न्यायालय में मिथ्या साक्ष्य के लिए उस न्यायालय का न्यायाधीश ही परिवाद कर सकता है।
औंकार वैष्णव ने बेमेतरा, छत्तीसगढ़ से समस्या भेजी है कि-
मेरी पत्नी विवाह के पूर्व से मानसिक रोग से ग्रस्त है, वर्तमान में भी इलाज चल रहा है। मेरी पत्नी ने मारपीट कर घर से निकाल देने का झूठा आरोप लगाते हुए धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता में आवेदन प्रस्तुत कर दिया है। मैंने भी विवाह शून्य करने का केस दर्ज किया है। मेरी पत्नी ने शपथ पत्र में झूठी बात लिखकर पेश की है, जिसे स्वयं उस ने व उस के गवाह ने झूठा स्वीकार किया है। क्या मैं उस के झूठे शपथ पत्र के लिए केस दर्ज करवा सकता हूँ? मेरे पास पर्याप्त सबूत हैं कि उस का शपथ पत्र १००%झूठा है। स्वयं साक्ष्य के समय उस ने शपथ पत्र को झूठा स्वीकार किया है। क्या मैं फैसला आने के पूर्व भादंसं के तहत केस दर्ज करवा सकता हूँ? कर सकता हूँ तो कैसे?
समाधान-
न्यायालय की किसी कार्यवाही में झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत करना झूठी साक्ष्य प्रस्तुत करना है और ऐसा करना भारतीय दंड संहिता की धारा 193 के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध है, जिस में अभियोग साबित हो जाने पर तीन वर्ष तक के कारावास के दण्ड से दण्डित किया जा सकता है। लेकिन इस तरह के मामलों में आप या कोई भी व्यक्ति सीधे मजिस्ट्रेट को परिवाद प्रस्तुत नहीं कर सकता।
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 195 की उपधारा (1) (ख) में यह उपबंध किया गया है कि जब मिथ्या साक्ष्य देने का कार्य किसी न्यायालय की कार्यवाही में किया जाता है तो केवल उस न्यायालय का न्यायाधीश अथवा उस न्यायाधीश द्वारा अधिकृत उस न्यायालय का कोई अन्य अधिकारी की शिकायत पर ही अधिकारिता रखने वाला मजिस्ट्रेट मामले में प्रसंज्ञान ले सकता है।
इस तरह आप स्वयं इस मामले में किसी तरह का कोई परिवाद प्रस्तुत नहीं कर सकते। केवल वह न्यायालय ही जहाँ मिथ्या शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है इस मामले में अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद प्रस्तुत कर सकता है। आप इतना कर सकते हैं कि धारा 340 में एक आवेदन जहाँ धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता का प्रकरण लंबित है उस न्यायालय को प्रस्तुत करें और उस न्यायालय से निवेदन करें कि मिथ्या शपथ पत्र प्रस्तुत करने वाले के विरुद्ध परिवाद प्रस्तुत किया जाए। वह न्यायालय मामले पर विचार कर के अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट को परिवाद प्रस्तुत कर सकता है।
मेरे दादाजी मेरी सगी दादी जी के अलावा एक और औरत लाये जिसके 3 लड़के 2 लडकिया हुई सन्78 में दादा जी के देहांत के बाद दूसरी औरत के लड़कों ने धन सम्पत्ति के लिए मेरे पिताजी व् मेरे परिवार से झगड़ना शुरू कर दिया जिससे मेरे पिताजी की मृत्यु हो गई फिर मेरे फूफा ने मेरे परिवार व दूसरे परिवार के बीच बराबर बराबर पंजीकृत बंटवारा करवा दिया सन् 81 में मेरी दादी पर व हम पर 2013 में दूसरी औरत के सबसे छोटे लड़के नें केस कर और हिस्सा माँगा है जिसका सभी भाइयो व बहनों ने अनुमोदन किया है में क्या करूँ।
Meri shadi 19 saal pahle hindu riti se hui ab meri patni karib 5 saal se mere do bacho ko lekar mere kharide huye makan par apne aasik ke saath sadi ki notri karke rah rahi hai us notri ki photocopi mere paas hai aasik bhi sadisuda hai uske do bachche hai mere ko marpit kar bhaga diya plz uchit salah de