि हॉउंसिंग बोर्ड का है, मेरे ताउजी ने अपने सभी 6 भाई बहनों को बहला-फुसलाकर स्वयं के नाम नामान्तरित करवा लिया है। ताउजी द्वारा इस प्रकार हॉउसिंग बोर्ड में नामान्तरण करवा लेने से मेरे पिताजी का क्या उस सम्पति पर अधिकार नही रहेगा? सिर्फ पिताजी ने नामान्तरण के लिये अपनी सहमति दी थी। अभी तक इस सम्पति का रजिस्टर्ड बंटवारा नहीं हुआ है और ना ही ताउजी रजिस्टर्ड बंटवारा करवाना हेतु सहमत हैं। कृपया बताये कि हॉउसिंग बोर्ड में नामान्तरण से क्या वह सम्पति सिर्फ ताउजी की हो जावेगी? एवं हॉउसिंग बोर्ड में नामान्तरण के संबंध में हम क्या कार्यवाही कर सकते है?
समाधान-
नामान्तरण संपत्ति के स्वामित्व को प्रदर्शित नहीं करता है। मकान हाउसिंग बोर्ड से आप के दादाजी को आवंटित हुआ और लीज डीड भी उन के नाम निष्पादित हो गयी। उन के देहान्त के उपरान्त इस मकान की लीज का स्वामित्व उन के सभी उत्तराधिकारियों को प्राप्त हो गया। सभी उत्तराधिकारियों का यह स्वामित्व अचल संपत्ति के हिस्से का था और उसकी कीमत 100 रुपए से अधिक की थी। यह स्वामित्व बिना किसी रजिस्टर्ड रिलीज डीड के किसी अन्य हिस्सेदार को स्थानान्तरित नहीं किया जा सकता था। इस कारण नामान्तरण के लिए अनापत्ति से भी उस स्वामित्व पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। संपत्ति सभी की बनी रहेगी।
यदि संपत्ति के अन्य हिस्सेदारों में से कोई भी बंटवारा चाहता है तो वह न्यायालय में बंटवारे का वाद संस्थित कर सकता है जिस पर संपत्ति का बंटवारा हो जाएगा। इस वाद में हाउसिंग बोर्ड को भी पक्षकार बनाएँ तो वहाँ भी रिकार्ड दुरुस्त हो जाएगा।
हमारे समाज की एक धर्मशाला है जो की धारा 145 और 146 में रिसीवर नियुक्त हुआ हुआ है समाज हित और जनहित में हम उसे कैसे छुड़वाए 10 तारीख को हमारे समाज के ही कुछ लोगों ने चुनाव करवाए जोगी पूर्णतया अवैधानिक थे सभी समाज के लोग अलग-अलग गुटों में बैठे हुए थे और सबने अपना अपना नेता चुन लिया जिनमें से दो लोगों ने अलग अलग देवस्थान विभाग में परिपत्र 7 और 8 लगा दिया जिस पर देवस्थान विभाग से अगले 1 महीने तक आपत्ति मांगी गई है आप हमें बताएं समाज हित में हम धर्मशाला को रिसीवर से किस तरह से नियुक्ति दिलाएं
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